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बच्चों के चेहरे पर 'फिरकी' से मुस्कान लाने वाले कारीगरों को जिंदगी के करवट लेने का है इंतजार - smile on faces of children

रंग बिरंगे कागज के बने फिरकी खिलौनों को देखकर बच्चों के चेहरे खिल जाते है. लेकिन भागदौर और आधुनिकीकरण के इस युग में कई ऐसी चिजें है जो समय के साथ बदल गया है और लुप्त हो जा रही है. लेकिन कई ऐसे कारीगर आज भी है जो इस जिंदा रखे है उन्हें इस खिलौने की मेहनत का मेहनताना भी ठीक से नहीं मिल पाता है.

'फिरकी' बच्चों का मनपसंद खिलौना
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Published : Apr 15, 2019, 12:44 PM IST

Updated : Apr 15, 2019, 4:11 PM IST

रांची: 'फिरकी' बच्चों का मनपसंद खिलौना है. रंग-बिरंगे कागज से बने इस खिलौने को देख कर बच्चों का चेहरा खिल उठता है. लेकिन बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने वाले इस खिलौने को बनाने वालों के चेहरों से खुशी अब दूर होती जा रही है.

'फिरकी' बच्चों का मनपसंद खिलौना

कागज और बांस से बना खिलौना 'फिरकी' हर किसी के बचपन की यादों को ताजा कर देती है. आज जबकि एक से बढ़कर एक लेटेस्ट डिजाइन के खिलौने की बाजार में भरमार है. लेकिन फिरकी आज भी अपने पुराने स्वरूप में दिखती है, बच्चों को खूब पसंद आती है.

हर मेले में यह खिलौना आकर्षण का केंद्र होता है. पिछले 33 वर्षों से कारीगर इस खिलौने को बनाने के लिए रांची आते हैं. पहले फिरकी की कीमत 10 पैसे हुआ करती थी. जो समय के साथ बढ़कर अब 10 रुपये हो गया है. झारखंड के अलावे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा के अलावे कई राज्यों में इस खिलौने की डिमांड है.

कारीगरों की माने तो मेहनत और लागत के मुताबिक कोई खास कमाई नहीं होती है. जिसके बावजूद बच्चों की खुशी के लिए इस कार्य में कुछ लोग अभी भी जुड़े हुए हैं.
विजय कुमार गोप ईटीवी भारत रांची

रांची: 'फिरकी' बच्चों का मनपसंद खिलौना है. रंग-बिरंगे कागज से बने इस खिलौने को देख कर बच्चों का चेहरा खिल उठता है. लेकिन बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने वाले इस खिलौने को बनाने वालों के चेहरों से खुशी अब दूर होती जा रही है.

'फिरकी' बच्चों का मनपसंद खिलौना

कागज और बांस से बना खिलौना 'फिरकी' हर किसी के बचपन की यादों को ताजा कर देती है. आज जबकि एक से बढ़कर एक लेटेस्ट डिजाइन के खिलौने की बाजार में भरमार है. लेकिन फिरकी आज भी अपने पुराने स्वरूप में दिखती है, बच्चों को खूब पसंद आती है.

हर मेले में यह खिलौना आकर्षण का केंद्र होता है. पिछले 33 वर्षों से कारीगर इस खिलौने को बनाने के लिए रांची आते हैं. पहले फिरकी की कीमत 10 पैसे हुआ करती थी. जो समय के साथ बढ़कर अब 10 रुपये हो गया है. झारखंड के अलावे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा के अलावे कई राज्यों में इस खिलौने की डिमांड है.

कारीगरों की माने तो मेहनत और लागत के मुताबिक कोई खास कमाई नहीं होती है. जिसके बावजूद बच्चों की खुशी के लिए इस कार्य में कुछ लोग अभी भी जुड़े हुए हैं.
विजय कुमार गोप ईटीवी भारत रांची

Intro:रांची बाइट--कारीगर धनंजय मंडल( बूढ़ा) बाइट--कारीगर शेयमल कुमार मंडल(जवान) एंकर---"फिरकी" आप इसे क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाला शब्द ना समझे लड़की फिरकी एक ऐसा खिलौना है, जिसे हम आप और हमारे दादा परदादाओं ने भी अपने बचपन में इस खिलौने के जरिए खूब खूब मनोरंजन किया है और आज भी यह फिरकी कि बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय काफी लोकप्रिय है। आधुनिक परिवेश में बच्चों के लिए मनोरंजन के कई आकर्षक साधन मौजूद है लेकिन इन सब के बीच फिर की एक ऐसा खिलौना है जो रोते हुए बच्चों के चेहरे पर मुस्कान ला देती है


Body:कागज और बांस से बना खिलौना फिरकी हर किसी के बचपन की यादों को ताजा कर देता है जैसे जैसे समय बीतता चला गया नया नए प्रकार की महंगे खिलौने बाजार में देखने को मिलता गया लेकिन फिरकी आज भी उसी स्वरूप में देखने को मिलता है। हवा में इस तरह घूमती मानो पंखा घूम रहा हो। जिसे बच्चा देख पाने की जिद पर अड़ जाते है और अपने अभिभावक से खरीदने की जीत करने लगते हैं जैसे ही उनके हाथ में पहुंचता है वैसे ही बच्चों की आंखों में आंसू थम जाती है और खुशी के मारे फुले नहीं समाते। बाइट---कारीगर बाइट---


Conclusion:वीओ--2--यह आपको किसी खास आयोजन मेला महोत्सव में ही देखने को मिलती है जो मेले का खास आकर्षण का केंद्र होता है इसके बिना मेला की शोभा काफी फीका नजर आता है बच्चे के चेहरे पर मुस्कान और मेले की शोभा बढ़ाने के लिए पिछले 33 वर्षों से कारीगर इस खिलौने बनाने के लिए रांची आ रहे हैं उस दौर में 10 पैसे में फिर से बेचा करते थे जो कि अब ₹10 रुपये हो गया है कारीगरों की मानें तो मेहनत और लागत के मुताबिक कोई खास कमाई नहीं होती जिस के बावजूद बच्चों की खुशी के लिए इस कार्य से जुड़े हुए हैं और झारखंड ही नहीं कई राज्यों में कारीगर फिरकी बना कर बेचते हैं। बाइट---कारीगर फाइनल वीओ....छोटे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों तक दिखने वाला या फिर कि कालांतर को लोंग ते हुए बड़े बड़े महानगरों में भी जा पहुंचा है यही कारण है कि क्रिकेट में भी इस शब्द का प्रयोग किया जाता है साथी आईपीएल जैसे क्रिकेट खेल में भी खेल प्रेमियों के हाथ में देखने को मिलता है
Last Updated : Apr 15, 2019, 4:11 PM IST
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