रांची: झारखंड के चर्चित बकोरिया एनकाउंटर में सीबीआई जांच को रोकने के लिए झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दायर कर दिया है. सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के स्टैंडिंग काउंसल तपेश कुमार सिंह ने स्पेशल लीव पिटिशन दायर किया है.
क्या है एसएलपी में
सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में राज्य सरकार की तरफ से एडीजी सीआईडी अजय कुमार सिंह ने एफिडेविट किया है. एफिडेविट में कहा गया है कि केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसी, राज्य की विशेष शाखा को डॉक्टर अनुराग समेत अन्य माओवादियों के मूवमेंट की जानकारी मिली थी. इस मूवमेंट के आधार पर कोबरा बटालियन के साथ मिलकर पुलिस ने अभियान चलाया था. पलामू के सतबरवा के बकोरिया में माओवादियों के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ हुई थी, जिसमें माओवादी दस्ते के सदस्य मारे गए थे.
इस मामले की जांच सीआईडी के द्वारा भी करवाई गई थी. एसएलपी में यह बताया गया है कि सीआईडी द्वारा की गई अनुसंधान बिल्कुल सही है. गौरतलब है कि बकोरिया कांड के जांच के क्रम में भी सीआईडी ने मुठभेड़ को सही बताते हुए मृत माओवादियों के खिलाफ आरोप सही पाते हुए क्लोजर रिपोर्ट फाइल किया था.
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सीबीआई जांच जारी है
एक तरफ जहां राज्य सरकार सीबीआई जांच को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ बकोरिया एनकाउंटर में सीबीआई जांच लगातार जारी है. झारखंड में सीबीआई की टीम डीएसपी डीके राय की अगुवाई में लगातार मामले की जांच कर रही है. पूरे मामले की मॉनिटरिंग सीबीआई स्पेशल सेल के एसपी विनय कुमार कर रहे हैं.
हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई जांच
गौरतलब है कि 8 जून 2015 को पलामू के बकोरिया में तथाकथित मुठभेड़ में माओवादी कमांडर डॉ अनुराग, उदय यादव, एजाज अहमद, जोगेश यादव समेत 12 लोग मारे गए थे. पारा टीचर उदय यादव के पिता जवाहर यादव ने मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए हाई कोर्ट में सीबीआई जांच के लिए क्रिमिनल रिट फाइल किया था. जिसके बाद हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.