चतरा: नगर परिषद कार्यालय के प्रधान सहायक सह नाजिर मोहम्मद समसुल हक को उपायुक्त जितेंद्र कुमार सिंह ने निलंबित कर दिया है. उनका निलंबन कार्यपालक पदाधिकारी राजेश कुमार सिन्हा की अनुशंसा पर किया गया है. प्रधान सहायक पर वित्तीय अनियमितता के कई गंभीर आरोप हैं.
वित्तीय अनियमितता को बढ़ावा
कार्यपालक पदाधिकारी सिन्हा ने बताया कि नगर परिषद कार्यालय के विभिन्न बैंकों में दो दर्जन अकाउंटस है, जिसमें प्रधान सहायक सह नाजिर के द्वारा बड़े पैमाने पर हेरा-फेरी की गई है. बैंक पास बुक और कैश बुक में राशि का बड़ा अंतर है. इतना ही नहीं चार बैंक खातों का कैश बुक तक लापता है. उन्होंने बताया कि नाजिर ने कार्यालय आदेश के बावजूद दैनिक मजदूरों की मजदूरी भुगतान में भी वित्तीय अनियमितता को बढ़ावा दिया है.
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नाजिर के निलंबन की कार्रवाई
मामला संज्ञान में आने पर उनको शोकॉज किया गया था, लेकिन उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया, जिसके बाद कार्यपालक पदाधिकारी ने निलंबन की अनुशंसा उपायुक्त से की थी. डीसी ने नाजिर को निलंबित करते हुए उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई को ले प्रपत्र 'क' का गठन कर नगर विकास विभाग को भेजने का निर्देश दिया है. लम्बे समय से नियमविरुद्ध एक ही पद पर जमे नाजिर के निलंबन की कार्रवाई से कार्यालय में हड़कंप मच गया है.
अधिकारियों को अंधेरे में रख करता था गड़बड़ी
प्रधान सहायक के निलंबन की जानकारी मीडिया को देते हुए नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राजेश कुमार सिन्हा ने बताया कि वह अधिकारियों को अंधेरे में रखकर गुमराह करते हुए सरकारी खातों में हेराफेरी करता था. उन्होंने बताया कि शमशुल हक मजदूरों के मजदूरी भुगतान के फाइलों में भी अधिकारियों से कुछ आर्डर करवाता था और भुगतान कम देता था।, जिससे न सिर्फ दिनरात मेहनत करने वाले मजदूरों के जीवन यापन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था, बल्कि विकास कार्यों पर भी इसका नकारात्मक असर दिखने लगा था.
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ईपीएफ राशि
स्पेशल पदाधिकारी ने यह भी बताया कि प्रधान सहायक सह नाजिर के द्वारा बगैर विभागीय आदेश के मजदूरों को मिलने वाले इपीएफ फंड की राशि को यूनियन बैंक में एक खाता (645602010010560) खुलवा कर गैरकानूनी तरके से रखा गया है, जबकि नगर परिषद कार्यालय में ईपीएफ राशि का कोई खाता अलग से नहीं है. उन्होंने बताया कि मजदूरों को मिलने वाली राशि को उनके खातों में ना भेजकर फर्जी खाता खुलवाकर उसमें ईपीएफ की राशि को संग्रहित कर रखना वित्तीय अनियमितता को दर्शाता है.
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प्रत्यक्ष रूप से विभाग में कोई लेखा-जोखा नहीं
नाजिर ने गरीबों के हक का करीब 15 लाख रुपये इस खाते में जमा कर रखा है, जिसका प्रत्यक्ष रुप से विभाग में कोई लेखा-जोखा तक नहीं है. सबसे मजे की बात तो यह है कि उक्त खाते में मजदूरों के हक के जमा राशि के इंटरेस्ट का लाभ कौन ले रहा है. यह भी स्पष्ट नहीं है. कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि शहर के समाहरणालय इलाके में संचालित न्यू विश्वकर्मा गैरेज के संचालक प्रमोद मिस्त्री से पूर्व में टेंडर के आधार पर नगर परिषद कार्यालय ने पानी टैंकर क्रय किया था. इसके लिए पूर्व स्पेशल पदाधिकारी गंगाराम ठाकुर ने उसे 1 लाख 43 हजार रुपये भुगतान करने का ऑर्डर फाइल में दिया था.
1 लाख 43 हजार की स्वीकृत
उनके तबादले के बाद नगर परिषद का प्रभार ग्रहण करने वाले राजेश कुमार सिन्हा को नाजिर ने गुमराह करने की साजिश रची. इस योजना के तहत 1 लाख 43 हजार रुपये की स्वीकृत राशि को बढ़ाकर उसने चुपके से पौने 10 लाख कर दिया और आपूर्तिकर्ता को भुगतान करने को ले कार्यपालक पदाधिकारी के पास चेक बनाकर मंजूरी के लिए फाइल बढ़ा दी, लेकिन राजेश कुमार सिन्हा ने उसकी गड़बड़ी पकड़ ली और शो कॉज करते हुए उसके विरुद्ध कार्रवाई की.
सभी बैंक खातों में लेनदेन
कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि नगर परिषद कार्यालय का शहर के विभिन्न बैंकों में कुल 24 खाते संचालित है. इन सभी बैंक खातों में लेनदेन की संपूर्ण जानकारी नाजिर सह प्रधान सहायक समसुल के पास होती है, लेकिन मजे की बात तो यह है कि विगत दिनों हुए पड़ताल में खातों के कैश बुक और पासबुक में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है. ना तो खाते से कैश बुक मैच कर रहा है और ना ही पासबुक. इतना ही नहीं चार महत्वपूर्ण बैंक खातों का कैश बुक तक लापता है.
लघु सिंचाई विभाग
स्पेशल पदाधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि नगर परिषद कार्यालय में प्रधान सहायक समसुल हक की मनमानी इस कदर चलती थी कि वह अधिकारियों और कर्मियों को तरजीह तक नहीं देता था. कार्यालय में उसके लालफीताशाही रवैये का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नगर परिषद क्षेत्र में स्थित तालाबों और जलाशयों के गणना को लेकर लघु सिंचाई विभाग ने नगर परिषद कार्यालय से गणना कर्मियों की सूची मांगी थी.
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करीबियों के नाम की सूची
इसके बाद प्रधान सहायक ने कार्यपालक पदाधिकारी को सूचित किए बगैर अपना और अपने करीबियों के नाम की सूची बनाकर उसने अपने हस्ताक्षर से लघु सिंचाई विभाग को भेज दिया था, जबकि उस दिन कार्यपालक पदाधिकारी कार्यालय में मौजूद थे. उसने इस सूची में अपने नाम के अलावे लेखापाल शिव कुमार सिंह, चालक मोहम्मद नौशाद, सुरेंद्र कुमार, जमादार मोहम्मद रसूल और कर संग्रह करता विलेश कुमार का नाम शामिल किया था, जिसका खुलासा भी हो चुका है.
शो कॉज का नहीं दिया था संतोषजनक जवाब
विभागीय कार्यो में लापरवाही और वित्तीय अनियमितता कर सरकारी खजाने में हेराफेरी करने वाले प्रधान सहायक सह नाजिर मोहम्मद समसुल हक की कारगुजारी उजागर होने के बाद कार्यपालक पदाधिकारी ने उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया था. नोटिस के माध्यम से उससे जवाब की मांग की गई थी, लेकिन उसने संतोषजनक जवाब नहीं दिया था. इसके बाद निलंबन की अनुशंसा कार्यपालक पदाधिकारी ने उपायुक्त से की थी.
नाजिर का निलंबन
लंबे समय से नियम विरूद्ध एक ही स्थान पर जमे प्रधान सहायक सह नाजिर शमशुल हक के निलंबन से कार्यालय में हड़कंप मच गया है. नाजिर के निलंबन से कार्यालय से जुड़े संवेदको ने राहत की सांस ली है. उन्होंने कहा है कि अगर मामले की निष्पक्षता से जांच हो गई तो जिले का सबसे बड़ा महा घोटाला उजागर हो जाएगा. स्थानीय लोगों ने भी नाजिर के निलंबन को नगर परिषद कार्यालय का पुनर्जन्म बताते हुए कहा है कि फाइलों में सिमटकर दम तोड़ रही विकास योजनाएं अब धरातल पर उतरेंगी.