रांची: वन अधिकार एवं भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर रांची में आदिवासी संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा जन विमर्श का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य रूप से 2013 में लाए गए वनाधिकार कानून को 2017 में दोबारा लाए गए प्रस्ताव को बदलने पर चर्चा की गई.
सामाजिक कार्यकर्ता दयामणि बारला ने बताया कि 2013 में लाए गए वनाधिकार कानून को जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के द्वारा 2017 में बदला गया. इस बदलाव से सिर्फ कॉर्पोरेट घरानों को फायदा दिलाना है और यह बदलाव कहीं ना कहीं आदिवासी समाज के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर रहा है.
साथ ही दयामणि बारला ने बताया कि आज इस जन-विमर्श और चर्चा की जरूरत है. ताकि आने वाले चुनाव में जंगल में रहने वाले जनता जागरूक हो और उन तक संदेश पहुंचे कि इनका जमीन उनका हक है.