पंजाब/संगरूर: खुले पड़े बोरवेल का खतरा एक बार फिर से सबके सामने वास्तविकता बनकर सामने आ चुका है. ये बोरवेल बच्चों के लिए कब मौत बन जाते हैं किसी को ख़बर ही नहीं होती. 2006 में भी कुरुक्षेत्र में एक ऐसी ही घटना घटी थी जिसमें बड़ा बचान अभियान चलाया गया था. और 48 घंटे के बाद बच्चे को बाहर निकाला जा सका था.
पंजाब: पिछले 4 दिन से बोरवेल में फंसा है दो साल का मासूम, अंतिम चरण में अभियान
पंजाब के संगरूर में दो साल का बच्चा लगभग 70 घंटे यानी करीब तीन दिनों के बाद भी 150 फुट गहरे बोरवेल से नहीं निकाला जा सका है. अधिकारियों का कहना है कि बच्चे को बचाने के लिए चलाया जा रहा अभियान अंतिम दौर में आ चुका है.
पंजाब/संगरूर: खुले पड़े बोरवेल का खतरा एक बार फिर से सबके सामने वास्तविकता बनकर सामने आ चुका है. ये बोरवेल बच्चों के लिए कब मौत बन जाते हैं किसी को ख़बर ही नहीं होती. 2006 में भी कुरुक्षेत्र में एक ऐसी ही घटना घटी थी जिसमें बड़ा बचान अभियान चलाया गया था. और 48 घंटे के बाद बच्चे को बाहर निकाला जा सका था.
पंजाब/संगरूर : खुले पड़े बोरवेल का खतरा एक बार फिर से सबके सामने वास्तविकता बनकर सामने आ चुका है. ये बोरवेल बच्चों के लिए कब मौत बन जाते हैं किसी को ख़बर ही नहीं होती. 2006 में भी कुरुक्षेत्र में एक एसी ही घटना घटी थी जिसमें बड़ा बचान अभियान चलाया गया था. जिसमें 48 घंटे के बाद बच्चे को बाहर निकाला जा सका था.
अपने माता-पिता की एकलौता संतान दो वर्षीय फतहवीर गुरुवार शाम को खेलते हुए बोरवेल में गिर गया था. बताया जा रहा है कि बोरबेल 150 फुट गहरा है. बचाव अभियान चलाया जा रहा है और अंतिम दौर में है. आज यह अभियान पूरा होने की संभावना भी जताई जा रही है.
फिलहाल गड्ढे में फंसे बच्चे को खाना नहीं खिलाया जा सका है क्योंकि वह गिरने के बाद बेहोश हो गया था. हालांकि ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है. और कैमरे के माध्यम से बच्चे की दशा पर नजर रखी जा रही है. एनडीआरएफ के मुताबिक बच्चा बोरवेल में करीब 125 फुट की गहराई में फंसा है.
पुलिस, सिविल अधिकारियों, गांववासियों और कार्यकर्ताओं की मदद से एनडीआरएफ के जवान और सेना के विशेषज्ञ अभियान चला रहे हैं. एनडीआरएफ के जवानों ने गुरुवार को अभियान के शुरुआती दौर में ही बच्चे के दोनों हाथ बांधने सफलता हासिल कर ली थी. लेकिन वह ऐसी स्थिति में फंसा है कि उसे बाहर खींचा नहीं जा सका क्योंकि इससे बच्चे को नुकसान हो सकता था.
डॉक्टरों की एक टीम को भी तैनात किया गया है जिससे बच्चे को जब भी बाहर निकाला जाए, उसे तुरंत बेहतरीन चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा सके. इसके अलावा वेंटिलेटर लगी एंबुलेंस भी घटना स्थल पर तैयार रखी गई है.
Conclusion: