चतरा: वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर एक ओर सरकार स्वास्थ्य केंद्रों (Health Centers) को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है. वहीं चतरा जिला के अति नक्सल प्रभावित लावालौंग प्रखंड के लटमा पंचायत में एक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण (Construction of Health Center) पिछले 10 साल से अधूरा है. काम कर रहा ठेकेदार काम आधा-अधूरा छोड़कर फरार है. विभागीय पदाधिकारी भी भवन के निर्माण को शुरू कराने में सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं.
ये भी पढ़ें- लालटेन युग में जी रहा चतरा का यह गांव, जानिए आखिर क्या है इसके पीछे की वजह
आधा-अधूरा स्वास्थ्य केंद्र
स्वास्थ्य केंद्र (Health Center) नहीं बनने से करीब 10 हजार की आबादी को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों को इलाज में काफी परेशानी हो रही है. स्वास्थ्य केंद्र चतरा-रांची एनएच-100 पथ पर स्थित है. इस रोड पर हमेशा दुर्घटनाएं होती रहती हैं. स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने के कारण लोगों को सिमरिया-चतरा सदर अस्पताल लाया जाता है.
ठेकेदार है फरार
स्वास्थ्य केंद्र भवन (Health Center Building) की ढलाई का कार्य पूर्ण कर लिया गया. लेकिन दरवाजा, खिड़की समेत अन्य काम किए बिना ठेकेदार कई साल से फरार है. इसके साथ ही केंद्र भवन जर्जर होता जा रहा है. यहां के लोगों को इलाज के लिए चतरा-हजारीबाग-सिमरिया जाना पड़ता है. जिससे लोगों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.
विधायक ने दिखाई गंभीरता
इस मामले पर संज्ञान लेते हुए सिमरिया विधायक किशुन दास ने इस पर गंभीरता दिखाई है. उन्होंने कहा कि इतने लंबे समय से निर्माण नहीं होने से गुणवत्ता प्रभावित होती है. इसकी जांच कराने की बात करते हुए विधायक ने इसे जल्द पूरा कराने की बात कही. सिमरिया विधायक किशुन दास ने कहा कि निश्चित रूप से यह काफी बड़ी लापरवाही कही जा सकती है. उन्होंने कहा कि जंगली इलाके में जहां स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System) पिछड़ी है. वहां इस स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण पूरा नहीं होना काफी गंभीर मामला है. उनका कहना है कि वह इसकी जांच कराएंगे कि आखिर कहां लापरवाही हुई है.
ग्रामीणों को होती है परेशानी
इस मामले पर ईटीवी भारत की टीम ने स्थानीय लोगों से बातचीत की. लोगों ने निराशा से कहा कि बरसों से देख रहे हैं कि यह स्वास्थ्य केंद्र (Health System) बन रहा है. लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ है. उनका कहना है कि ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है, खासकर गर्भवती महिलाएं और मरीज की स्थिति अगर थोड़ी सी गंभीर हो जाती है, तो सीधा उन्हें चतरा-हजारीबाग या फिर रांची ले जाना पड़ता है.