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सावधान! खतरे में है बच्चों की जान, लापरवाह बना प्रशासन, नहीं दे रहा ध्यान

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Published : Jan 7, 2020, 6:36 PM IST

चतरा के सिमरिया स्थित आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकान में चल रहे हैं. यहां 20 से ज्यादा बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. इस आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को खेलना तो दूर बैठना तक मुहाल है.

Anganwadi center, आंगनबाड़ी केंद्र
डिजाइन इमेज

चतरा: बच्चों को बुनियादी ज्ञान के जरिए शिक्षित करने के लिए सरकार ने तमाम जगहों पर आंगनबाड़ी केंद्र खोले हैं. लेकिन बुनियादी ज्ञान से बच्चों को शिक्षित करने के दावे खोखले नजर आते हैं, उसकी तस्वीर आप देख सकते हैं. चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड में बाल विकास विभाग की ओर से संचालित आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकान में ही चल रहा है. विभाग की लापरवाही से अब तक भवन निर्माण नहीं हो पा रहा है और बच्चे जर्जर मकान में रहने को मजबूर हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

किराए के मकान में आंगनबाड़ी केंद्र
बता दें कि सिमरिया प्रखंड में अभी भी 70 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकान में चल रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्र चार से पांच फीट कमरे में चलाया जा रहा है. जिसमें 20 से ज्यादा बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. इस आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों का खेलना तो दूर उनका बैठना तक मुहाल है. आंगनबाड़ी केंद्र गरीब बच्चों का प्ले स्कूल कब बनेगा यह तो कोई नहीं बता सकता, लेकिन कुपोषण से निजात पाने के लिए जो बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचते हैं उनकी जान सांसत में है.

ये भी पढ़ें- लंबित मामले पर पुलिसिया कार्रवाई शुरू, कोयला उठाव मामले के अभियुक्तों को किया गिरफ्तार

कभी भी घट सकती है बड़ी घटना
सिमरिया में कई आंगनबाड़ी केंद्रों में एक ही रूम में बच्चों की पढ़ाई होती है और मध्याहन भोजन भी बनाया जा रहा है. नियम के मुताबिक भोजन बनाने वाले रूम में किसी बच्चे को नहीं रखना चाहिए. मामूली चूक होने पर कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है.

अधिकारी ने दिया आश्वासन
इस मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने बाल विकास परियोजना पदाधिकारी प्रतिमा कुमारी से कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र भवनविहीन है. इसके लिए सरकार से अनुरोध किया गया है, जल्द ही आंगनबाड़ी केंद्र के नये भवन का निर्माण कराया जाएगा.

चतरा: बच्चों को बुनियादी ज्ञान के जरिए शिक्षित करने के लिए सरकार ने तमाम जगहों पर आंगनबाड़ी केंद्र खोले हैं. लेकिन बुनियादी ज्ञान से बच्चों को शिक्षित करने के दावे खोखले नजर आते हैं, उसकी तस्वीर आप देख सकते हैं. चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड में बाल विकास विभाग की ओर से संचालित आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकान में ही चल रहा है. विभाग की लापरवाही से अब तक भवन निर्माण नहीं हो पा रहा है और बच्चे जर्जर मकान में रहने को मजबूर हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

किराए के मकान में आंगनबाड़ी केंद्र
बता दें कि सिमरिया प्रखंड में अभी भी 70 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकान में चल रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्र चार से पांच फीट कमरे में चलाया जा रहा है. जिसमें 20 से ज्यादा बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. इस आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों का खेलना तो दूर उनका बैठना तक मुहाल है. आंगनबाड़ी केंद्र गरीब बच्चों का प्ले स्कूल कब बनेगा यह तो कोई नहीं बता सकता, लेकिन कुपोषण से निजात पाने के लिए जो बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचते हैं उनकी जान सांसत में है.

ये भी पढ़ें- लंबित मामले पर पुलिसिया कार्रवाई शुरू, कोयला उठाव मामले के अभियुक्तों को किया गिरफ्तार

कभी भी घट सकती है बड़ी घटना
सिमरिया में कई आंगनबाड़ी केंद्रों में एक ही रूम में बच्चों की पढ़ाई होती है और मध्याहन भोजन भी बनाया जा रहा है. नियम के मुताबिक भोजन बनाने वाले रूम में किसी बच्चे को नहीं रखना चाहिए. मामूली चूक होने पर कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है.

अधिकारी ने दिया आश्वासन
इस मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने बाल विकास परियोजना पदाधिकारी प्रतिमा कुमारी से कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र भवनविहीन है. इसके लिए सरकार से अनुरोध किया गया है, जल्द ही आंगनबाड़ी केंद्र के नये भवन का निर्माण कराया जाएगा.

Intro:चतरा: सावधान! खतरे में है बच्चों की जान, प्रशासन अनजान

चतरा: बच्चों को बुनियादी ज्ञान के जरिए शिक्षित करने के लिए सरकार ने तमाम जगहों पर आंगनबाड़ी केंद्र खोले हैं। लेकिन बुनियादी ज्ञान से बच्चों को शिक्षित करने के दावे खोखले नजर आते हैं, उसकी तस्वीर आप देख सकते हैं। चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड में बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनवाड़ियां किराए के मकान में ही चल रही है। विभाग की लापरवाही से अब तक भवन निर्माण नहीं हो पा रहा है और बच्चे जर्जर मकान में रहने को मजबूर हैं। गौरतलब है कि सिमरिया प्रखंड में अभी भी 70 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकान में चल रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्र चार से पांच फीट कमरे में चलाया जा रहा है। जिसमें 20 से ज्यादा बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। इस आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को खेलना तो दूर की बात बैठना तक मुहाल है।

1. बाईट: दुलारी देवी, स्थानीय ग्रामीण
2. बाईट: आंगनबाड़ी सेविका, रूबी कुमारी
3. बाईट: बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, प्रतिमा कुमारीBody:आंगनबाड़ी केंद्र गरीब बच्चों का प्ले स्कूल कब बनेंगे यह तो कोई नहीं बता सकता, लेकिन कुपोषण से निजात पाने के लिए जो बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचते हैं उनकी जान सांसत में हैं। सिमरिया में कई आंगनबाड़ी केंद्र के एक ही रूम में बच्चों की पढ़ाई व मध्यान्ह भोजन बनाया जा रहा है। नियतम: भोजन बनाने वाले रूम में कोई भी बच्चे को नहीं रखना चाहिए। मामूली चूक होने पर कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है। मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने बाल विकास परियोजना पदाधिकारी प्रतिमा कुमारी से कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र भवन विहीन है। इसके लिए सरकार से अनुरोध किया गया है। जल्द ही आंगनबाड़ी केंद्र के नये भवन का निर्माण कराया जाएगा।Conclusion:अब सवाल यह है कि जिस झारखंड में बैठकर सरकार नीति बनाती है प्रशासन के बड़े अधिकारी बैठकर उस नीति को लागू करते हैं। तर्क तो यह है कि सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों का मॉडल लुक देकर कायाकल्प में जुटी है। लेकिन सरकार के नुमाइंदे ही इन कोशिशों को कामयाब नहीं होने दे रहे हैं।

मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत चतरा
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