रांची: सरहुल धरती और प्रकृति से बेहतर फसल-फल प्राप्ति का त्यौहार माना जाता है. इस त्योहार को लेकर झारखंड के विभिन्न जिलों के साथ-साथ राजधानी में भी उत्साह चरम पर है. इसी कड़ी में आरयू के जनजातीय भाषा विभाग द्वारा रामदयाल मुंडा अखरा में सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू पहुंचीं.
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सरहुल महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के साथ-साथ देश-विदेश से भी लोग यहां पहुंचे. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश कुमार पांडे, प्रति कुलपति कामिनी कुमार के अलावा जनजातीय भाषा विभाग के तमाम छात्र-छात्राएं और शिक्षकों ने भी बढ़-चढ़कर इस महोत्सव में हिस्सा लिया.
इसमें पारंपरिक रीति-रिवाज से पाहनों द्वारा पूजा पाठ की गई. करम पेड़ के नीचे लोक नृत्य का आयोजन भी हुआ. इस मौके पर द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ये पर्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है, बल्कि प्रकृति को संरक्षण करने के लिए भी अब आदिवासियों के साथ-साथ अन्य समुदाय के लोगों को भी मनाने की जरूरत है.
इस विशेष अवसर पर अतिथियों का सत्कार सरहुल फुल कोशी कर किया गया. साथ ही लोगों से बढ़ चढ़कर इस पर्व में शामिल होने की अपील भी की गई. इस दौरान घंटों पारंपरिक नृत्य संगीत का दौर चला. वहीं, अतिथियों द्वारा सरहुल से जुड़ी दो पुस्तकों का विमोचन भी किया गया.