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एडमिट कार्ड नहीं मिलने की शिकायत पर DEO के बिगड़े बोल, कहा- बच्चे क्या IAS बन जाएंगे - जेएसी की खबरें

लावालौंग प्रखंड के आतमपुर और लमटा उत्क्रमित उच्च विद्यालय के दर्जनों छात्र-छात्राएं इस बार आठवीं बोर्ड की परीक्षा से वंचित हो सकते हैं. इन बच्चों के बीच अब तक परीक्षा को लेकर विद्यालय प्रबंधन ने एडमिट कार्ड नहीं दिया है.

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परेशान छात्र
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Published : Jan 11, 2020, 6:16 PM IST

चतरा: सरकार बच्चों को शिक्षित करने के लिए भले ही लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो, लेकिन उसके ही लापरवाह नुमाइंदे सरकार के इन योजनाओं की सफलता पर ग्रहण लगाने में जुटे हैं. चतरा के लावालौंग प्रखंड में संचालित दो स्कूलों की समस्याओं ने शिक्षा व्यवस्था और उसके रहनुमाओं की कार्यशैली की पोल खोल कर रख दी है.

देखें पूरी खबर

आक्रोशित हुए अभिभावक
सरकारी बाबूओं की लापरवाही के कारण दर्जनों छात्र-छात्राएं शिक्षा से महरूम होने के कगार पर आ खड़ी हैं. ऐसे में आक्रोशित अभिभावकों ने विद्यालय में रोष व्यक्त करते हुए ताला जड़ते हुए परीक्षार्थियों को अविलंब एडमिट कार्ड नहीं देने पर विद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की चेतावनी दी है.

ये भी पढ़ें- जमशेदपुर में श्वान प्रतियोगिता का आयोजन, जानें क्या हैं रूल

दो स्कूलों के बच्चों पर लटक रही है तलवार
दरअसल, मामला लावालौंग प्रखंड के आतमपुर और लमटा उत्क्रमित उच्च विद्यालय से जुड़ा है. जहां दर्जनों छात्र-छात्राएं इस बार आठवीं बोर्ड की परीक्षा से वंचित हो सकते हैं. इन बच्चों के बीच न तो अब तक परीक्षा को लेकर विद्यालय प्रबंधन ने एडमिट कार्ड दिया है और न ही कोई अन्य व्यवस्था.

डीईओ ने की बदसलूकी
सबसे बड़ी विडंबना है कि अभिभावकों और बच्चों की इस समस्या का निदान करने के बजाय जिले के प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने बेतुके बोल से उनके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं. बच्चों के अभिभावकों ने जब इस समस्या के निदान की गुहार फोन के माध्यम से डीईओ से लगाई तो उन्होंने बड़े उलझे हुए शब्दों में इसका जवाब दिया. उनका कहना है कि विद्यार्थियों की परीक्षा ले ली जाएगी, पर न तो वे आईएस बनेंगे और न ही कुछ कर पाएंगे.

ये भी पढ़ें- दुमका की ग्रामीण सड़क बदहाल, हेमंत सरकार से लोगों को काफी उम्मीद

'न आप कुछ कर पाएं और न आपके बच्चे कर पाएंगे'
बच्चों को परीक्षा में शामिल कराने की मांग करने पर डीईओ ने अभिभावकों को फटकार दिया. इस दौरान उनके बोल भी बिगड़े नजर आए. उन्होंने फोन पर अभिभावकों को कहा कि वो लिखकर दें कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर आईएएस बनेंगे, फिर वो उनकी मांगों को मान लेंगे. डीईओ ने यहां तक कह दिया कि जब आप अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाए तो आपके बच्चे क्या कर पाएंगे. हद तो तब हो गई जब डीईओ ने कहा कि अगर एडमिट कार्ड नहीं मिला है तो क्या वे छात्र-छात्राओं को मृत्यु प्रमाण पत्र दें. बता दें कि उक्त दोनों विद्यालयों में 83 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, जिनमें महज 10 छात्र-छात्राओं को शिक्षा विभाग की ओर से परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई है.

'डीईओ कार्यालय ने बरती है लापरवाही'
इस संबंध में विद्यालय के प्रिंसिपल रामचंद्र साव ने बताया कि यहां से सभी बच्चों का एडमिट कार्ड का फॉर्म भर कर जैक को परीक्षा शुल्क के साथ जमा कर दिया गया है. इसके बावजूद यहां के बच्चों को शिक्षा विभाग ने अब तक एडमिट कार्ड उपलब्ध नहीं कराया है. इस समस्या ने विद्यालय के शिक्षकों और सचिव की परेशानी बढ़ा रखी है.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने PM मोदी से की मुलाकात, ट्राइबल यूनिवर्सिटी पर मदद का मिला आश्वासन

'परीक्षा से पहले होगा समाधान'
इधर, पूरे मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने अनुमंडल पदाधिकारी दीपू कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि जैक बोर्ड से यह परेशानी हुई है. यह तकनीकी समस्या है, परीक्षा से पहले इसका निदान कर दिया जाएगा.

चतरा: सरकार बच्चों को शिक्षित करने के लिए भले ही लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो, लेकिन उसके ही लापरवाह नुमाइंदे सरकार के इन योजनाओं की सफलता पर ग्रहण लगाने में जुटे हैं. चतरा के लावालौंग प्रखंड में संचालित दो स्कूलों की समस्याओं ने शिक्षा व्यवस्था और उसके रहनुमाओं की कार्यशैली की पोल खोल कर रख दी है.

देखें पूरी खबर

आक्रोशित हुए अभिभावक
सरकारी बाबूओं की लापरवाही के कारण दर्जनों छात्र-छात्राएं शिक्षा से महरूम होने के कगार पर आ खड़ी हैं. ऐसे में आक्रोशित अभिभावकों ने विद्यालय में रोष व्यक्त करते हुए ताला जड़ते हुए परीक्षार्थियों को अविलंब एडमिट कार्ड नहीं देने पर विद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की चेतावनी दी है.

ये भी पढ़ें- जमशेदपुर में श्वान प्रतियोगिता का आयोजन, जानें क्या हैं रूल

दो स्कूलों के बच्चों पर लटक रही है तलवार
दरअसल, मामला लावालौंग प्रखंड के आतमपुर और लमटा उत्क्रमित उच्च विद्यालय से जुड़ा है. जहां दर्जनों छात्र-छात्राएं इस बार आठवीं बोर्ड की परीक्षा से वंचित हो सकते हैं. इन बच्चों के बीच न तो अब तक परीक्षा को लेकर विद्यालय प्रबंधन ने एडमिट कार्ड दिया है और न ही कोई अन्य व्यवस्था.

डीईओ ने की बदसलूकी
सबसे बड़ी विडंबना है कि अभिभावकों और बच्चों की इस समस्या का निदान करने के बजाय जिले के प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने बेतुके बोल से उनके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं. बच्चों के अभिभावकों ने जब इस समस्या के निदान की गुहार फोन के माध्यम से डीईओ से लगाई तो उन्होंने बड़े उलझे हुए शब्दों में इसका जवाब दिया. उनका कहना है कि विद्यार्थियों की परीक्षा ले ली जाएगी, पर न तो वे आईएस बनेंगे और न ही कुछ कर पाएंगे.

ये भी पढ़ें- दुमका की ग्रामीण सड़क बदहाल, हेमंत सरकार से लोगों को काफी उम्मीद

'न आप कुछ कर पाएं और न आपके बच्चे कर पाएंगे'
बच्चों को परीक्षा में शामिल कराने की मांग करने पर डीईओ ने अभिभावकों को फटकार दिया. इस दौरान उनके बोल भी बिगड़े नजर आए. उन्होंने फोन पर अभिभावकों को कहा कि वो लिखकर दें कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर आईएएस बनेंगे, फिर वो उनकी मांगों को मान लेंगे. डीईओ ने यहां तक कह दिया कि जब आप अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाए तो आपके बच्चे क्या कर पाएंगे. हद तो तब हो गई जब डीईओ ने कहा कि अगर एडमिट कार्ड नहीं मिला है तो क्या वे छात्र-छात्राओं को मृत्यु प्रमाण पत्र दें. बता दें कि उक्त दोनों विद्यालयों में 83 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, जिनमें महज 10 छात्र-छात्राओं को शिक्षा विभाग की ओर से परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई है.

'डीईओ कार्यालय ने बरती है लापरवाही'
इस संबंध में विद्यालय के प्रिंसिपल रामचंद्र साव ने बताया कि यहां से सभी बच्चों का एडमिट कार्ड का फॉर्म भर कर जैक को परीक्षा शुल्क के साथ जमा कर दिया गया है. इसके बावजूद यहां के बच्चों को शिक्षा विभाग ने अब तक एडमिट कार्ड उपलब्ध नहीं कराया है. इस समस्या ने विद्यालय के शिक्षकों और सचिव की परेशानी बढ़ा रखी है.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने PM मोदी से की मुलाकात, ट्राइबल यूनिवर्सिटी पर मदद का मिला आश्वासन

'परीक्षा से पहले होगा समाधान'
इधर, पूरे मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने अनुमंडल पदाधिकारी दीपू कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि जैक बोर्ड से यह परेशानी हुई है. यह तकनीकी समस्या है, परीक्षा से पहले इसका निदान कर दिया जाएगा.

Intro:शिक्षा पदाधिकारी के बिगड़े बोल, अभिभावकों को कहा बच्चों की परीक्षा ले भी लेंगे तो क्या बन जाएंगे आईएएस

कहा लिखकर दो भविष्य में नहीं होगा प्रलय, फिर हम भी दे देंगे मृत्यु प्रमाण पत्र

चतरा : सरकार बच्चों को शिक्षित करने के लिए भले ही लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो। लेकिन उसके ही लापरवाह नुमाइंदे सरकार के इन योजनाओं की सफलता पर ग्रहण लगाने में जुटे हैं। चतरा के लावालौंग प्रखंड में संचालित दो विद्यालयों में उत्पन्न समस्याओं ने शिक्षा व्यवस्था व उसके रहनुमाओं के कार्यशैली की पोल खोल कर रख दी है। एक तरफ सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देती है। वही दूसरी ओर सरकारी बाबुओं की लापरवाही के कारण दर्जनों छात्र-छात्राएं शिक्षा से महरूम होने के कगार पर आ खड़ी है। ऐसे में आक्रोशित अभिभावकों ने विद्यालय में रोष व्यक्त करते हुए ताला जड़ते हुए परीक्षार्थियों को अविलंब एडमिट कार्ड नहीं देने पर विद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की चेतावनी दी है।

दो विद्यालयों के बच्चों पर लटक रही है तलवार

दरअसल मामला लावालौंग प्रखंड के आतमपुर और लमटा उत्क्रमित उच्च विद्यालय से जुड़ा है। जहां की दर्जनों छात्र-छात्राएं इस बार आठवीं बोर्ड की परीक्षा से वंचित हो सकती हैं। इन बच्चों के बीच न तो अबतक परीक्षा को ले विद्यालय प्रबंधन द्वारा एडमिट कार्ड का वितरण किया गया है और न ही कोई अन्य व्यवस्था।

अभिभावकों को सत्ता रही बच्चों के भविष्य की चिंता

ऐसे में परीक्षा की बाट जोह रहे बच्चों का भविष्य अंधकारमय होने का भय अभिभावकों को सत्ता रहा है। परिजनों को डर है कि शिक्षा अधिकारियों के लापरवाही के कारण अगर बच्चे परीक्षा से वंचित रह जाते हैं तो उनका एक वर्ष का बहुमूल्य समय बर्बाद हो जाएगा।

बाईट: अनुमंडल पदाधिकारी दीपू कुमार

Body:डीईओ ने की बदसलूकी, अभिभावकों को हड़काया

सबसे बड़ी विडंबना है कि अभिभावकों व बच्चों के समक्ष उत्पन्न इस जटिल समस्या का निदान करने के बजाय जिले के प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने बेतुके बोल से उनके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं। बच्चों के अभिभावकों ने जब इस समस्या के निदान की गुहार फोन के माध्यम से डीईओ से लगाई तो उन्होंने बड़े उलझे हुए शब्दों में इसका जवाब दिया। उनका कहना है कि विद्यार्थियों की परीक्षा ले ली जाएगी पर न तो वे आईएस बनेंगे और ना ही कुछ कर पाएंगे।


ना आप कुछ कर पाएं और न आपके बच्चे कर पाएंगे

बच्चों को परीक्षा में शामिल कराने की मांग करने पर डीईओ ने अभिभावकों को हड़का दिया। इस दौरान उनके बोल भी बिगड़े नजर आए। उन्होंने फोन पर अभिभावकों को कहा कि वो लिखकर दें कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर आईएएस बनेंगे। फिर वो उनकी मांगों को मान लेंगे। दरअसल बच्चों के अभिभावक डीईओ से दूरभाष पर बात कर शिक्षा विभाग के कर्मियों पर फार्म भरने में लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगा रहे थे। यह सुन डीईओ आग बबूला हो गए औरके अभिभावकों से दूरभाष पर ही बदसलूकी करने लगे। उन्होंने बच्चों को परीक्षा में शामिल कराने के लिखित आश्वासन की मांग करने पर अभिभावकों को तल्ख शब्दों में कहा कि जब आप अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाए तो आपके क्या कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर एडमिट कार्ड नहीं मिला है तो क्या मैं छात्र-छात्राओं को मृत्यु प्रमाण पत्र दे दुं। बताते चलें कि उक्त दोनों विद्यालयों में 83 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। जिनमें महज दस छात्र-छात्राओं को शिक्षा विभाग द्वारा परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान की गई है।

डीईओ कार्यालय ने बरती है लापरवाही

इस संबंध में विद्यालय के प्रिंसिपल रामचंद्र साव ने बताया कि यहां से सभी बच्चों का एडमिट कार्ड का फॉर्म भर कर जैक को परीक्षा शुल्क के साथ जमा कर दिया गया है। उसके बावजूद यहां के बच्चों को शिक्षा विभाग द्वारा अबतक एडमिट कार्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है। इस समस्या ने विद्यालय के शिक्षकों और सचिव की परेशानी बढ़ा रखी है। सारी लापरवाही डीईओ कार्यालय द्वारा बरती गई है।Conclusion:समस्या को परीक्षा पूर्व होगा निदान

इधर पूरे मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने अनुमंडल पदाधिकारी दीपू कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि जैक बोर्ड से यह परेशानी उत्पन्न हुई है। यह तकनीकी समस्या है। इसका निदान जल्द कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा है कि आगामी 24 जनवरी से प्रारंभ हो रही परीक्षा से पूर्व इस समस्या का निदान कर दिया जाएगा।

मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत चतरा
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