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दुखिया महादेव इस गांव में बाढ़ से करते है रक्षा, होती है सभी मन्नतें पूरी

बराकर नदी के तट पर भगवान भोले नाथ का शिवलिंग है. जो 100 पहले खुद अवस्थित हुआ था. माना जाता है कि शिवजी इस गांव में आने वाले बाढ़ से लोगों की और गांव की रक्षा करते है.

दुखिया महादेव करते हैं गांव की रक्षा.
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Published : Mar 9, 2019, 12:09 PM IST

धनबाद: जिले के टुंडी प्रखंड में अवस्थित बराकर नदी के तट पर चट्टान के उपर दुखिया महादेव नामक भगवान भोलेनाथ का एक शिवलिंग है. जहां न तो कोई मंदिर है और न ही लोग अब मंदिर बनाने का प्रयास करते हैं. लोगों का मानना है कि भगवान शिव नदी के तट पर स्वयं प्रकट हुए और यह दुखिया महादेव हमारे गांव की रक्षा बाढ़ से करते हैं.

दुखिया महादेव करते हैं गांव की रक्षा.

चट्टानों पर जो शिवलिंग हैं यह दुखहरण बाबा अर्थात दुखिया महादेव है. यहां हर सोमवार के दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और नदी के तट पर इस शिवलिंग की पूजा होती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इस चट्टान के उपर यह शिवलिंग लगभग 100 वर्ष पहले खुद से प्रकट हुआ है. उस समय टुंडी के राजा ने उस स्थान पर मंदिर बनवाने का प्रयास किया था, लेकिन भगवान ने सपने में आकर मंदिर बनाने से मना कर दिया, जिसके बाद लोग अब वहां पर मंदिर डर से बनाना भी नहीं चाहते.

ग्रामीणों का कहना है कि पहले समय में बराकर नदी में भीषण बाढ़ आया करती थी और बाढ़ का पानी गांव और घरों में भी घुस जाता था. उसी बाढ़ से बचने के लिए लोगों ने शिव की आराधना की और शिव जी चट्टान पर नदी किनारे प्रकट हो गए. लोगों का कहना है कि अभी भी बाढ़ जब आती है तो शिवलिंग उसमें डूब जाता है और शिव जी का पांव पखार कुछ देर के बाद बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम हो जाता है.

ग्रामीण महिलाएं बताती हैं कि दुखिया महादेव के पास ज्यादातर महिलाएं अपनी संतान प्राप्ति के लिए आती हैं. यही नहीं यहां मन्नत मांगने लोग काफी दूर से आते हैं और दुखिया महादेव उस मन्नत को पूरा करते हैं.

धनबाद: जिले के टुंडी प्रखंड में अवस्थित बराकर नदी के तट पर चट्टान के उपर दुखिया महादेव नामक भगवान भोलेनाथ का एक शिवलिंग है. जहां न तो कोई मंदिर है और न ही लोग अब मंदिर बनाने का प्रयास करते हैं. लोगों का मानना है कि भगवान शिव नदी के तट पर स्वयं प्रकट हुए और यह दुखिया महादेव हमारे गांव की रक्षा बाढ़ से करते हैं.

दुखिया महादेव करते हैं गांव की रक्षा.

चट्टानों पर जो शिवलिंग हैं यह दुखहरण बाबा अर्थात दुखिया महादेव है. यहां हर सोमवार के दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और नदी के तट पर इस शिवलिंग की पूजा होती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इस चट्टान के उपर यह शिवलिंग लगभग 100 वर्ष पहले खुद से प्रकट हुआ है. उस समय टुंडी के राजा ने उस स्थान पर मंदिर बनवाने का प्रयास किया था, लेकिन भगवान ने सपने में आकर मंदिर बनाने से मना कर दिया, जिसके बाद लोग अब वहां पर मंदिर डर से बनाना भी नहीं चाहते.

ग्रामीणों का कहना है कि पहले समय में बराकर नदी में भीषण बाढ़ आया करती थी और बाढ़ का पानी गांव और घरों में भी घुस जाता था. उसी बाढ़ से बचने के लिए लोगों ने शिव की आराधना की और शिव जी चट्टान पर नदी किनारे प्रकट हो गए. लोगों का कहना है कि अभी भी बाढ़ जब आती है तो शिवलिंग उसमें डूब जाता है और शिव जी का पांव पखार कुछ देर के बाद बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम हो जाता है.

ग्रामीण महिलाएं बताती हैं कि दुखिया महादेव के पास ज्यादातर महिलाएं अपनी संतान प्राप्ति के लिए आती हैं. यही नहीं यहां मन्नत मांगने लोग काफी दूर से आते हैं और दुखिया महादेव उस मन्नत को पूरा करते हैं.

Intro:धनबाद: धनबाद और गिरिडीह की बॉर्डर पर टुंडी प्रखंड में अवस्थित बराकर नदी के तट पर चट्टान के ऊपर दुखिया महादेव नामक भगवान भोलेनाथ का एक शिवलिंग है. वहां पर ना तो कोई मंदिर है और ना ही लोग अब मंदिर बनाने का प्रयास करते हैं. शिवलिंग नदी के तट पर चट्टान पर खुद से प्रगट हुआ है. गांव के लोग कहते हैं कि दुखिया महादेव हमारे गांव की रक्षा बाढ़ से करते हैं.


Body:जी हा चट्टानों पर आप जो शिवलिंग देख रहे हैं यह दुखहरण बाबा अर्थात दुखिया महादेव है. यहां पर प्रत्येक सोमवार के दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और नदी के तट पर इस शिवलिंग की पूजा करते हैं. ग्रामीणों का कहना है की इस चट्टान के ऊपर यह शिवलिंग लगभग 100 वर्ष पहले खुद से प्रकट हुआ है. उस समय टुंडी के राजा ने उस स्थान पर मंदिर बनवाने का प्रयास किया था लेकिन भगवान ने सपने में आकर मंदिर बनाने से मना कर दिया. जिसके बाद लोग अब वहां पर मंदिर डर से बनाना भी नहीं चाहते.

ग्रामीणों का कहना है कि पहले समय में बराकर नदी में भीषण बाढ़ आया करती थी और बाढ़ का पानी गांव और घरों में भी घुस जाता था.उसी बाढ़ से बचने के लिए लोगों ने शिव की आराधना की और शिव जी चट्टान पर नदी किनारे प्रकट हो गए. अभी भी बाढ़ जब आती है तो शिवलिंग उसमें डूब जाता है और शिव जी का पांव पखार कुछ देर के बाद बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम हो जाता है.अब बाढ़ का पानी गांव तक नहीं पहुंचता. भगवान भोलेनाथ बाढ़ से ग्रामीणों की रक्षा करते हैं.

ग्रामीण महिलाएं बताती हैं कि दुखिया महादेव के पास ज्यादातर महिलाएं अपनी संतान प्राप्ति के लिए आती हैं. जिन्हें कोई बच्चा नहीं होता यहां पर मन्नत मांगने बहुत दूर-दूर से लोग आते हैं और दुखिया महादेव उस मन्नत को पूरा करते हैं.


Conclusion:हमारे देश में एक ही भगवान के अलग अलग रूप अनेक जगहों पर देखे जा सकते हैं. लोगों की आस्था भी ऐसी है की आस्था के आगे सब कुछ फीका पड़ जाता है.
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