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एशिया की सबसे बड़ी कोल परियोजना में लटका ताला, सैकड़ों मजदूर हुए बेरोजगार

मगध कोल परियोजना में ताला लटक गया है. यहां 13 फरवरी से ही खनन पूरी तरह बंद है. बता दें कि कंपनी में लगभग 1100 वर्कर काम करते हैं. वहीं 400 वर्कर नो वर्क नो पे लागू होने के बाद वापस अपने गांव लौट गए हैं.

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मगध कोल परियोजना
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Published : Feb 22, 2020, 7:42 PM IST

Updated : Mar 22, 2020, 8:05 AM IST

चतरा: जिले के टंडवा में स्थापित एशिया की सबसे बड़ी मगध कोल परियोजना में ताला लटक गया है. यहां 13 फरवरी से ही खनन पूरी तरह बंद है. इसका व्यापक असर कंपनी से जुड़े कामगारों पर पड़ रहा है. मगध कोल परियोजना की आउटसोर्सिंग कंपनी में लगभग 1100 वर्कर काम करते हैं. कंपनी में वर्कर तो अस्थायी हैं, पर तकनीकी टीम कई राज्यों से जुड़ी हुई है.

देखें पूरी खबर

400 वर्कर घर लौट गए

बता दें कि कंपनी में लगभग 500 वर्कर तकनीकी कार्य करने वाले लोग हैं. जिसमें 400 वर्कर नो वर्क नो पे लागू होने के बाद वापस अपने गांव लौट गए. स्थानीय वर्कर भी काम नहीं होने से हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. झारखंड बिहार ओडिशा समेत देश के अन्य हिस्सों से आई तकनीकी टीम के लोगों ने बताया कि नो वर्क नो पे लागू होने से उनके पास वापस घर जाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है. इधर कंपनी में गाड़ियों को भी बाहर भेजने की तैयारी कर ली है.

ये भी पढ़ें- RSS हिंदू और मुस्लिम की सोच रखती है, जबकि कांग्रेस देश की सोच रखती है: रामेश्वर उरांव

40 हाइवा को तेलंगाना भेजा जाएगा

कंपनी के मैनेजर निवासन रेड्डी ने बताया कि खुदाई करने वाली 18 मशीनों में 9 मशीन और 84 हाइवा में से 40 हाइवा को तेलंगाना भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर कार्य जल्द शुरू नहीं किया जाएगा तो यहां से सभी गाड़ियों को कंपनी के दूसरे कार्यस्थल भेज दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें- फरियादियों से मिले सीएम हेमंत सोरेन, कहा- मूलभूत सुविधाओं को मजबूत करेगी सरकार

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों ने कहा कि सीसीएल ने रैयतों को रैयती जमीन व गैरमजरूआ जमीन मिलाकर नौकरी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक नौकरी और मुआवजा नहीं मिला. ग्रामीणों ने नौकरी और मुआवजा देने के बाद ही कोयला खनन करने की बात कही है.

चतरा: जिले के टंडवा में स्थापित एशिया की सबसे बड़ी मगध कोल परियोजना में ताला लटक गया है. यहां 13 फरवरी से ही खनन पूरी तरह बंद है. इसका व्यापक असर कंपनी से जुड़े कामगारों पर पड़ रहा है. मगध कोल परियोजना की आउटसोर्सिंग कंपनी में लगभग 1100 वर्कर काम करते हैं. कंपनी में वर्कर तो अस्थायी हैं, पर तकनीकी टीम कई राज्यों से जुड़ी हुई है.

देखें पूरी खबर

400 वर्कर घर लौट गए

बता दें कि कंपनी में लगभग 500 वर्कर तकनीकी कार्य करने वाले लोग हैं. जिसमें 400 वर्कर नो वर्क नो पे लागू होने के बाद वापस अपने गांव लौट गए. स्थानीय वर्कर भी काम नहीं होने से हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. झारखंड बिहार ओडिशा समेत देश के अन्य हिस्सों से आई तकनीकी टीम के लोगों ने बताया कि नो वर्क नो पे लागू होने से उनके पास वापस घर जाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है. इधर कंपनी में गाड़ियों को भी बाहर भेजने की तैयारी कर ली है.

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40 हाइवा को तेलंगाना भेजा जाएगा

कंपनी के मैनेजर निवासन रेड्डी ने बताया कि खुदाई करने वाली 18 मशीनों में 9 मशीन और 84 हाइवा में से 40 हाइवा को तेलंगाना भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर कार्य जल्द शुरू नहीं किया जाएगा तो यहां से सभी गाड़ियों को कंपनी के दूसरे कार्यस्थल भेज दिया जाएगा.

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क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों ने कहा कि सीसीएल ने रैयतों को रैयती जमीन व गैरमजरूआ जमीन मिलाकर नौकरी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक नौकरी और मुआवजा नहीं मिला. ग्रामीणों ने नौकरी और मुआवजा देने के बाद ही कोयला खनन करने की बात कही है.

Last Updated : Mar 22, 2020, 8:05 AM IST
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