चतरा: रोजगार की तलाश में मजदूरों का अन्य राज्यों में पलायन उनके परिवार के लिए लगातार अभिशाप साबित हो रहा है. दो जून की रोटी की तलाश में दूसरे राज्यों में मजदूरी करने वाले मजदूरों की दुर्घटनाओं में मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.
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सदर थाना क्षेत्र के ऊंटा मोड़, सेसांग और टंडवा इलाके के छह मजदूरों की आंध्र प्रदेश में हुए सड़क हादसे में दर्दनाक मौत के सदमे से अभी जिलेवासी बाहर भी नहीं निकल सके थे कि इस बार कर्नाटक के मांडिया जिले में हुई दुर्घटना में चतरा के दो मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई. दोनों मजदूर सदर थाना क्षेत्र के रक्सी और सेसांग गांव के रहने वाले थे. रोजगार की तलाश में गए मजदूरों की मौत की खबर से जिले में शोक की लहर है.
जानकारी के अनुसार रक्सी गांव निवासी काशीनाथ साव और सेसांग गांव निवासी राजू भोक्ता कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के मांडिया जिला अंतर्गत मदुर इलाके में पुल निर्माण कार्य में लगे दिलीप बिलकोंड लिमिटेड नामक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे. काम के दौरान ही पुल का चाल धसने से कांट्रेक्टर काशीनाथ और मिस्त्री राजू उसके नीचे दब गए. जिससे मौके पर ही दोनों की दर्दनाक मौत हो गई.
घटना के बाद दोनों मजदूरों के शव को मौके से निकालकर सरकारी अस्पताल भिजवाया गया. जहां दोनों शवों का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. समाजसेवी उदय दांगी ने बताया कि मजदूरों के शव को चतरा लाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं, जनप्रतिनिधियों से संपर्क स्थापित किया जा रहा है. पोस्टमार्टम पूरा होते ही दोनों शवों को मांडिया से चतरा लाया जाएगा.
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वहीं, दोनों मजदूरों की हादसे में हुई मौत की खबर को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है. सूबे के श्रम और नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने राज्य से मजदूरों के पलायन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार मृतकों के परिवार के साथ खड़ी है. आश्रितों को आर्थिक मुआवजे के साथ-साथ सरकार हर संभव मदद देगी.
उन्होंने कहा कि सरकार स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित कर रोजी रोटी की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने वाले मजदूरों के पलायन को रोकते हुए उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर संकल्पित हैं. वहीं, मंत्री ने ईटीवी भारत से हुई खास बातचीत में बताया कि मजदूरों के साथ हो रहे दर्दनाक हादसे कहीं ना कहीं निर्माण एजेंसियों और कंपनियों की लापरवाही को उजागर करता है. उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य और अन्य कामों के दौरान मजदूरों को एजेंसियों और कंस्ट्रक्शन कंपनियों के सेफ्टी किट उपलब्ध नहीं कराने की वजह से शायद दुर्घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने कहा कि वह चतरा प्रवास के दौरान मृतक के आश्रितों से मुलाकात कर उन्हें एक-एक लाख की सहायता राशि दी जाएगी.