चतरा: जिले के सिमरिया प्रखंड में जल संचयन को लेकर जिला प्रशासन की ओर से कराए जा रहे विकास कार्यों में बच्चे भी अपने पापी पेट के लिए ड्यूटी कर रहे हैं. मनरेगा योजना में अधिकारियों और कर्मियों की नाक के नीचे बाल मजदूरों से काम करवाया जा रहा है, लेकिन जिला प्रशासन कार्रवाई के बजाय मूकदर्शक बना हुआ है. हालांकि ईटीवी भारत के हस्तक्षेप के बाद श्रम विभाग ने इस मामले में कार्रवाई करने की बात कही है. जिले के विभिन्न प्रखंडों में मनरेगा के तहत जल संचय का काम चल रहा है. चतरा में जल संचय बचाव के लिए सैकड़ों एकड़ की जमीन में वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है.
मनरेगा में बाल मजदूर कर रहे काम
वहीं, दूसरी ओर सिमरिया प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में सैकड़ों एकड़ की जमीन में पानी बचाओ के लिए कार्य होना है. मनरेगा के तहत बनने वाले जल संचय में दूसरे राज्यों से आए प्रवासी मजदूरों के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय मजदूर भी काम कर रहे हैं, जिसमें कई नाबालिग बच्चे भी शामिल हैं. इस निर्माण कार्य में 12-13 साल के बच्चे भी मजदूरी कर रहे हैं. लॉकडाउन के कारण मनरेगा की कई योजनाएं काफी दिनों से बंद पड़ा था. अनलॉक होने के बाद कई शर्तों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य की अनुमति दी गई है, लेकिन मनरेगा के कार्य के दौरान न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है और न ही सभी मजदूरों को मास्क आदि जरूरत के सामान दिए गए हैं.
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श्रम अधिकारी ने लिया संज्ञान
सिमरिया प्रखंड कार्यालय से जहां बाल मजदूर काम कर रहे हैं वो महज 5 किलोमीटर की दूरी पर है. इसके बावजूद मनरेगा कर्मी खुलेआम बाल मजदूरों से काम करवा रहे हैं, जबकि प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचलाधिकारी की बाल मजदूरी पर नकेल कसने के प्रति लापरवाह दिख रहे हैं. इतनी कम दूरी होने के बावजूद छोटे-छोटे बच्चों से खुलेआम काम लिया जा रहा है. इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने श्रम अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि बाल मजदूरी की सूचना मिली है, कार्यस्थल का निरीक्षण करने के बाद जांच करवाई जाएगी उसके बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.