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सेनापति मोदी के झारखंड से कौन हो सकते हैं सिपहसालार, इन चेहरों की है चर्चा - Prime Minister Narendra Modi

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद दुबारा बीजेपी की सरकार बनने जा रही है. झारखंड के 12 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया. वहीं अब चर्चा है कि झारखंड से दो सांसदों को केंद्रीय मंत्री का पद मिल सकता है.

दीनदयाल बर्णवाल, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी
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Published : May 25, 2019, 4:58 PM IST

Updated : May 25, 2019, 7:33 PM IST

रांची: देश में दोबारा सत्ता में आई बीजेपी सरकार में सेनापति के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर औपचारिक मुहर लगनी बाकी है. 2014 में सत्ता में आने के बाद झारखंड से बीजेपी के दो सांसदों को केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी गई थी. ऐसे में उस हिसाब से दोबारा सत्ता में आने पर दो केंद्रीय मंत्री झारखंड कोटे से होने की चर्चा तेज हो गई है.

दीनदयाल बर्णवाल, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

वहीं, सबसे बड़ी विडंबना यह है कि दोनों पूर्व केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत और जयंत सिन्हा दुबारा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. ऐसे में उनकी दावेदारी के साथ-साथ कुछ अन्य चेहरे ऐसे हैं जिनको लेकर संगठन के अंदर और बाहर चर्चा तेज है.

एक ट्राईबल और एक नॉन ट्राईबल को मिला था मंत्री पद
दरअसल, 2014 के इलेक्शन के बाद केंद्र में राज्य से दो केंद्रीय मंत्री बने. जिसमें से एक ट्राइबल चेहरा के रूप में सुदर्शन भगत को आगे किया गया. वहीं नॉन ट्राइबल के रूप में जयंत सिन्हा को शामिल किया गया. इस फार्मूले पर बात करें तो राज्य के एक ट्राइबल एमपी को मौका मिल सकता है. उस हिसाब से भगत के अलावे अर्जुन मुंडा और सुनील सोरेन का नाम प्रमुख है.

3 बार फॉर्मर सीएम रहे मुंडा क्राइसिस मैनेजमेंट में निपुण
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा राज्य के तीन बार सीएम रह चुके हैं. 2014 में विधानसभा का चुनाव हारने के बाद लगातार कथित रूप से हाशिए पर रहे मुंडा ने खुंटी संसदीय इलाके से जीत दर्ज कराई है. हालांकि कड़े संघर्ष के बाद 1,445 वोटों के मार्जिन से अपनी जीत दर्ज कराने वाले मुंडा ने बीजेपी की परंपरागत सीट को बचा कर मिसाल कायम किया है.

आठ बार सांसद रहे कड़िया मुंडा की जगह बीजेपी ने अर्जुन मुंडा को टिकट दिया था. मुंडा न केवल अच्छे वक्ता के रूप में जाने जाते हैं बल्कि राज्य में ट्राइबल कम्युनिटी के बीच इनकी स्वीकार्यता बहुत अधिक है, साथ ही वो निपुण क्राइसिस मैनेजर भी माने जाते हैं. ऐसे में सेंट्रल कैबिनेट में इन्हें जगह देने को लेकर भी चर्चा है.

शिबू सोरेन को हराने वाले सुनील सोरेन रेस में
दुमका में बीजेपी का परचम लहराने वाले सुनील सोरेन का नाम भी जोरों पर है. दरअसल सुनील सोरेन पिछले दो बार से शिबू सोरेन से लोकसभा चुनाव हार रहे थे. बावजूद इसके पार्टी ने तीसरी बार उन पर भरोसा कर उन्हें टिकट दिया. सोरेन ने झामुमो सुप्रीमो को न केवल हराया बल्कि बीजेपी के पेनिट्रेशन को भी उस इलाके में बढ़ाया. सुनील सोरेन, शिबू सोरेन के बेटे दुर्गा सोरेन के दाहिने हाथ समझे जाते थे.

2004 में मतभेद होने के बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया था. वह बीजेपी से जामा विधानसभा इलाके से विधायक भी रह चुके हैं. वहीं, 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो सुप्रीमो के दूसरे बेटे हेमंत सोरेन को हराने वाली लुईस मरांडी को स्टेट कैबिनेट में जगह दी गई थी. ऐसे में सुनील सोरेन ने झामुमो सुप्रीमो को हराकर अपनी दावेदारी मजबूत किया है.

महिला एमपी को लेकर भी लगाये जा रहे हैं कयास
वहीं, कोडरमा से बीजेपी की उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी भी एक प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं. दरअसल अन्नपूर्णा देवी लोकसभा चुनाव के पहले राजद से बीजेपी में शिफ्ट हुई और पार्टी ने उन्हें तुरंत टिकट दे दिया. हालांकि इसे लेकर काफी जद्दोजहद भी हुई. कोडरमा बीजेपी की सिटिंग सीट थी और रविंद्र कुमार राय वहां से सांसद रह चुके हैं. राय का टिकट काटकर अन्नपूर्णा देवी को पार्टी ने मौका दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि अन्नपूर्णा देवी 4.5 लाख से अधिक मतों के अंतर से कोडरमा से जीत कर के आई.

क्या कहते हैं पार्टी नेता
प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता दीनदयाल बर्नवाल कहना है कि 2014 में पार्टी में 12 सांसद दिए थे. उस समय केंद्र में दो मंत्री बने थे. इस बार 2019 में भी एनडीए फोल्डर के 12 सांसद विजयी हुए हैं जिसमें कम से कम दो मंत्री झारखंड के कोटे से हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस पर अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करता है.

रांची: देश में दोबारा सत्ता में आई बीजेपी सरकार में सेनापति के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर औपचारिक मुहर लगनी बाकी है. 2014 में सत्ता में आने के बाद झारखंड से बीजेपी के दो सांसदों को केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी गई थी. ऐसे में उस हिसाब से दोबारा सत्ता में आने पर दो केंद्रीय मंत्री झारखंड कोटे से होने की चर्चा तेज हो गई है.

दीनदयाल बर्णवाल, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

वहीं, सबसे बड़ी विडंबना यह है कि दोनों पूर्व केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत और जयंत सिन्हा दुबारा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. ऐसे में उनकी दावेदारी के साथ-साथ कुछ अन्य चेहरे ऐसे हैं जिनको लेकर संगठन के अंदर और बाहर चर्चा तेज है.

एक ट्राईबल और एक नॉन ट्राईबल को मिला था मंत्री पद
दरअसल, 2014 के इलेक्शन के बाद केंद्र में राज्य से दो केंद्रीय मंत्री बने. जिसमें से एक ट्राइबल चेहरा के रूप में सुदर्शन भगत को आगे किया गया. वहीं नॉन ट्राइबल के रूप में जयंत सिन्हा को शामिल किया गया. इस फार्मूले पर बात करें तो राज्य के एक ट्राइबल एमपी को मौका मिल सकता है. उस हिसाब से भगत के अलावे अर्जुन मुंडा और सुनील सोरेन का नाम प्रमुख है.

3 बार फॉर्मर सीएम रहे मुंडा क्राइसिस मैनेजमेंट में निपुण
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा राज्य के तीन बार सीएम रह चुके हैं. 2014 में विधानसभा का चुनाव हारने के बाद लगातार कथित रूप से हाशिए पर रहे मुंडा ने खुंटी संसदीय इलाके से जीत दर्ज कराई है. हालांकि कड़े संघर्ष के बाद 1,445 वोटों के मार्जिन से अपनी जीत दर्ज कराने वाले मुंडा ने बीजेपी की परंपरागत सीट को बचा कर मिसाल कायम किया है.

आठ बार सांसद रहे कड़िया मुंडा की जगह बीजेपी ने अर्जुन मुंडा को टिकट दिया था. मुंडा न केवल अच्छे वक्ता के रूप में जाने जाते हैं बल्कि राज्य में ट्राइबल कम्युनिटी के बीच इनकी स्वीकार्यता बहुत अधिक है, साथ ही वो निपुण क्राइसिस मैनेजर भी माने जाते हैं. ऐसे में सेंट्रल कैबिनेट में इन्हें जगह देने को लेकर भी चर्चा है.

शिबू सोरेन को हराने वाले सुनील सोरेन रेस में
दुमका में बीजेपी का परचम लहराने वाले सुनील सोरेन का नाम भी जोरों पर है. दरअसल सुनील सोरेन पिछले दो बार से शिबू सोरेन से लोकसभा चुनाव हार रहे थे. बावजूद इसके पार्टी ने तीसरी बार उन पर भरोसा कर उन्हें टिकट दिया. सोरेन ने झामुमो सुप्रीमो को न केवल हराया बल्कि बीजेपी के पेनिट्रेशन को भी उस इलाके में बढ़ाया. सुनील सोरेन, शिबू सोरेन के बेटे दुर्गा सोरेन के दाहिने हाथ समझे जाते थे.

2004 में मतभेद होने के बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया था. वह बीजेपी से जामा विधानसभा इलाके से विधायक भी रह चुके हैं. वहीं, 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो सुप्रीमो के दूसरे बेटे हेमंत सोरेन को हराने वाली लुईस मरांडी को स्टेट कैबिनेट में जगह दी गई थी. ऐसे में सुनील सोरेन ने झामुमो सुप्रीमो को हराकर अपनी दावेदारी मजबूत किया है.

महिला एमपी को लेकर भी लगाये जा रहे हैं कयास
वहीं, कोडरमा से बीजेपी की उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी भी एक प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं. दरअसल अन्नपूर्णा देवी लोकसभा चुनाव के पहले राजद से बीजेपी में शिफ्ट हुई और पार्टी ने उन्हें तुरंत टिकट दे दिया. हालांकि इसे लेकर काफी जद्दोजहद भी हुई. कोडरमा बीजेपी की सिटिंग सीट थी और रविंद्र कुमार राय वहां से सांसद रह चुके हैं. राय का टिकट काटकर अन्नपूर्णा देवी को पार्टी ने मौका दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि अन्नपूर्णा देवी 4.5 लाख से अधिक मतों के अंतर से कोडरमा से जीत कर के आई.

क्या कहते हैं पार्टी नेता
प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता दीनदयाल बर्नवाल कहना है कि 2014 में पार्टी में 12 सांसद दिए थे. उस समय केंद्र में दो मंत्री बने थे. इस बार 2019 में भी एनडीए फोल्डर के 12 सांसद विजयी हुए हैं जिसमें कम से कम दो मंत्री झारखंड के कोटे से हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस पर अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करता है.

Intro:बाइट दीनदयाल बरनवाल प्रदेश प्रवक्ता बीजेपी


रांची। देश में दोबारा सत्ता में आई बीजेपी सरकार में सेनापति के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर औपचारिक मुहर लगनी बाकी है। साथ ही उनके सिपहसालारों को लेकर झारखंड में चर्चा का दौर शुरू हो गया है। 2014 में सत्ता में आने के बाद झारखंड से बीजेपी के दो सांसदों को केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी गई थी। ऐसे में उस हिसाब से दोबारा सत्ता में आने पर दो केंद्रीय मंत्री झारखंड कोटे से होने की चर्चा तेज हो गई है। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि दोनों पूर्व केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत और जयंत सिन्हा दुबारा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी के साथ साथ कुछ अन्य चेहरे ऐसे हैं जिनको लेकर संगठन के अंदर और बाहर चर्चा तेज़ है।

एक ट्राईबल और एक नॉन ट्राईबल को मिला था मंत्री पद
दरअसल 2014 के इलेक्शन के बाद केंद्र में राज्य से दो केंद्रीय मंत्री बने जिसमें से एक ट्राइबल चेहरा के रूप में सुदर्शन भगत को आगे किया गया वहीं नॉन ट्राइबल के रूप में जयंत सिन्हा को शामिल किया गया। इस फार्मूले पर बात करें तो राज्य के एक ट्राइबल एमपी कोई मौका मिल सकता है। उस हिसाब से भगत के अलावे अर्जुन मुंडा और सुनील सोरेन का नाम प्रमुख है।


Body:3 बार फॉर्मर सीएम रहे मुंडा माने जाते हैं क्राइसिस मैनेजमेंट के लिये
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा राज्य के तीन बार सीएम रह चुके हैं। 2014 में विधानसभा का चुनाव हारने के बाद लगातार कथित रूप से हाशिए पर रह रहे मुंडा ने खुंटी संसदीय इलाके से से जीत दर्ज कराई है। हालांकि कड़े संघर्ष के बाद 1445 वोटों के मार्जिन से अपनी जीत दर्ज कराने वाले मुंडा ने बीजेपी की परंपरागत सीट को बचा करें मिसाल कायम की है। वहां से आठ बार सांसद रहे कड़िया मुंडा की जगह बीजेपी ने अर्जुन मुंडा को टिकट दिया था। मुंडा न केवल अच्छे वक्ता के रूप में जाने जाते हैं बल्कि राज्य में ट्राइबल कम्युनिटी के बीच इनकी स्वीकार्यता बहुत अधिक है। साथ ही वो निपुण क्राइसिस मैनेजर भी माने जाते हैं। ऐसे में सेंट्रल कैबिनेट में इन्हें जगह देने को लेकर भी चर्चा है।

दिशोम गुरु शिबू सोरेन को हराने वाले सुनील सोरेन हैं रेस में
दुमका में बीजेपी का परचम लाला रहने वाले सुनील सोरेन का नाम भी है जोरों पर। दरअसल सुनील सोरेन पिछले दो बार से शिबू सोरेन से लोकसभा चुनाव हार रहे थे बावजूद इसके पार्टी ने तीसरी बार उन पर भरोसा कर आया और उन्हें टिकट दिया। सोरेन ने झामुमो सुप्रीमो को न केवल हराया बल्कि बीजेपी के पेनिट्रेशन को भी उस इलाके में बढ़ाया। सोरेन, शिबू सोरेन के बेटे दुर्गा सोरेन के दाहिने हाथ समझे जाते थे लेकिन 2004 में मतभेद होने के बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया था। वह बीजेपी से जामा विधानसभा इलाके से विधायक भी रह चुके हैं। दरअसल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो सुप्रीमो के दूसरे बेटे हेमंत सोरेन को हराने वाली लुईस मरांडी को स्टेट कैबिनेट में जगह दी गई थी। ऐसे में सुनील सोरेन ने झामुमो सुप्रीमो को हराकर अपनी दावेदारी मजबूत किया है।


Conclusion:महिला एमपी को लेकर भी लगाये जा रहे हैं कयास
वही कोडरमा से बीजेपी की उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी भी एक प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। दरअसल अन्नपूर्णा लोकसभा चुनाव के ऐन पहले राजद से बीजेपी में शिफ्ट हुई और पार्टी ने उन्हें तुरंत टिकट दे दिया। हालांकि इसको लेकर काफी जद्दोजहद भी हुई क्योंकि कोडरमा बीजेपी की सिटिंग सीट थी और रविंद्र कुमार राय है वहां से सांसद रहे। राय का टिकट काटकर अन्नपूर्णा देवी को पार्टी ने मौका दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि अन्नपूर्णा देवी 4.5 लाख से अधिक मतों के अंतर से कोडरमा से जीत कर के आई। अन्नपूर्णा राजद की पुरानी सिपाही रही हैं और वह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के काफी करीबी मानी जाती है। अन्नपूर्णा देवी को मौका देकर बीजेपी राज्य में बिहार से सटे यादव वोटर और अन्य ओबीसी वर्ग के वोटरों को लुभा सकता है। अगले कुछ महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में अन्नपूर्णा देवी का मंत्री बनना पार्टी के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।

क्या कहते हैं पार्टी नेता
प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल कहते हैं 2014 में पार्टी में 12 सांसद दिए थे। उस समय केंद्र में दो मंत्री बने थे। इस बार 2019 में भी एनडीए फोल्डर के 12 सांसद विजयी हुए हैं तो कम से कम दो मंत्री झारखण्ड के कोटे से हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि इस पर अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करता है।
Last Updated : May 25, 2019, 7:33 PM IST
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