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सरहुल पूजा विधि-विधान के साथ संपन्न, पाहन ने कहा- इस बार होगी अच्छी बारिश

राजधानी में सरहुल पूजा पूरे विधी-विधान के साथ संपन्न हुआ. आदिवासी समाज के लोगों ने पूरे धूमधाम के साथ पर्व को मनाया. पाहन ने घड़ें में रखे पानी को देखकर बताया कि इस बार अच्छी बारिश के साथ फसल भी अच्छी होगी .

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Published : Apr 8, 2019, 5:40 PM IST

इस बार होगी अच्छी बारिश

रांची: प्राकृति का महापर्व सरहुल पूजा पाहन के द्वारा पूरे विधि विधान के साथ किया गया. सरहुल आदिवासियों के प्रमुख त्योहारों में से एक है. सरहुल पर्व से ही आदिवासी समाज के लोग नए वर्ष की शुरुआत करते हैं. आज के दिन से ही हर शुभ काम किया जाता है. सुबह से ही मुख्य पाहन के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है.

इस बार होगी अच्छी बारिश

पाहन जगलाल ने बीते शाम घड़े में रखे पानी को देखा और बताया कि इस बार बारिश अच्छी होगी. भंडार में काफी मात्रा में पानी है जिसके कारण बारिश खूब अच्छी होगी और फसल भी अच्छी होगी. सरना स्थल पर विधि विधान के साथ पूजा हुई. इसके बाद आदिवासी परंपरा के अनुसार 5 मुर्गे की बलि दी गई.

प्राकृति पर्व सरहुल की मुख्य पूजा हातमा सरना स्थल में की गई. जहां सफेद मुर्गे की बलि सृष्टि कर्ता के लिए दी जाती है, ताकि पर्यावरण और वायुमंडल ठीक-ठाक रहे. बता दें कि रंगवा मुर्गा की बलि ग्राम देवता के लिए दी जाती है. ताकि गांव घर को सुरक्षा प्रदान करे. माला मुर्गा की बलि नदी तालाब के लिए दी जाती है ताकि उसमें पानी भरा रहे और अच्छी खेती हो सके, लुपुंग मुर्गी की बली पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दी गई. वहीं, गोरी आत्मा की शांति के लिए काली मुर्गी की बलि दी गई.

मान्यता है कि इससे गांव घर आत्माओं से मुक्ती मिलती हैं. पूजा के बाद पाहन को घड़े के पानी से स्नान कराया गया. पाहन के घर पहुंचने पर महिलाओं ने उसका पैर धोकर गृह प्रवेश कराया.

रांची: प्राकृति का महापर्व सरहुल पूजा पाहन के द्वारा पूरे विधि विधान के साथ किया गया. सरहुल आदिवासियों के प्रमुख त्योहारों में से एक है. सरहुल पर्व से ही आदिवासी समाज के लोग नए वर्ष की शुरुआत करते हैं. आज के दिन से ही हर शुभ काम किया जाता है. सुबह से ही मुख्य पाहन के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है.

इस बार होगी अच्छी बारिश

पाहन जगलाल ने बीते शाम घड़े में रखे पानी को देखा और बताया कि इस बार बारिश अच्छी होगी. भंडार में काफी मात्रा में पानी है जिसके कारण बारिश खूब अच्छी होगी और फसल भी अच्छी होगी. सरना स्थल पर विधि विधान के साथ पूजा हुई. इसके बाद आदिवासी परंपरा के अनुसार 5 मुर्गे की बलि दी गई.

प्राकृति पर्व सरहुल की मुख्य पूजा हातमा सरना स्थल में की गई. जहां सफेद मुर्गे की बलि सृष्टि कर्ता के लिए दी जाती है, ताकि पर्यावरण और वायुमंडल ठीक-ठाक रहे. बता दें कि रंगवा मुर्गा की बलि ग्राम देवता के लिए दी जाती है. ताकि गांव घर को सुरक्षा प्रदान करे. माला मुर्गा की बलि नदी तालाब के लिए दी जाती है ताकि उसमें पानी भरा रहे और अच्छी खेती हो सके, लुपुंग मुर्गी की बली पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दी गई. वहीं, गोरी आत्मा की शांति के लिए काली मुर्गी की बलि दी गई.

मान्यता है कि इससे गांव घर आत्माओं से मुक्ती मिलती हैं. पूजा के बाद पाहन को घड़े के पानी से स्नान कराया गया. पाहन के घर पहुंचने पर महिलाओं ने उसका पैर धोकर गृह प्रवेश कराया.

Intro:
रांची
बाइट--जागलाल पाहन //मुख्य पाहन
बाइट--फुलचकन्द तिर्की //केंद्रीय सरना समिति अध्यक्ष


प्राकृतिक का महापर्व सरहुल पूजा पहन के द्वारा विधि विधान के साथ किया। सरहुल पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है सर्व आदिवासियों की प्रमुख त्योहारों में से एक है सरहुल पर्व से ही आदिवासी समाज के लोग नए वर्ष की शुरुआत करते हैं आज के दिन से हर शुभ काम आशीर्वाद भी किया जाता है सुबह से ही मुख्य पहन के द्वारा पूजा अर्चना किया गया है घड़े में रखे पानी शैतान बताता है कि इस वर्ष देश और राज्य में बारिश कैसी होगी राज्य में खुशहाली रहेगा फिर नहीं


Body:घड़े का पानी देखकर बारिश की भविष्यवाणी हातमा सरना स्थल में विधि विधान के साथ सरोज की पूजा हुई।पाहन जगलाल ने बीते शाम तो घड़े में रखे पानी को देखा और बताया कि इस बार बारिश अच्छी रहेगी भंडार में काफी मात्रा में पानी है जिसके कारण बारिश खूब अच्छी होगी और जिसके कारण फसल भी अच्छी होगी सरना स्थल पर विधि विधान के साथ पूजा हुई 5 मुर्गे की बलि प्राकृतिक पर्व सरहुल की मुख्य पूजा हातमा सरना स्थल में की गई सफेद मुर्गे की बलि सृष्टि कर्ता के लिए दी जाती है ताकि पर्यावरण और वायुमंडल ठीक-ठाक रहे रंगवा मुर्गा की बलि ग्राम देवता के लिए दी जाती है ताकि गांव घर को सुरक्षा प्रदान करें माला मुर्गा की बलि नदी तालाब के लिए दी जाती है ताकि उसमें पानी भरा रहे और अच्छी खेती हो सके लुपुंग मुर्गी की बली पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दी गई गोरी आत्मा से शांति के लिए काली मुर्गी की बलि दी गई मानना है कि इससे गांव घर आत्माओं से मुक्त रहते हैं पूजा के बाद महान को घड़े के पानी से स्नान कराया गया पान के घर पहुंचने पर महिलाओं ने उसका पैर धोकर गृह प्रवेश कराया


Conclusion:वहीं केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि पूरे झारखंड में प्राकृतिक का महापर्व सरहुल का उत्साह देखने को मिल रहा है आज का दिन आदिवासियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि आज के दिन से ही कई नए कार्यों का प्रारंभ किया जाता है और आदिवासियों के लिए आज से नया साल का शुरुआत होता है
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