धनबाद: जिले के टुंडी प्रखंड में अवस्थित बराकर नदी के तट पर चट्टान के उपर दुखिया महादेव नामक भगवान भोलेनाथ का एक शिवलिंग है. जहां न तो कोई मंदिर है और न ही लोग अब मंदिर बनाने का प्रयास करते हैं. लोगों का मानना है कि भगवान शिव नदी के तट पर स्वयं प्रकट हुए और यह दुखिया महादेव हमारे गांव की रक्षा बाढ़ से करते हैं.
चट्टानों पर जो शिवलिंग हैं यह दुखहरण बाबा अर्थात दुखिया महादेव है. यहां हर सोमवार के दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और नदी के तट पर इस शिवलिंग की पूजा होती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इस चट्टान के उपर यह शिवलिंग लगभग 100 वर्ष पहले खुद से प्रकट हुआ है. उस समय टुंडी के राजा ने उस स्थान पर मंदिर बनवाने का प्रयास किया था, लेकिन भगवान ने सपने में आकर मंदिर बनाने से मना कर दिया, जिसके बाद लोग अब वहां पर मंदिर डर से बनाना भी नहीं चाहते.
ग्रामीणों का कहना है कि पहले समय में बराकर नदी में भीषण बाढ़ आया करती थी और बाढ़ का पानी गांव और घरों में भी घुस जाता था. उसी बाढ़ से बचने के लिए लोगों ने शिव की आराधना की और शिव जी चट्टान पर नदी किनारे प्रकट हो गए. लोगों का कहना है कि अभी भी बाढ़ जब आती है तो शिवलिंग उसमें डूब जाता है और शिव जी का पांव पखार कुछ देर के बाद बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम हो जाता है.
ग्रामीण महिलाएं बताती हैं कि दुखिया महादेव के पास ज्यादातर महिलाएं अपनी संतान प्राप्ति के लिए आती हैं. यही नहीं यहां मन्नत मांगने लोग काफी दूर से आते हैं और दुखिया महादेव उस मन्नत को पूरा करते हैं.