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गर्मी ने खोला सरकारी सिस्टम का पोल, पानी के लिए तरस रहे है स्थानीय लोग - Water problem

एक तरफ जहां चुनावी दौर में सभी राजनीतिक पार्टियां विकास का पहाड़ा पढ़ा रही है. वहीं दूसरी ओर एक बूंद पानी के लिए रांची से सटे पिठोरियावासी तरस रहे है. गांव के एक दो चापाकलों के भरोसे इनकी जिंदगी कट रही है.

पानी से की समस्या से परेशान लोग
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Published : May 8, 2019, 4:42 PM IST

रांची: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों का चुनावी दौरा देखने को मिल रहा है. सभी राजनीतिक पार्टियां बुनियादी जरूरतों को दूर करने के लिए दावे करती नजर आ रही हैं, लेकिन राजधानी से सटे गांव के लोग गर्मी के शुरुआती दौर में पानी के लिए तरस रहे हैं. सरकारी योजना और नेताओं के दावे दम तोड़ती नजर आ रही है, तो वहीं बना जल मीनार हाथी के दांत जैसे हैं.

पानी से की समस्या से परेशान लोग

राजधानी रांची से सटे पिठौरिया गांव में लोग गर्मी के शुरुआती दिन में ही पानी के लिए तरस रहे हैं. इस गांव के पानी की समस्या से जूझने की समस्या कोई नई बात नहीं है. हर साल गर्मी आते ही यहां के लोग पानी के लिए दर-दर भटकने लगते हैं. सरकार के द्वारा पिठोरिया गांव में पानी की समस्या दूर करने के लिए लघु जल मिनार का निर्माण भी कराया गया, लेकिन वह भी हाथी के दांत बन कर आ गया.

ठेकेदार अपने मुनाफा के लिए जैसे तैसे में जल मीनार तो लगा दिया, लेकिन वहां से पानी की एक बूंद के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं और लोग 1-2 चांपानल के भरोसे अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

रांची: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों का चुनावी दौरा देखने को मिल रहा है. सभी राजनीतिक पार्टियां बुनियादी जरूरतों को दूर करने के लिए दावे करती नजर आ रही हैं, लेकिन राजधानी से सटे गांव के लोग गर्मी के शुरुआती दौर में पानी के लिए तरस रहे हैं. सरकारी योजना और नेताओं के दावे दम तोड़ती नजर आ रही है, तो वहीं बना जल मीनार हाथी के दांत जैसे हैं.

पानी से की समस्या से परेशान लोग

राजधानी रांची से सटे पिठौरिया गांव में लोग गर्मी के शुरुआती दिन में ही पानी के लिए तरस रहे हैं. इस गांव के पानी की समस्या से जूझने की समस्या कोई नई बात नहीं है. हर साल गर्मी आते ही यहां के लोग पानी के लिए दर-दर भटकने लगते हैं. सरकार के द्वारा पिठोरिया गांव में पानी की समस्या दूर करने के लिए लघु जल मिनार का निर्माण भी कराया गया, लेकिन वह भी हाथी के दांत बन कर आ गया.

ठेकेदार अपने मुनाफा के लिए जैसे तैसे में जल मीनार तो लगा दिया, लेकिन वहां से पानी की एक बूंद के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं और लोग 1-2 चांपानल के भरोसे अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

Intro:रांची
बाइट---रामलगन महली//समाजसेवी
बाइट--दिनेश कुमार//स्थानीय//टोपी

लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों का चुनाव का दौरा देखने को मिल रहा है सभी पार्टियों के नेता लोगों की बुनियादी जरूरतों को दूर करने के लिए बुनियादी जरूरतों को दूर करने के दावे कर रहे हैं विकास का पहाड़ा नेताओं के द्वारा पढ़ा जा रहा है लेकिन राजधानी से सटे गांव के लोग गर्मी के शुरुआती दौर में पानी के लिए तरस रहे हैं। सरकारी योजना और नेताओं के दावे दम तोड़ती नजर आ रही है। तो वही बना जल मीनार हाथी का दांत बन कर रहा है देखिए स्पेशल रिपोर्ट


Body:हम बात कर रहे हैं राजधानी रांची से सटे पिठौरिया गांव की जहां के लोग गर्मी के शुरुआती दिन में ही पानी के लिए तरस रहे हैं इस गांव के पानी चिकलोद से जूझने की समस्या कोई नई बात नहीं है हर साल गर्मी आते हैं यहां के लोग पानी के लिए दर-दर भटकने लगते हैं सरकार के द्वारा पिठोरिया गांव में पानी की समस्या दूर करने के लिए लघु जन विराज के निर्माण भी कराया गया है लेकिन वह भी हाथी के दांत बन कर आ गया ठेकेदार अपनी मुनाफा के लिए जैसे तैसे में जल मीनार तो लगा दिया है लेकिन वहां से पानी का एक बूंद तक के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं। इस के लोग 1 -2 चांपानाल के भरोसे अपनी प्यास बुझा रहे है


Conclusion:इस गांव के लगभग 25 सौ घर 1से 2 चापाकल के भरोसे आश्रित है। लोग सुबह 4:00 बजे से चपानल के आगे अपने बर्तन लगा कर अपनी बारी का इंतजार करते हैं ताकि उनका पानी भरने का पारी आ सके और एक-दो घड़ा चापानल से पानी भरकर अपने घर ले जाकर अपनी प्यास बुझा सके लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि जब तक उसकी पारी आती है तब तक चापानाल पानी समाप्त हो जाता है। हद तो तब होता है जब लाइन में लगे लोग एक दूसरे से लड़ाई करना शुरू कर देते हैं। स्थानीय लोगों की माने तो इस इलाके में पानी की किल्लत को लेकर कई बार शिकायत भी की गई है लेकिन स्थिति जस के तस बना हुआ है स्थानीय मुखिया को भी लिखित शिकायत दी गई है लेकिन टीचर फाइनल अब भी गांव में खराब है।
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