रांची: राजधानी में सरहुल को लेकर तमाम आदिवासी संगठनों में हर्षोल्लास का माहौल देखने को मिल रहा है. इसी के तहत सरना समिति ने सरहुल के पूर्व सरहुल मिलन समारोह का आयोजन किया. मिलन समारोह के पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. ताकि लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाए रखें.
ये भी पढ़ें-निशिकांत एक रात भी गोड्डा में रूके हों, ये साबित होने पर नहीं लड़ूंगा चुनाव: प्रदीप यादव
सरना समिति के अध्यक्ष फ्रांसिस लिंडा ने कहा कि सरहुल महापर्व प्रकृति की पूजा का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि हम सब प्रकृति पर निर्भर रहते हैं. यही कारण है कि सरहुल पूजा जल जंगल जमीन पर आधारित है. साथ ही कहा कि सब मानव जीवन में प्रकृति पर ही आश्रित है और इसको बचाए रखना हमारा कर्तव्य है और सरहुल महापर्व इसका एक प्रतीक है.
वहीं, मौके पर मौजूद बीजेपी पूर्व ग्रामीण जिला अध्यक्ष मनोज बाजपाई ने कहा कि आज पूरे विश्व पटल पर आदिवासी संस्कृति की एक अलग पहचान है. हम सब प्रकृति से जुड़े हुए हैं, ऐसे में प्रकृति की पूजा करना हमारा प्रमुख कर्तव्य होना चाहिए. वहीं, कमलेश राम ने कहा कि प्रकृति सब को एक सूत्र में बांधे हुए हैं. हर धर्म के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं.