चतरा: एक ओर केंद्र और राज्य सरकार हर क्षेत्र में विकास की कई योजनाओं को चलाकर लोगों को समृद्ध बनाने में जुटी है. लेकिन चतरा के सिमरिया अनुमंडल में बिरहोर जनजाति परिवार के लोग आज भी आदिम युग में जीने को विवश हैं. बिरहोर परिवार के लोग मूलभूत सुविधाओं से अब तक वंचित हैं. इन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है. जिससे इस परिवार के लोग गंदा पानी पीकर प्यास बुझा रहे हैं.
नहीं मिला उज्ज्वला योजना का लाभ
सिमरिया प्रखंड के बगरा गांव के बिरहोर कलोनी में 5 साल पहले एक जलमीनार और चापाकल लगाया गया था. बिरहोर परिवार के लोग ने जलमीनार से कुछ दिन पानी पीकर प्यास बुझाई, लेकिन कुछ ही महीनों में चापाकल खराब हो गया. जिसके कारण बिरहोर समुदाय कुआं का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. वहीं, बिरहोर जनजाति के महिलाओं को आजतक तक उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिला पाया है. जिससे जलती अंगेठी में महिलाएं फूंक मारने को विवश हैं. बिजली की सुविधा नहीं होने के कारण अंधेरे में रहना पड़ता है.
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चुनाव के समय याद आ रही समस्याएं
कोई भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी इन बिरहोर परिवार की स्थित देखने और जानने की कोशिश नहीं करता. जिसके कारण बिरहोर परिवार की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है. सरकार का हर दावा इस गांव में फेल होता जाता है. बिरहोर समुदाय के लोगों का कहना है कि अब नेताओं को इस चुनाव में ये याद आ रहा है कि यहां पानी की समस्या है. रोज कोई ना कोई नेता उनसे वोट मांग रहे हैं. पिछले 5 सालों में कोई भी उनकी समस्या सुनने नहीं आया, लेकिन अब हाथ जोड़कर विनती की जा रही है. नेता बस वोट मांग रहे हैं.