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'खाट' पर है सदर अस्पताल का सरकारी भवन, बल्ड बैंक नहीं होने से लोगों को हो रही परेशानी

जमशेदपुर के सदर अस्पताल की व्यवस्था बेहद खस्ता है. वर्षों पहले बने इस अस्पताल में मरीजों का ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा है. पोस्टमार्टम हाउस की दीवारें भी अब दरकने लगी हैं.

सदर अस्पताल है बीमार
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Published : Jul 9, 2019, 6:56 PM IST

जमशेदपुर: स्टील सिटी के खासमहल स्थित सदर अस्पताल में 65 लाख रुपए की लागत से बने पोस्टमार्टम हाउस, ब्लड बैंक, मानसिक विभाग वर्षों से बंद पड़ा है. पोस्टमार्टम हाउस की दीवारें भी अब दरकने लगी हैं.

देखें पूरी खबर

बीमार अस्पताल की दूसरी कड़ी में परसुडीह खासमहल स्थित सदर अस्पताल परिसर में 65 लाख से बने भवनों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. सदर अस्पताल में ब्लड बैंक की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को 16 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

2014 में सदर अस्पताल के परिसर में ही ब्लड बैंक, पोस्टमार्टम हाउस का निर्माण कराया गया था. लेकिन कोई भी विभाग सही तरीके से काम नहीं कर रहा है. जिसके कारण यह भवन आज तक बंद पड़े हैं.

ब्लड बैंक के लिए लाइसेंस नहीं मिलने के कारण अबतक यह नहीं खुला है. बताया जा रहा कि प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. जल्द ही यहां ब्लड बैंक खुल जाएगा. वहीं, मेंटल हेल्थ बंद क्लिनिक होने पर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन ने बताया कि यहां छात्राओं की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है. पोस्टमार्टम हाउस की प्रक्रिया भी चल रही है इसे भी जल्द शुरू किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- देवघर: भीषण जल संकट से बचने के किए जा रहे उपाय, लोगों को दिए गए रेन वाटर हार्वेस्टिंग के टिप्स

ऐसे में लाखों रुपए से बने स्वास्थ्य विभाग के लिए भवन यह दर्शाती है कि विभाग की लापरवाही का खामियाजा चंद गरीब लोगों को उठाना पड़ता है. इन भवनों में स्वास्थ्य सुविधा शुरू होने से आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को निश्चित ही फायदा मिलता.

जमशेदपुर: स्टील सिटी के खासमहल स्थित सदर अस्पताल में 65 लाख रुपए की लागत से बने पोस्टमार्टम हाउस, ब्लड बैंक, मानसिक विभाग वर्षों से बंद पड़ा है. पोस्टमार्टम हाउस की दीवारें भी अब दरकने लगी हैं.

देखें पूरी खबर

बीमार अस्पताल की दूसरी कड़ी में परसुडीह खासमहल स्थित सदर अस्पताल परिसर में 65 लाख से बने भवनों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. सदर अस्पताल में ब्लड बैंक की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को 16 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

2014 में सदर अस्पताल के परिसर में ही ब्लड बैंक, पोस्टमार्टम हाउस का निर्माण कराया गया था. लेकिन कोई भी विभाग सही तरीके से काम नहीं कर रहा है. जिसके कारण यह भवन आज तक बंद पड़े हैं.

ब्लड बैंक के लिए लाइसेंस नहीं मिलने के कारण अबतक यह नहीं खुला है. बताया जा रहा कि प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. जल्द ही यहां ब्लड बैंक खुल जाएगा. वहीं, मेंटल हेल्थ बंद क्लिनिक होने पर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन ने बताया कि यहां छात्राओं की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है. पोस्टमार्टम हाउस की प्रक्रिया भी चल रही है इसे भी जल्द शुरू किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- देवघर: भीषण जल संकट से बचने के किए जा रहे उपाय, लोगों को दिए गए रेन वाटर हार्वेस्टिंग के टिप्स

ऐसे में लाखों रुपए से बने स्वास्थ्य विभाग के लिए भवन यह दर्शाती है कि विभाग की लापरवाही का खामियाजा चंद गरीब लोगों को उठाना पड़ता है. इन भवनों में स्वास्थ्य सुविधा शुरू होने से आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को निश्चित ही फायदा मिलता.

Intro:एंकर-- स्टील सिटी के खासमहल स्थित सदर अस्पताल में 65 लाख रुपए की लागत से बनी पोस्टमार्टम हाउस,ब्लड बैंक,मानसिक विभाग वर्षों से बन्द पड़े हैं। पोस्टमार्टम हाउस की दीवारें भी अब दरकने लगी है।देखिए एक रिपोर्ट


Body:वीओ1--बीमार अस्पताल की दूसरी कड़ी में परसुडीह खासमहल स्थित सदर अस्पताल परिसर में 65 लाख से बने भवनों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.सदर अस्पताल में ब्लड बैंक की व्यवस्था नहीं होने के कारण 16 किलोमीटर दूर तक का सफर लोगों को तय करना पड़ता है.वर्ष 2014 में सदर अस्पताल के परिसर में ही जिला रोकथाम केंद्र,ब्लड बैंक,पोस्टमार्टम हाउस का निर्माण कराया गया था.लेकिन कोई भी विभाग सही तरीके से काम नहीं कर रहा है.जिसके कारण यह भवन आज तक बंद पड़े हैं.
ब्लड बैंक के लिए लाइसेंस नहीं मिलने के कारण अब तक नहीं खुली है प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.जल्द ही यहाँ ब्लड बैंक खुल जाएगा।
बाइट--डॉक्टर महेश्वर प्रसाद(सिविल सर्जन सदर अस्पताल)
वीओ2--मेन्टल हेल्थ बन्द होने पर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन ने बताया मेन्टल हेल्थ की क्लिनिक शुरू है अभी और जगह चाहिए जिसके बाद यह पूरी तरीके से शुरू हो जाएगा.
यहाँ छात्राओं की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है।पोस्टमार्टम हाउस की प्रक्रिया भी चल रही है इसे भी जल्द शुरू किया जाएगा।
बाइट--डॉक्टर महेश्वर प्रसाद(सिविल सर्जन सदर अस्पताल)



Conclusion:ऐसे में लाखों रुपए से बने स्वास्थ्य विभाग के लिए भवन यह दर्शाती है कि विभाग की लापरवाही का ख़ामियाजा चंद गरीब लोगों को उठाना पड़ता है।इन भवनों में स्वास्थ्य सुविधा शुरू होने से आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को निश्चित ही फायदा मिलता।
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