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सड़क पर है 'यमराज' का डेरा, बेगुनाहों के खून से लाल हो रही सड़कें!

चतरा के मगध और आम्रपाली परियोजना में कोयले की ढुलाई में चलने वाली गाड़ियां मौत बांटती फिर रही है. हादसे के बाद प्रबंधन की तरफ से छोटी- मोटी मुआवजे की रकम देकर उनका मुंह बंद करने की कोशिश की जाती है.

रात का नजारा
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Published : Jul 3, 2019, 8:46 PM IST

चतरा: एशिया के सबसे बड़े कोल परियोजनाओं में से एक मगध और आम्रपाली से कोयले कि ढुलाई में लगी वाहने लोगों की खून से अपनी प्यास बुझाने में लगी है. स्थिति ये है कि अपने कोयले से देश को रोशन करने वाले यहां के मासूमों की खून से सड़कें लाल हो रही है.

देखें पूरी खबर

कोल वाहनों के आतंक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चार वर्षों में इस इलाके में करीब पांच सौ लोगों की जान दुर्घटना के चपेट में आने से हो चुकी है. बावजूद इसके न तो जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर जा रहा है और न ही सरकार की नींद बेगुनाहों के मौत के बाद भी खुली. ऐसे में अब ये सड़के न सिर्फ लोगों के लिए मौत का डगर साबित होने लगा है बल्कि कोल वाहनों ने भी यमराज का रूप धारण कर लिया है. जिसने सिमरिया-टंडवा व रांची-हजारीबाग मुख्य पथ पर मौत बनकर तांडव मचा रखा है.

ये भी पढ़ें- भगवान जगन्नाथ का नेत्रदान अनुष्ठान संपन्न, 4 जुलाई को निकलेगी रथ यात्रा

जिले के टंडवा प्रखंड में संचालित मगध और आम्रपाली समेत अन्य कोल परियोजनाओं से कोयले की ढुलाई सीसीएल व्यावसायिक सड़क के बजाय सार्वजनिक सड़क से कर रही है. पिछले पांच वर्षों में न तो सीसीएल ने ट्रांसपोर्टिंग सड़क बनवाई है और न ही बाईपास का निर्माण कराया है. ऐसे में यहां से कोयले की ढुलाई एनएच-100 और 99 के अलावा पीडब्ल्यूडी की सड़कों से होती है. जिससे दिनभर कोयला लदे भारी-भरकम वाहन सिमरिया, बगरा, जबड़ा, धनगड्डा, मिश्रौल, डाड़ी, बिरहू, तलसा, पत्थलगड्डा, गिद्धौर, बलबल, चतरा और अन्य भीड़-भाड़ व व्यस्ततम इलाकों से होकर गुजरती है.

लगातार भारी वहनो के गुजरने से आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं जिसमें लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. बावजूद सीसीएल निजी ट्रांसपोर्टिंग सड़क का निर्माण कराने के बजाय पीड़ित परिवारों के बीच चंद रुपये मुआवजे के रूप में बांट कर लोगों का मुंह बंद कराने में जुटी है. तंग आकर स्थानीय लोग लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, बावजूद किसी के कानों पर जू तक नहीं रेंग रहा है.

चतरा: एशिया के सबसे बड़े कोल परियोजनाओं में से एक मगध और आम्रपाली से कोयले कि ढुलाई में लगी वाहने लोगों की खून से अपनी प्यास बुझाने में लगी है. स्थिति ये है कि अपने कोयले से देश को रोशन करने वाले यहां के मासूमों की खून से सड़कें लाल हो रही है.

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कोल वाहनों के आतंक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चार वर्षों में इस इलाके में करीब पांच सौ लोगों की जान दुर्घटना के चपेट में आने से हो चुकी है. बावजूद इसके न तो जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर जा रहा है और न ही सरकार की नींद बेगुनाहों के मौत के बाद भी खुली. ऐसे में अब ये सड़के न सिर्फ लोगों के लिए मौत का डगर साबित होने लगा है बल्कि कोल वाहनों ने भी यमराज का रूप धारण कर लिया है. जिसने सिमरिया-टंडवा व रांची-हजारीबाग मुख्य पथ पर मौत बनकर तांडव मचा रखा है.

ये भी पढ़ें- भगवान जगन्नाथ का नेत्रदान अनुष्ठान संपन्न, 4 जुलाई को निकलेगी रथ यात्रा

जिले के टंडवा प्रखंड में संचालित मगध और आम्रपाली समेत अन्य कोल परियोजनाओं से कोयले की ढुलाई सीसीएल व्यावसायिक सड़क के बजाय सार्वजनिक सड़क से कर रही है. पिछले पांच वर्षों में न तो सीसीएल ने ट्रांसपोर्टिंग सड़क बनवाई है और न ही बाईपास का निर्माण कराया है. ऐसे में यहां से कोयले की ढुलाई एनएच-100 और 99 के अलावा पीडब्ल्यूडी की सड़कों से होती है. जिससे दिनभर कोयला लदे भारी-भरकम वाहन सिमरिया, बगरा, जबड़ा, धनगड्डा, मिश्रौल, डाड़ी, बिरहू, तलसा, पत्थलगड्डा, गिद्धौर, बलबल, चतरा और अन्य भीड़-भाड़ व व्यस्ततम इलाकों से होकर गुजरती है.

लगातार भारी वहनो के गुजरने से आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं जिसमें लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. बावजूद सीसीएल निजी ट्रांसपोर्टिंग सड़क का निर्माण कराने के बजाय पीड़ित परिवारों के बीच चंद रुपये मुआवजे के रूप में बांट कर लोगों का मुंह बंद कराने में जुटी है. तंग आकर स्थानीय लोग लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, बावजूद किसी के कानों पर जू तक नहीं रेंग रहा है.

Intro:सड़क पर यमराज, मासूमों के खून से लाल हो रही सड़कें

चतरा : एशिया के सबसे बड़े कोल परियोजनाओं में से एक मगध व आम्रपाली से कोयले कि ढुलाई में लगी वाहने लोगों की खून से अपनी प्यास बुझाने में लगी है। स्थिति ये है कि अपने कोयले से देश को रौशन करने वाले यहां के मासूमों की खून से सड़कें लाल हो रही है। कोल वाहनों के आतंक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विगत चार वर्षों में इस इलाके में करीब पांच सौ लोगों की जान दुर्घटना के चपेट में आने से हो चूकि है। बावजूद न तो जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर जा रहा है और न ही सरकार की नींद बेगुनाहों के मौत के बाद भी खुला है। ऐसे में अब ये सड़के न सिर्फ लोगों के लिए मौत का डगर साबित होने लगी है बल्कि कोल वाहनों ने भी यमराज का रूप धारण कर लिया है। जिसने सिमरिया-टंडवा व रांची-हजारीबाग मुख्यपथ पर मौत बनकर तांडव मचा रखा है।

बाईट : आलोक सिंह - स्थानीय ग्रामीण।

जिले के टंडवा प्रखंड में संचालित मगध व आम्रपाली समेत अन्य कोल परियोजनाओं से कोयले का ढुलाई सीसीएल व्यावसायिक सड़क के बजाय सार्वजनिक सड़क से कर रहा है। विगत करीब पांच वर्षों में न तो सीसीएल ने ट्रांसपोर्टिंग सड़क बनवाई है और न ही बाईपास का निर्माण कराया है। ऐसे में यहां से कोयले की ढुलाई एनएच-100 व 99 के अलावे पीडब्ल्यूडी की सड़कों से होती है। जिससे दिनभर कोयला लदे भारी-भरकम वाहन सिमरिया, बगरा, जबड़ा, धनगड्डा, मिश्रौल, डाड़ी, बिरहू, तलसा, पत्थलगड्डा, गिद्धौर, बलबल, चतरा व अन्य भीड़-भाड़ व व्यस्ततम इलाकों से होकर गुजरती है। जिससे न सिर्फ आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है बल्कि दर्दनाक हादसों में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। बावजूद सीसीएल निजी ट्रांसपोर्टिंग सड़क का निर्माण कराने के बजाय न सिर्फ पीड़ित परिवारों के बीच चंद रुपये मुआबजे के रूप में बांट कर लोगों का मुंह बंद कराने में जुटी है। बल्कि पैसे के बल पर गरीब व बेगुनाहों के जान से खुलेआम खिलवाड़ भी कर रही है। जिससे तंग आकर स्थानीय लोग लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। बावजूद किसी के कानों पर जू तक नहीं रेंग रहा है।

इधर जिला प्रशासन भी गरीबों और मासूमों के जान की रक्षा करने के बजाय सीसीएल का ही साथ देने पर आमादा है। उपायुक्त नियमों की अनदेखी करने वाले बेलगाम कोल वाहनों और सीसीएल प्रबंधन पर कार्रवाई के बजाय शिवपुर-टोरी रेललाइन शुरू होने की प्रतीक्षा करने की बात कर रहे हैं। उनके अनुसार रेललाइन शुरू होते ही सड़कों से भार कम हो जाएगा।

बाईट : जितेंद्र कुमार सिंह - उपायुक्त।


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