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मोदी कैबिनेट में कई नए चेहरे को मिल सकती है जगह, झारखंड से इन्हें मिल सकता है मौका

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Published : May 29, 2019, 7:24 PM IST

बंपर जीत के बाद अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी है कि मोदी सरकार 2 के कैबिनेट में किसे जगह मिलेगी. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार कई फ्रेश चहरे को लाया जाएगा. झारखंड से भी ऐसे कई नाम हैं जिन्हें कैबिनेट में जगह मिल सकती है.

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रांची: 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को दोबारा सत्ता तक पहुंचाने में झारखंड के जिन सांसदों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है अब उनमें से कुछ केंद्र सरकार की टीम में शामिल होने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. हालांकि, इसे लेकर अभी तक किसी तरह की कोई आधिकारिक सूचना या पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन राज्य के 12 में से दो सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह मिलने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है.

सुदर्शन भगत और जयंत सिन्हा पर नजर
2014 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद झारखंड के कोटे से दो मंत्री केंद्र में पहुंचे थे. उनमें से लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत और हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा शामिल थे. हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों बीजेपी सांसदों ने अपनी सीट रिटेन की है तो ऐसे में इनके नाम की चर्चा स्वाभाविक हो जाती है.

नए चेहरे हो सकते हैं शामिल
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का यकीन करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में झारखंड से पुराने चेहरे रिपीट होने की संभावनाएं न्यूनतम है. इसके अलावा राज्य में ट्राइबल और नॉन ट्राइबल के इक्वेश्चन को बैलेंस करके वैसे चेहरों की तलाश जारी है. ऐसे में मोदी कैबिनेट में वैसे लोगों को जगह देने पर चर्चा हो रही है जो 'फ्रेश' हों और उनका 'पॉलीटिकल एक्शन' राजनीति के पटल पर बड़ा हो.

अन्नपूर्णा देवी भी रेस में शामिल
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो इस बार महिला मंत्री को लेकर भी दिल्ली में चर्चा हो रही है. ऐसे में अन्नपूर्णा देवी का नाम प्रमुख है. इसकी वजह भी है, अन्नपूर्णा देवी ने बीजेपी का दामन चुनाव के ऐन पहले थामा और अप्रत्याशित जीत से यह साबित कर दिया कि उनका अपना 'पॉलीटिकल कैलिबर' भी है. इसके अलावा नेशनल लेवल पर उनकी लॉबी भी मजबूत बताई जा रही है. दूसरा कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी राज्य में यादव और ओबीसी वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी यह दांव खेल सकती है.

सुनील सोरेन पर सबकी नजर
दूसरा चेहरा सुनील सोरेन का है. हालांकि, सुनील साधारण से दिखने वाले बीजेपी के कार्यकर्ता हैं लेकिन झारखंड में दिशोम गुरु के नाम से स्थापित और 8 बार सांसद रहे शिबू सोरेन को हराकर उन्होंने पार्टी के आला नेताओं तक अपने नाम की चर्चा पहुंचा दी है. वह भी तब जब सुनील पिछला दो संसदीय चुनाव झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन से हार चुके थे. दूसरी वजह यह है कि सुनील सोरेन संथाल के इलाके से आते हैं. जहां बीजेपी की पैनी नजर है और प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ भी है. ऐसे में मिशन संथाल साधने के लिए बीजेपी सुनील सोरेन पर भी दांव खेल सकती है.

अर्जुन मुंडा और निशिकांत के नाम पर भी चर्चा
हालांकि, मंत्री पद को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और खूंटी से सांसद बने अर्जुन मुंडा का नाम भी चर्चा में है. लेकिन अभी उनको लेकर थोड़ी अस्पष्टता है. वैसे तो गोड्डा से जीत का हैट्रिक लगाने वाले निशिकांत दुबे को लेकर भी चर्चाएं आम हैं. लेकिन दिल्ली दरबार में इस पर अभी तक मुहर नहीं लगी है. हालांकि, पूर्व मंत्रियों में सुदर्शन भगत को संघ का बैकअप है. बावजूद इसके सेंट्रल केबिनेट में 'बर्थ' उसे ही मिलने की संभावना है जिसकी दिल्ली दरबार तक तगड़ी पहुंच हो. बता दें कि बीजेपी के 12 में से 8 सांसदों ने अपनी सीट रिटेन की है ऐसे में उनमें से भी अनुभवी चेहरों को लिया जा सकता है.

रांची: 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को दोबारा सत्ता तक पहुंचाने में झारखंड के जिन सांसदों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है अब उनमें से कुछ केंद्र सरकार की टीम में शामिल होने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. हालांकि, इसे लेकर अभी तक किसी तरह की कोई आधिकारिक सूचना या पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन राज्य के 12 में से दो सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह मिलने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है.

सुदर्शन भगत और जयंत सिन्हा पर नजर
2014 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद झारखंड के कोटे से दो मंत्री केंद्र में पहुंचे थे. उनमें से लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत और हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा शामिल थे. हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों बीजेपी सांसदों ने अपनी सीट रिटेन की है तो ऐसे में इनके नाम की चर्चा स्वाभाविक हो जाती है.

नए चेहरे हो सकते हैं शामिल
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का यकीन करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में झारखंड से पुराने चेहरे रिपीट होने की संभावनाएं न्यूनतम है. इसके अलावा राज्य में ट्राइबल और नॉन ट्राइबल के इक्वेश्चन को बैलेंस करके वैसे चेहरों की तलाश जारी है. ऐसे में मोदी कैबिनेट में वैसे लोगों को जगह देने पर चर्चा हो रही है जो 'फ्रेश' हों और उनका 'पॉलीटिकल एक्शन' राजनीति के पटल पर बड़ा हो.

अन्नपूर्णा देवी भी रेस में शामिल
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो इस बार महिला मंत्री को लेकर भी दिल्ली में चर्चा हो रही है. ऐसे में अन्नपूर्णा देवी का नाम प्रमुख है. इसकी वजह भी है, अन्नपूर्णा देवी ने बीजेपी का दामन चुनाव के ऐन पहले थामा और अप्रत्याशित जीत से यह साबित कर दिया कि उनका अपना 'पॉलीटिकल कैलिबर' भी है. इसके अलावा नेशनल लेवल पर उनकी लॉबी भी मजबूत बताई जा रही है. दूसरा कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी राज्य में यादव और ओबीसी वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी यह दांव खेल सकती है.

सुनील सोरेन पर सबकी नजर
दूसरा चेहरा सुनील सोरेन का है. हालांकि, सुनील साधारण से दिखने वाले बीजेपी के कार्यकर्ता हैं लेकिन झारखंड में दिशोम गुरु के नाम से स्थापित और 8 बार सांसद रहे शिबू सोरेन को हराकर उन्होंने पार्टी के आला नेताओं तक अपने नाम की चर्चा पहुंचा दी है. वह भी तब जब सुनील पिछला दो संसदीय चुनाव झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन से हार चुके थे. दूसरी वजह यह है कि सुनील सोरेन संथाल के इलाके से आते हैं. जहां बीजेपी की पैनी नजर है और प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ भी है. ऐसे में मिशन संथाल साधने के लिए बीजेपी सुनील सोरेन पर भी दांव खेल सकती है.

अर्जुन मुंडा और निशिकांत के नाम पर भी चर्चा
हालांकि, मंत्री पद को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और खूंटी से सांसद बने अर्जुन मुंडा का नाम भी चर्चा में है. लेकिन अभी उनको लेकर थोड़ी अस्पष्टता है. वैसे तो गोड्डा से जीत का हैट्रिक लगाने वाले निशिकांत दुबे को लेकर भी चर्चाएं आम हैं. लेकिन दिल्ली दरबार में इस पर अभी तक मुहर नहीं लगी है. हालांकि, पूर्व मंत्रियों में सुदर्शन भगत को संघ का बैकअप है. बावजूद इसके सेंट्रल केबिनेट में 'बर्थ' उसे ही मिलने की संभावना है जिसकी दिल्ली दरबार तक तगड़ी पहुंच हो. बता दें कि बीजेपी के 12 में से 8 सांसदों ने अपनी सीट रिटेन की है ऐसे में उनमें से भी अनुभवी चेहरों को लिया जा सकता है.

Intro:रांची। 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को दोबारा सत्ता तक पहुंचाने में झारखंड के जिन सांसदों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है अब उनमें से कुछ केंद्र सरकार की टीम में शामिल होने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। हालांकि इसको लेकर अभी तक किसी तरह की कोई आधिकारिक सूचना या पुष्टि नहीं हुई है लेकिन राज्य के 12 में से दो सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह मिलने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है।
दरअसल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद झारखंड के कोटे से दो मंत्री केंद्र में पहुंचे थे। उनमें से लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत और हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा शामिल थे। हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों बीजेपी सांसदों ने अपनी सीट रिटेन की है तो ऐसे में इनके नाम की चर्चा स्वाभाविक हो जाती है।


Body:पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का यकीन करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में झारखंड से पुराने चेहरे रिपीट होने की संभावनाएं न्यूनतम है। साथ ही राज्य में ट्राइबल और नॉन ट्राइबल के इक्वेश्चन को बैलेंस करके वैसे चेहरों की तलाश जारी है। ऐसे में मोदी कैबिनेट में वैसे लोगों को जगह देने पर चर्चा हो रही है जो 'फ्रेश' होंऔर उनका 'पॉलीटिकल एक्शन'राजनीति के पटल पर बड़ा हो।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो इस बार महिला मंत्री को लेकर भी दिल्ली में चर्चा हो रही है। ऐसे में अन्नपूर्णा देवी का नाम प्रमुख है। इसकी वजह भी है, अन्नपूर्णा देवी ने बीजेपी का दामन चुनाव के ऐन पहले थामा और अप्रत्याशित जीत से यह साबित कर दिया कि उनका अपना 'पॉलीटिकल कैलिबर' भी है। साथ ही नेशनल लेवल पर उनकी लॉबी भी मजबूत बताई जा रही है। दूसरा कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी राज्य में यादव और ओबीसी वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी यह दांव खेल सकती है।
दूसरा चेहरा सुनील सोरेन का है हालांकि सुनील साधारण से दिखने वाले बीजेपी के कार्यकर्ता है लेकिन झारखंड में दिशोम गुरु के नाम से स्थापित और 8 बार सांसद रहे शिबू सोरेन को हराकर उन्होंने पार्टी के आला नेताओं तक अपने नाम की चर्चा पहुंचा दी है।


Conclusion:वह भी तब जब सुनील पिछला दो संसदीय चुनाव झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन से हार चुके थे। दूसरी वजह यह है कि सुनील सोरेन संथाल के इलाके से आते हैं। जहां बीजेपी की पैनी नजर है और प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ भी है। ऐसे में मिशन संथाल साधने के लिए बीजेपी सुनील सोरेन पर भी दांव खेल सकती है।
हालांकि मंत्री पद को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और खूंटी से सांसद बने अर्जुन मुंडा का नाम भी चर्चा में है लेकिन अभी उनको लेकर थोड़ी अस्पष्टता है। वैसे तो गोड्डा से जीत का हैट्रिक लगाने वाले निशिकांत दुबे को लेकर भी चर्चाएं आम हैं। लेकिन दिल्ली दरबार में इस पर अभी तक मुहर नहीं लगी है। हालांकि पूर्व मंत्रियों में सुदर्शन भगत को संघ का बैकअप है। बावजूद इसके सेंट्रल केबिनेट में बर्थ उसे ही मिलने की संभावना है जिसकी दिल्ली दरबार तक तगड़ी पहुंच हो। बता दें कि बीजेपी के 12 में से 8 सांसदों ने अपनी सीट रिटेन की है ऐसे में उनमें से भी अनुभवी चेहरों को लिया जा सकता है।
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