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'पीएम से जाकर बोला हूं, शर्मिंदगी होती है रघुवर कैबिनेट में मंत्री बने रहना', सुनिए सरयू राय का विस्फोटक इंटरव्यू

झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय रघुवर सरकार के खिलाफ बगावती तेवर में रहे हैं. एक बार फिर से उन्होंने ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में कई खुलासे किए हैं. साथ ही सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं.

मंत्री सरयू राय से बात करते हमारे संवाददाता
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Published : Feb 6, 2019, 4:05 PM IST

रांची: झारखंड की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार में मंत्री सरयू राय संभवतः इस प्रदेश और देश के इकलौते ऐसे मंत्री हैं जो पिछले 4 साल से सरकार में रहकर उसकी खामियों की तरफ ध्यान आकृष्ट कराते आ रहे हैं.

मंत्री सरयू राय से बात करते हमारे संवाददाता
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राय मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में प्रदेश में चल रही सरकार की माइनिंग पॉलिसी और अधिकारियों की लालफीताशाही को लेकर कई चिट्टियां मुख्यमंत्री को लिख चुके हैं. करप्शन के खिलाफ आवाज उठाने वाले राय ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में साफ कहा कि उन्हें बड़ी शर्मिंदगी होती है कि वह इस कैबिनेट में मिनिस्टर हैं, जहां उनकी बात सही ढंग से सुनी नहीं जाती है.


उन्होंने बताया कि अपनी यह पीड़ा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बयां की थी. सरयू राय ने बाकायदा पीएम से अगस्त, 2017 में मुलाकात की और अपना मंत्री पद छोड़ने का भी प्रस्ताव दिया. हालांकि पीएम के आश्वासन के बाद वह झारखंड सरकार में अभी कंटिन्यू कर रहे हैं.

ईटीवी भारत से सरयू राय ने कहा कि 2017 के अगस्त महीने में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और कहा कि इस कैबिनेट में मंत्री रह कर वह शर्मिंदगी का अनुभव करते हैं. उन्होंने कहा चूंकि पीएम मोदी उनके पुराने परिचित हैं और इसलिए उन्होंने उनसे शेयर किया. इस पर प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि अगर कहीं भी गलत हो रहा है तो उसे सब लोग मिल बैठकर ठीक करेंगे.

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बता दें कि राय के पास पहले संसदीय कार्यमंत्री की भी जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने फरवरी, 2018 में उस पद से मुक्त करने के लिए सरकार को लिखा और उनके पास फिलहाल खाद्य, आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण विभाग है.


ईटीवी भारत से मंत्री सरयू राय ने तमाम मुद्दों पर खुलकर बात की है. इंटरव्यू के अगले पार्ट में सरकार के कार्यशैली को लेकर और भी कई खुलासे होंगे. इसके लिए आप बने रहें हमारे साथ.

रांची: झारखंड की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार में मंत्री सरयू राय संभवतः इस प्रदेश और देश के इकलौते ऐसे मंत्री हैं जो पिछले 4 साल से सरकार में रहकर उसकी खामियों की तरफ ध्यान आकृष्ट कराते आ रहे हैं.

मंत्री सरयू राय से बात करते हमारे संवाददाता
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राय मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में प्रदेश में चल रही सरकार की माइनिंग पॉलिसी और अधिकारियों की लालफीताशाही को लेकर कई चिट्टियां मुख्यमंत्री को लिख चुके हैं. करप्शन के खिलाफ आवाज उठाने वाले राय ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में साफ कहा कि उन्हें बड़ी शर्मिंदगी होती है कि वह इस कैबिनेट में मिनिस्टर हैं, जहां उनकी बात सही ढंग से सुनी नहीं जाती है.


उन्होंने बताया कि अपनी यह पीड़ा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बयां की थी. सरयू राय ने बाकायदा पीएम से अगस्त, 2017 में मुलाकात की और अपना मंत्री पद छोड़ने का भी प्रस्ताव दिया. हालांकि पीएम के आश्वासन के बाद वह झारखंड सरकार में अभी कंटिन्यू कर रहे हैं.

ईटीवी भारत से सरयू राय ने कहा कि 2017 के अगस्त महीने में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और कहा कि इस कैबिनेट में मंत्री रह कर वह शर्मिंदगी का अनुभव करते हैं. उन्होंने कहा चूंकि पीएम मोदी उनके पुराने परिचित हैं और इसलिए उन्होंने उनसे शेयर किया. इस पर प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि अगर कहीं भी गलत हो रहा है तो उसे सब लोग मिल बैठकर ठीक करेंगे.

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बता दें कि राय के पास पहले संसदीय कार्यमंत्री की भी जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने फरवरी, 2018 में उस पद से मुक्त करने के लिए सरकार को लिखा और उनके पास फिलहाल खाद्य, आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण विभाग है.


ईटीवी भारत से मंत्री सरयू राय ने तमाम मुद्दों पर खुलकर बात की है. इंटरव्यू के अगले पार्ट में सरकार के कार्यशैली को लेकर और भी कई खुलासे होंगे. इसके लिए आप बने रहें हमारे साथ.

Intro:रांची। झारखंड की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार में मंत्री सरयू राय संभवतः इस प्रदेश और देश के इकलौते ऐसे मंत्री हैं जो पिछले 4 साल से सरकार में रहकर उसकी खामियों की तरफ ध्यान आकृष्ट कराते आ रहे हैं। राय मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में प्रदेश में चल रही सरकार की माइनिंग पॉलिसी और अधिकारियों की लालफीताशाही को लेकर कई चिट्टियां मुख्यमंत्री को लिख चुके हैं। करप्शन के खिलाफ आवाज उठाने वाले राय ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में साफ कहा कि उन्हें बड़ी शर्मिंदगी होती है कि वह इस कैबिनेट में मिनिस्टर हैं, जहां उनकी बात सही ढंग से सुनी नहीं जाती है। उन्होंने बताया कि अपनी यह पीड़ा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बयां की थी। उन्हीने बाकायदा पीएम से अगस्त, 2017 में मुलाकात की और अपना मंत्री पद छोड़ने का भी प्रस्ताव दिया। हालांकि पीएम के आश्वासन के बाद वह झारखंड सरकार में अभी कंटिन्यू कर रहे हैं।


Body:राय ने कहा कि 2017 के अगस्त महीने में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और कहा कि इस कैबिनेट में मंत्री रह कर वह शर्मिंदगी का अनुभव करते हैं। उन्होंने कहा चूंकि पीएम मोदी उनके पुराने परिचित हैं और इसलिए उन्होंने उनसे शेयर किया। इस पर प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि अगर कहीं भी गलत हो रहा है तो उसे सब लोग मिल बैठकर ठीक करेंगे। बता दें कि राय के पास पहले संसदीय कार्यमंत्री की भी जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने फरवरी, 2018 में उस पद से मुक्त करने के लिए सरकार को लिखा और उनके पास फिलहाल खाद्य, आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण विभाग है।

मुख्यमंत्री और प्रदेश स्तर पर लिखी चिट्ठी अब पीएम और केंद्रीय संगठन को भेजेंगे पत्र

राय ने कहा कि अबतक वो अपनी बात राज्य सरकार और प्रदेश के संगठन स्तर तक रखते आ रहे थे लेकिन अब वह इन सरकार की खामियों को लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का ध्यान आकृष्ट करेंगे। उन्होंने कहा तो अब स्थिति ऊपर की आ गई है इसलिए राष्ट्रीय नेताओं के पास जाकर अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि अगर कोई उनके उठाये मामले की उपेक्षा करे और यह मैसेज दें कि उनकी बातें यूं ही तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

नहीं चाहते कि फिर कोई सीएम जेल जाए
मंत्री राय ने कहा कि मौजूदा सरकार प्रोक्सी माइनिंग के मामले पर गंभीरता नहीं दिखा रही है। उन्होंने कहा कि 2012 में उन्होंने अपनी लिखी किताब में इसका जिक्र किया था और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा इसी वजह से जेल गए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी उठाई बिना सबूत के नहीं होती है।उन्होंने कहा कि एकीकृत बिहार के फॉर्मर सीएम लालू प्रसाद और झारखण्ड के फॉर्मर सीएम मधु कोड़ा को जेल की हवा खानी पड़ी तो इसमें कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी उठायी आवाज का भी योगदान है।
उन्होंने साफ कहा कि आवाज वह अब नहीं चाहते कि इस राज्य का कोई और मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की राह पर चले ताकि नतीजा वही निकले जो जेल तक जाता है।

नपते हैं कनीय अधिकारी, कतिपय सीनियर अधिकारियों के खिलाफ नहीं होता एक्शन
उन्होंने कहा कि प्रोक्सी माइनिंग मामले में सरकार गंभीर नहीं है जबकि एम एम आर डी एक्ट 1960 में साफ जिक्र है कि खनन पट्टा को मॉर्गेज या सबलीज़ नहीं किया जा सकता है, उसे किराए पर नहीं दे सकते लेकिन झारखंड में कई ऐसी कंपनियां हैं जो यह काम कर रही हैं। सरकार के पास एक्ट के नियम 37 का उल्लंघन करने वाली कंपनियों की जानकारी भी है। उन्होंने कहा कि हैरत की बात यह है कि खान विभाग के बड़े अधिकारियों को इसकी जानकारी भी है, लेकिन वैसी कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं हो रही है।

अधिकारी वही जवाब अलग अलग
उन्होंने कहा कि 2015 में जब सरकार बनी थी तब 3 उच्च स्तरीय कमेटी इसकी जांच के लिए बनी। तीनों समितियों ने स्पष्ट किया कि कुछ कंपनियां ऐसा कर रही हैं। वहीं जब यह मामला राजस्व पर्षद के सामने सुनवाई के लिए आया तो वही अधिकारी जो तीनों कमेटियों में थे और जिन्होंने प्रॉक्सी माइनिंग के खिलाफ रिपोर्ट दी थी पर्षद के समक्ष तर्क दिया कि उनके पास इतने कागजात नहीं है कि उन कंपनियों के प्लीज को रद्द कर दिया जाए। मंत्री राय ने कहा कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।

सरकार की जानकारी में हुआ अवैध खनन, अब कोर्ट को देना होगा जवाब
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2017 से दिसंबर 2017 तक कुछ खनन कंपनी ऐसी हैं जिन्होंने अवैध खनन किया है और इसकी सूचना भी उन्होंने विभाग और मुख्यमंत्री को दी मगर कोई कार्यवाही नहीं हुई। अब जब यह मामला उठाया जाएगा तो सरकार इनके खिलाफ नोटिस जारी करेगी और खजाने का रूप में कुछ करोड़ रुपए जमा कर आएगी।उन्होंने कहा कि इस मामले को लगभग 9 महीने तक अवैध खनन होने और उनके जानकारी देने के बाद भी कार्यवाही नहीं हुई। इतना ही नहीं इसी बीच में उन कंपनियों का माइनिंग लीज भी एक्सटेंड हो गया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि अगर कोई वॉयलेटर एक्ट के नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे माइनिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर ऐसे में सरकार ने अनुमति दी है तो जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार फिर छोटे का अधिकारीयों पर कार्रवाई करके अपना पल्ला झाड़ देगी जबकि इस तरह के अवैध खनन और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी।


Conclusion:उन्होंने कहा कि सारंडा मामले को लेकर के 2012-13 में उन्होंने झारखण्ड हाई कोर्ट में एक पीआईएल किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और खान सचिव को भी स्पष्ट कहा है कि अगर उनका रवैया नहीं सुधरेगा तो उस मामले में इंटरलॉक्यूटरी एप्लीकेशन दायर किया जाएगा और कोर्ट को सूचना दी जाएगी। इन सभी लोगों को पार्टी बनाया जाएगा । इस मामले में 8 तारीख तक उन्हें जवाब भी देना है।

उन्होंने कहा कि उनके चिट्ठी लिखने और सरकार को बार-बार ताकीद करने की व्याख्या कोई भी जैसे भी कर सकता है लेकिन जो सत्य है वह सत्य है और वह बिना पर्याप्त सबूत के ऐसी कोई सुझाव सरकार को नहीं देते हैं। उन्होंने साफ कहा कि दो पूर्व मुख्यमंत्री उनकी वजह से जेल गए और अब कोई तीसरा जाए यह उन्हें अच्छा नहीं लगेगा।
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