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पूरे झारखंड में सरहुल की धूम, रांची विश्वविद्यालय में झूमे छात्र

राजधानी के रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग में सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं. महोत्सव के दौरान पारंपरिक रीति-रिवाज से पाहनों द्वारा पूजा-पाठ की गई. करम पेड़ के नीचे लोक नृत्य का आयोजन भी हुआ.

जानकारी देती राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू
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Published : Apr 8, 2019, 3:28 PM IST

रांची: सरहुल धरती और प्रकृति से बेहतर फसल-फल प्राप्ति का त्यौहार माना जाता है. इस त्योहार को लेकर झारखंड के विभिन्न जिलों के साथ-साथ राजधानी में भी उत्साह चरम पर है. इसी कड़ी में आरयू के जनजातीय भाषा विभाग द्वारा रामदयाल मुंडा अखरा में सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू पहुंचीं.

जानकारी देती राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू

ये भी पढ़ें-सरहुल को लेकर रांची पुलिस मुस्तैद, सीसीटीवी और ड्रोन से रखी जाएगी नजर

सरहुल महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के साथ-साथ देश-विदेश से भी लोग यहां पहुंचे. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश कुमार पांडे, प्रति कुलपति कामिनी कुमार के अलावा जनजातीय भाषा विभाग के तमाम छात्र-छात्राएं और शिक्षकों ने भी बढ़-चढ़कर इस महोत्सव में हिस्सा लिया.

इसमें पारंपरिक रीति-रिवाज से पाहनों द्वारा पूजा पाठ की गई. करम पेड़ के नीचे लोक नृत्य का आयोजन भी हुआ. इस मौके पर द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ये पर्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है, बल्कि प्रकृति को संरक्षण करने के लिए भी अब आदिवासियों के साथ-साथ अन्य समुदाय के लोगों को भी मनाने की जरूरत है.

इस विशेष अवसर पर अतिथियों का सत्कार सरहुल फुल कोशी कर किया गया. साथ ही लोगों से बढ़ चढ़कर इस पर्व में शामिल होने की अपील भी की गई. इस दौरान घंटों पारंपरिक नृत्य संगीत का दौर चला. वहीं, अतिथियों द्वारा सरहुल से जुड़ी दो पुस्तकों का विमोचन भी किया गया.

रांची: सरहुल धरती और प्रकृति से बेहतर फसल-फल प्राप्ति का त्यौहार माना जाता है. इस त्योहार को लेकर झारखंड के विभिन्न जिलों के साथ-साथ राजधानी में भी उत्साह चरम पर है. इसी कड़ी में आरयू के जनजातीय भाषा विभाग द्वारा रामदयाल मुंडा अखरा में सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू पहुंचीं.

जानकारी देती राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू

ये भी पढ़ें-सरहुल को लेकर रांची पुलिस मुस्तैद, सीसीटीवी और ड्रोन से रखी जाएगी नजर

सरहुल महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के साथ-साथ देश-विदेश से भी लोग यहां पहुंचे. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश कुमार पांडे, प्रति कुलपति कामिनी कुमार के अलावा जनजातीय भाषा विभाग के तमाम छात्र-छात्राएं और शिक्षकों ने भी बढ़-चढ़कर इस महोत्सव में हिस्सा लिया.

इसमें पारंपरिक रीति-रिवाज से पाहनों द्वारा पूजा पाठ की गई. करम पेड़ के नीचे लोक नृत्य का आयोजन भी हुआ. इस मौके पर द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ये पर्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है, बल्कि प्रकृति को संरक्षण करने के लिए भी अब आदिवासियों के साथ-साथ अन्य समुदाय के लोगों को भी मनाने की जरूरत है.

इस विशेष अवसर पर अतिथियों का सत्कार सरहुल फुल कोशी कर किया गया. साथ ही लोगों से बढ़ चढ़कर इस पर्व में शामिल होने की अपील भी की गई. इस दौरान घंटों पारंपरिक नृत्य संगीत का दौर चला. वहीं, अतिथियों द्वारा सरहुल से जुड़ी दो पुस्तकों का विमोचन भी किया गया.

Intro:सरहुल मुख्यतः धरती और प्रकृति से बेहतर फसल -फल प्राप्ति का त्योहार माना जाता है, प्रकृति संरक्षण का सीख देता ,इस त्यौहार को लेकर झारखंड के विभिन्न जिलों के साथ साथ राजधानी रांची में भी उत्साह चरम पर है ,इसी कड़ी में आरयू के जनजातिय भाषा विभाग द्वारा रामदयाल मुंडा अखरा में सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया ,जहां मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल श्रीमती द्रोपति मुर्मू पहुंची,जहां उन्होंने कहा यह पर्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है बल्कि पर्यावरण बचाने को लेकर भी है.


Body:झारखंड की भौगोलिक स्थिति के अनुसार गर्मी के शुरू होने का मौसम है सरहुल पिछली फसल कटने पर पतझड़ के बाद प्रकृति फिर एक बार फल फूल और हरे पत्तों लगने के लिए तैयार होने के साथ ही, इस पर्व को मनाए जाने की परंपरा है और इस प्रकृति पर्व को लेकर राजधानी रांची के साथ-साथ झारखंड के तमाम जिलों में उत्साह देखा जा रहा है ,हर ओर खुशियां हैं ,प्रकृति संरक्षण को लेकर उत्सव मनाए जा रहे हैं ,संदेश दिए जा रहे हैं, और लोगों को प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरुक भी किया जा रहा है. इसी कड़ी में राजधानी रांची के रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग में सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल श्रीमती द्रोपति मुर्मू शामिल हुई ,साथ ही देश विदेश से भी लोग यहां पहुंचे. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश कुमार पांडे प्रति कुलपति कामिनी कुमार के अलावे जनजातीय भाषा विभाग के तमाम छात्र छात्राएं और शिक्षक भी बढ़-चढ़कर इस महोत्सव में हिस्सा लिया .जहां पारंपरिक रीति-रिवाज से पाहनों द्वारा पूजा पाठ की गई ,साथ ही करम पेड़ के नीचे लोक नृत्य का आयोजन भी हुआ .मौके पर राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह पर्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है ,बल्कि प्रकृति को संरक्षण करने के लिए भी अब आदिवासियों के साथ साथ अन्य समुदाय के लोगों को भी मनाने की ज़रूरत है।

बाइट- श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल ,झारखंड


Conclusion:इस विशेष अवसर पर अतिथियों का सत्कार सरहुल फुल खुशी कर किया गया साथ ही लोगों से बढ़ चढ़कर इस पर्व में शामिल होने की अपील भी की गई, मौके पर घंटों पारंपरिक नृत्य संगीत का दौर चला, वहीं अतिथियों द्वारा सरहुल से जुड़ी दो पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।
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