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झारखंड में एक बार फिर सक्रिय हुए पत्थलगड़ी समर्थक, गिरफ्तारी नहीं होने से बढ़ा मनोबल - Ranchi News

जोसेफ पूर्ति गांवों में घूम-घूमकर ग्रामीणों का आधार कार्ड और राशन कार्ड यह कहकर ले रहा है कि इसे राज्यपाल के पास जमा करना है. ग्रामीणों को सरकारी स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजने का भी दबाव बना रहा है.

झारखंड में एक बार फिर सक्रिय हुए पत्थलगड़ी समर्थक
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Published : Jun 26, 2019, 7:23 PM IST

Updated : Jun 27, 2019, 1:11 PM IST

रांची: रघुवर सरकार के लिए पिछले साल बड़ी मुसीबत बने पत्थलगड़ी समर्थक एक बार फिर क्षेत्र में सक्रिय हो रहे हैं. खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव प्रखंड के घनघोर जंगलों वाले गांव में पत्थलगड़ी समर्थक सक्रिय हो चुके हैं. यह लोग एक बार फिर से गांव-गांव घूमकर ग्रामीणों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं.

मिली जानकारी के अनुसार पत्थलगड़ी कांड के नामजद खूंटी निवासी जोसेफ पूर्ति अपने साथी बिरसा ओड़ेया के साथ जलासार क्षेत्र में छिपा हुआ है. यहां रहकर वह लोगों को सरकार के खिलाफ भड़का रहा है. इसके साथ ही ग्रामीणों को सरकारी सुविधाओं का बहिष्कार करने के लिए मजबूर कर रहा है.

Patthalgadi supporters active in Jharkhand
झारखंड में एक बार फिर सक्रिय हुए पत्थलगड़ी समर्थक


सीआईडी ने भी दिया है रिपोर्ट
सीआईडी की रिपार्ट में जिक्र है कि चाईबासा में बंदगांव में ग्रामीणों को उकसाने और सरकारी योजनाओं के विरोध में जोसेफ पूर्ति उर्फ युसूफ पूर्ति और बिरसा ओडेया का हाथ है. दोनों के खिलाफ देशद्रोह समेत कई आपराधिक मामले खूंटी में दर्ज हैं. दोनों नेताओं ने सभाओं के आयोजन के लिए सभी गांवों में नया नेतृत्व खड़ा किया है. हालिया पत्थलगड़ी में गांव-गांव में विरोध की जिम्मेदारी बिरसा टोपनो, चमरू चांपिया, वारगी टोपनो, टांगू बोदरा, जीवन टोपनो, रघु पूर्ति, बसंत पूर्ति, शनिका लोंगा, नंदराम मुंडा, गोपाल बोदरा, कल्याण हापतगारा, एलियस बरजो, सिंगराग पूर्ति, सुलेमान हेंब्रम, जगदीश सिंह मुंडा, मारा मुंडा, अभिराम पूर्ति, जीदन हेंब्रम, मछुआ बोदरा, उम्बुलन बोदरा, शोषण बोदरा को दी गई है.


कौन कौन से गांव पत्थलगड़ी की जद में
बंदगांव प्रखंड के कारू, कातिदिरी, कारला, गुंडय, सौलय गुंडय, किता, बुनूगउली, लोटा, हेस्साडीह, किलुम, बरजो, कुल्डा, कुंदरूगुटू, एरकोडा, दिग्गी, जिकीलता, सियाकेला, कोमडेला, लुंबाई, जाटंग हेस्सा, कुकुरूबारू, कोमान, मुरूमबुरा को पत्थलगड़ी प्रभावित गांव के तौर पर चिन्हित किया गया है।

ये भी पढ़ें-मॉब लिंचिंग पर बोले PM मोदी- पूरे झारखंड को बदनाम करना सही नहीं

राशन और आधार कार्ड कर रहे जमा
ग्रामीणों के अनुसार जोसेफ पुरती गांवों में घूम-घूमकर ग्रामीणों का आधार कार्ड और राशन कार्ड यह कहकर ले रहा है कि इसे राज्यपाल के पास जमा करना है. ग्रामीणों को सरकारी स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजने का भी दबाव बना रहा है. कुछ ग्रामीणों ने यह बताया कि उनके आधार और राशन कार्ड को जमा कराया गया है. जानकारी के मुताबिक, अब तक करीब 13 गांव के ग्रामीणों का राशन कार्ड और आधार कार्ड जोसेफ ने ले लिया है. बंदगांव के तीन पंचायत जलासर, चम्पाबा व मेरामगुटू क्षेत्र में पत्थलगड़ी समर्थक छह माह से सक्रिय हैं। मानकी-मुंडाओं ने इसकी जानकारी पदाधिकारियों को दी है.

10-12 पत्थलगड़ी समर्थक पिछले दिनों गुजरात जाकर ट्रेनिंग में शामिल भी हुए. पत्थलगड़ी समर्थक बंदगांव के कारला, कारू, हेसाडीह, लोटा, बुनुमउली, कुंदरूगुटू, सुईहोलोंग, चम्पाबा, कुकरूबारू, टोकाद हातु, आरकोड़ा आदि गांवों में तेजी से काम कर रहे हैं. ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ पेंशन, राशन, स्कूल आदि से दूर रहने की हिदायत दे रहे हैं.

आदिवासियों की पुरानी परंपरा, लेकिन नई परंपरा में संविधान को चुनौती
पत्थलगड़ी आदिवासियों की पुरानी परंपरा है. इसमें एक पत्थर लगाया जाता है, जिस पर मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है. इसके अलावा वंशावली, पुरखे तथा मृत व्यक्ति की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है. कई जगहों पर अंग्रेजों और दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीरों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है, लेकिन पिछले दिनों शुरु हुए पत्थलगड़ी में वोटर कार्ड और आधार कार्ड को आदिवासी विरोधी दस्तावेज बताया गया. पत्थलगड़ी में उल्लेख किया गया कि आदिवासी लोग भारत देश के मालिक हैं, आम आदमी या नागरिक नहीं.

खतरे की बात यह है कि पिछले दिनों जो पत्थलगड़ी आंदोलन शुरू हुआ, इसमें आदिवासियों के स्वशासन और नियंत्रण क्षेत्र में गैररूढ़ी प्रथा के व्यक्तियों के मौलिक अधिकार लागू नहीं होने की बात लिखी जाती है. पत्‍थरों पर लिखा जाता है कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में संसद या विधानमंडल का कोई भी सामान्य कानून लागू नहीं है. इसके साथ ही, अनुच्छेद 15 (पारा 1-5) के तहत ऐसे लोग जिनके गांव में आने से यहां की सुशासन शक्ति भंग होने की संभावना है, तो उनका आना-जाना, घूमना-फिरना वर्जित है.
पत्थलगड़ी में वोटर कार्ड और आधार कार्ड को आदिवासी विरोधी दस्तावेज बताया जाता है. यह उल्लेख किया जाता है कि आदिवासी लोग भारत देश के मालिक हैं, आम आदमी या नागरिक नहीं. संविधान के अनुच्छेद 13 (3) क के तहत रूढ़ि और प्रथा ही विधि का बल यानी संविधान की शक्ति है.

ये भी पढ़ें-सरायकेला मॉब लिंचिंग: 15 साल पहले तबरेज के पिता की भी हुई थी हत्या, अबतक नहीं सुलझी है गुत्थी


पत्थलगड़ी नेताओं की गिरफ्तारी नहीं होने की वजह से फिर खड़ा हुआ आंदोलन

खूंटी में विवादित पत्थलगड़ी के मामले में बड़े नेताओं की गिरफ्तारी नहीं होने पर पुलिस मुख्यालय ने नाराजगी जताई है. डीजीपी कमल नयन चौबे के आदेश पर आईजी अभियान आशीष बत्रा ने खूंटी और चाईबासा जिले के एसपी से पत्थलगड़ी से संबंधित मामले में दर्ज कांडों में आवश्यक कार्रवाई करते हुए एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है. खूंटी थाना में पत्थलगड़ी विवाद को लेकर राष्ट्रद्रोह का केस 124/18 दर्ज हुआ था.


खूंटी एसपी ने 25 जनवरी 2019 को इस कांड में आरोपी फादर स्टेट स्वामी, बबिता कच्छप, सुकुमार सोरेन, विरास नाग, थॉमस रूण्डा, वाल्टर कंडुलना, घनश्याम बिरूली, धरमकिशो कुल्लू, साम टुडू, गुलशन टुडू, मुक्ति तिर्की, राकेश रोशन किरो, अजल कंडुलना, अनुपम सुमित लकड़ा, अजंग्या बिरूआ, विकास कोड़ा, विनोद केरकेट्टा, आलोका कुजूर, विनोद कुमार, थियोडर किडो की गिरफ्तारी का आदेश दिया है.


पत्र में लिखा गया है कि केस में एसडीपीओ और खूंटी एसपी ने आरोपियों के खिलाफ मामला सत्य पाया था। केस के अनुसंधानकर्ता को गिरफ्तारी और कुर्की संबंधी आदेश दिए थे. इस मामले को लेकर खूंटी एसपी ने बताया कि फरार आरोपियों की जल्द से गिरफ्तारी की जाएगी इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. कई पत्थलगड़ी के आरोपी नेताओं के घरों की कुर्की की जा चुकी है.

रांची: रघुवर सरकार के लिए पिछले साल बड़ी मुसीबत बने पत्थलगड़ी समर्थक एक बार फिर क्षेत्र में सक्रिय हो रहे हैं. खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव प्रखंड के घनघोर जंगलों वाले गांव में पत्थलगड़ी समर्थक सक्रिय हो चुके हैं. यह लोग एक बार फिर से गांव-गांव घूमकर ग्रामीणों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं.

मिली जानकारी के अनुसार पत्थलगड़ी कांड के नामजद खूंटी निवासी जोसेफ पूर्ति अपने साथी बिरसा ओड़ेया के साथ जलासार क्षेत्र में छिपा हुआ है. यहां रहकर वह लोगों को सरकार के खिलाफ भड़का रहा है. इसके साथ ही ग्रामीणों को सरकारी सुविधाओं का बहिष्कार करने के लिए मजबूर कर रहा है.

Patthalgadi supporters active in Jharkhand
झारखंड में एक बार फिर सक्रिय हुए पत्थलगड़ी समर्थक


सीआईडी ने भी दिया है रिपोर्ट
सीआईडी की रिपार्ट में जिक्र है कि चाईबासा में बंदगांव में ग्रामीणों को उकसाने और सरकारी योजनाओं के विरोध में जोसेफ पूर्ति उर्फ युसूफ पूर्ति और बिरसा ओडेया का हाथ है. दोनों के खिलाफ देशद्रोह समेत कई आपराधिक मामले खूंटी में दर्ज हैं. दोनों नेताओं ने सभाओं के आयोजन के लिए सभी गांवों में नया नेतृत्व खड़ा किया है. हालिया पत्थलगड़ी में गांव-गांव में विरोध की जिम्मेदारी बिरसा टोपनो, चमरू चांपिया, वारगी टोपनो, टांगू बोदरा, जीवन टोपनो, रघु पूर्ति, बसंत पूर्ति, शनिका लोंगा, नंदराम मुंडा, गोपाल बोदरा, कल्याण हापतगारा, एलियस बरजो, सिंगराग पूर्ति, सुलेमान हेंब्रम, जगदीश सिंह मुंडा, मारा मुंडा, अभिराम पूर्ति, जीदन हेंब्रम, मछुआ बोदरा, उम्बुलन बोदरा, शोषण बोदरा को दी गई है.


कौन कौन से गांव पत्थलगड़ी की जद में
बंदगांव प्रखंड के कारू, कातिदिरी, कारला, गुंडय, सौलय गुंडय, किता, बुनूगउली, लोटा, हेस्साडीह, किलुम, बरजो, कुल्डा, कुंदरूगुटू, एरकोडा, दिग्गी, जिकीलता, सियाकेला, कोमडेला, लुंबाई, जाटंग हेस्सा, कुकुरूबारू, कोमान, मुरूमबुरा को पत्थलगड़ी प्रभावित गांव के तौर पर चिन्हित किया गया है।

ये भी पढ़ें-मॉब लिंचिंग पर बोले PM मोदी- पूरे झारखंड को बदनाम करना सही नहीं

राशन और आधार कार्ड कर रहे जमा
ग्रामीणों के अनुसार जोसेफ पुरती गांवों में घूम-घूमकर ग्रामीणों का आधार कार्ड और राशन कार्ड यह कहकर ले रहा है कि इसे राज्यपाल के पास जमा करना है. ग्रामीणों को सरकारी स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजने का भी दबाव बना रहा है. कुछ ग्रामीणों ने यह बताया कि उनके आधार और राशन कार्ड को जमा कराया गया है. जानकारी के मुताबिक, अब तक करीब 13 गांव के ग्रामीणों का राशन कार्ड और आधार कार्ड जोसेफ ने ले लिया है. बंदगांव के तीन पंचायत जलासर, चम्पाबा व मेरामगुटू क्षेत्र में पत्थलगड़ी समर्थक छह माह से सक्रिय हैं। मानकी-मुंडाओं ने इसकी जानकारी पदाधिकारियों को दी है.

10-12 पत्थलगड़ी समर्थक पिछले दिनों गुजरात जाकर ट्रेनिंग में शामिल भी हुए. पत्थलगड़ी समर्थक बंदगांव के कारला, कारू, हेसाडीह, लोटा, बुनुमउली, कुंदरूगुटू, सुईहोलोंग, चम्पाबा, कुकरूबारू, टोकाद हातु, आरकोड़ा आदि गांवों में तेजी से काम कर रहे हैं. ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ पेंशन, राशन, स्कूल आदि से दूर रहने की हिदायत दे रहे हैं.

आदिवासियों की पुरानी परंपरा, लेकिन नई परंपरा में संविधान को चुनौती
पत्थलगड़ी आदिवासियों की पुरानी परंपरा है. इसमें एक पत्थर लगाया जाता है, जिस पर मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है. इसके अलावा वंशावली, पुरखे तथा मृत व्यक्ति की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है. कई जगहों पर अंग्रेजों और दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीरों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है, लेकिन पिछले दिनों शुरु हुए पत्थलगड़ी में वोटर कार्ड और आधार कार्ड को आदिवासी विरोधी दस्तावेज बताया गया. पत्थलगड़ी में उल्लेख किया गया कि आदिवासी लोग भारत देश के मालिक हैं, आम आदमी या नागरिक नहीं.

खतरे की बात यह है कि पिछले दिनों जो पत्थलगड़ी आंदोलन शुरू हुआ, इसमें आदिवासियों के स्वशासन और नियंत्रण क्षेत्र में गैररूढ़ी प्रथा के व्यक्तियों के मौलिक अधिकार लागू नहीं होने की बात लिखी जाती है. पत्‍थरों पर लिखा जाता है कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में संसद या विधानमंडल का कोई भी सामान्य कानून लागू नहीं है. इसके साथ ही, अनुच्छेद 15 (पारा 1-5) के तहत ऐसे लोग जिनके गांव में आने से यहां की सुशासन शक्ति भंग होने की संभावना है, तो उनका आना-जाना, घूमना-फिरना वर्जित है.
पत्थलगड़ी में वोटर कार्ड और आधार कार्ड को आदिवासी विरोधी दस्तावेज बताया जाता है. यह उल्लेख किया जाता है कि आदिवासी लोग भारत देश के मालिक हैं, आम आदमी या नागरिक नहीं. संविधान के अनुच्छेद 13 (3) क के तहत रूढ़ि और प्रथा ही विधि का बल यानी संविधान की शक्ति है.

ये भी पढ़ें-सरायकेला मॉब लिंचिंग: 15 साल पहले तबरेज के पिता की भी हुई थी हत्या, अबतक नहीं सुलझी है गुत्थी


पत्थलगड़ी नेताओं की गिरफ्तारी नहीं होने की वजह से फिर खड़ा हुआ आंदोलन

खूंटी में विवादित पत्थलगड़ी के मामले में बड़े नेताओं की गिरफ्तारी नहीं होने पर पुलिस मुख्यालय ने नाराजगी जताई है. डीजीपी कमल नयन चौबे के आदेश पर आईजी अभियान आशीष बत्रा ने खूंटी और चाईबासा जिले के एसपी से पत्थलगड़ी से संबंधित मामले में दर्ज कांडों में आवश्यक कार्रवाई करते हुए एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है. खूंटी थाना में पत्थलगड़ी विवाद को लेकर राष्ट्रद्रोह का केस 124/18 दर्ज हुआ था.


खूंटी एसपी ने 25 जनवरी 2019 को इस कांड में आरोपी फादर स्टेट स्वामी, बबिता कच्छप, सुकुमार सोरेन, विरास नाग, थॉमस रूण्डा, वाल्टर कंडुलना, घनश्याम बिरूली, धरमकिशो कुल्लू, साम टुडू, गुलशन टुडू, मुक्ति तिर्की, राकेश रोशन किरो, अजल कंडुलना, अनुपम सुमित लकड़ा, अजंग्या बिरूआ, विकास कोड़ा, विनोद केरकेट्टा, आलोका कुजूर, विनोद कुमार, थियोडर किडो की गिरफ्तारी का आदेश दिया है.


पत्र में लिखा गया है कि केस में एसडीपीओ और खूंटी एसपी ने आरोपियों के खिलाफ मामला सत्य पाया था। केस के अनुसंधानकर्ता को गिरफ्तारी और कुर्की संबंधी आदेश दिए थे. इस मामले को लेकर खूंटी एसपी ने बताया कि फरार आरोपियों की जल्द से गिरफ्तारी की जाएगी इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. कई पत्थलगड़ी के आरोपी नेताओं के घरों की कुर्की की जा चुकी है.

Intro:डे प्लान

सरकार के लिए पिछले साल बड़ी मुसीबत बने पत्थलगड़ी समर्थक एक बार फिर क्षेत्र में सक्रिय हो रहे हैं। खूंटी और  खूंटी से सटे पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव प्रखंड के घनघोर जंगलों वाले  गांवों में पत्थलगड़ी समर्थक सक्रिय हो चुके हैं यह लोग एक बार फिर से गांव-गांव घूमकर ग्रामीणों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं। पत्थलगड़ी समर्थकों के एक बार फिर से सक्रिय होने की वजह से इलाके में बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।


फरार जोसेफ और बिरसा छिपकर आंदोलन को दे रहे हवा

मिली जानकारी के अनुसार पत्थलगड़ी कांड के  नामजद  खूंटी निवासी जोसेफ पूर्ति अपने साथी  बिरसा ओड़ेया के साथ जलासार क्षेत्र में छिपा हुआ है। यहां रहकर वह लोगों को सरकार के खिलाफ भड़का रहा है। साथ ही, ग्रामीणों को सरकारी सुविधाओं का बहिष्कार करने के लिए मजबूर कर रहा है। 

 सीआईडी ने भी दिया है रिपोर्ट
सीआईडी की रिपार्ट में जिक्र है कि चाईबासा में बंदगांव में ग्रामीणों को उकसाने और सरकारी योजनाओं के विरोध में जोसेफ पूर्ति उर्फ युसूफ पूर्ति और बिरसा ओडेया का हाथ है। दोनों के खिलाफ देशद्रोह समेत कई आपराधिक मामले खूंटी में दर्ज हैं। दोनों नेताओं ने सभाओं के आयोजन के लिए सभी गांवों में नया नेतृत्व खड़ा किया है। हालिया पत्थलगड़ी में गांव गांव में विरोध की जिम्मेदारी बिरसा टोपनो, चमरू चांपिया, वारगी टोपनो, टांगू बोदरा, जीवन टोपनो, रघु पूर्ति, बसंत पूर्ति, शनिका लोंगा, नंदराम मुंडा, गोपाल बोदरा, कल्याण हापतगारा, एलियस बरजो, सिंगराग पूर्ति, सुलेमान हेंब्रम, जगदीश सिंह मुंडा, मारा मुंडा, अभिराम पूर्ति, जीदन हेंब्रम, मछुआ बोदरा, उम्बुलन बोदरा, शोषण बोदरा को दी गई है। 


कौन कौन से गांव पत्थलगड़ी की जद में


बंदगांव प्रखंड के कारू, कातिदिरी, कारला, गुंडय, सौलय गुंडय, किता,  बुनूगउली, लोटा, हेस्साडीह, किलुम, बरजो, कुल्डा, कुंदरूगुटू, एरकोडा, दिग्गी, जिकीलता, सियाकेला, कोमडेला, लुंबाई, जाटंग हेस्सा, कुकुरूबारू, कोमान, मुरूमबुरा को पत्थलगड़ी प्रभावित गांव के तौर पर चिन्हित किया गया है। 


राशन और आधार कार्ड कर रहे जमा 


ग्रामीणों के अनुसार जोसेफ पुरती गांवों में घूम-घूमकर ग्रामीणों का आधार कार्ड और राशन कार्ड यह कह कर ले रहा है कि इसे राज्यपाल के पास जमा करना है। ग्रामीणों को सरकारी स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजने का भी दबाव बना रहा है। कुछ ग्रामीणों ने यह बताया कि उनके आधार और राशन कार्ड को जमा करवाया गया है।जो जानकारी मिल रही है उंसके अनुसागत अब तक करीब 13 गांव के ग्रामीणों का राशन कार्ड और आधार कार्ड जोसेफ ने ले लिया है। जानकारी के मुताबिक बंदगांव के तीन पंचायत जलासर, चम्पाबा व मेरामगुटू क्षेत्र में पत्थलगड़ी समर्थक छह माह से सक्रिय हैं। मानकी-मुंडाओं ने इसकी जानकारी पदाधिकारियों को दी है। 10-12 पत्थलगड़ी समर्थक पिछले दिनों गुजरात जाकर ट्रेनिंग में शामिल भी हुए। पत्थलगड़ी समर्थक बंदगांव के कारला, कारू, हेसाडीह, लोटा, बुनुमउली, कुंदरूगुटू, सुईहोलोंग, चम्पाबा, कुकरूबारू, टोकाद हातु, आरकोड़ा आदि गांवों में तेजी से काम कर रहे हैं और ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ पेंशन, राशन, स्कूल आदि से दूर रहने की हिदायत दे रहे हैं। 



आदिवासियों की पुरानी परंपरा ,लेकिन नई परंपरा में संविधान को चुनौती


पत्थलगड़ी आदिवासियों की पुरानी परंपरा है। इसमें एक पत्थर लगाये जाते हैं जिसपर मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। इसके अलावा वंशावली, पुरखे तथा मृत व्यक्ति की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेजों–दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीरों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है।लेकिन खतरे की बात यह है कि
पिछले दिनों जो पत्थलगड़ी आंदोलन शुरू हुआ और जो पत्थर लगाए जा रहे हैं उन पर आदिवासियों के स्वशासन और नियंत्रण क्षेत्र में गैररूढ़ी प्रथा के व्यक्तियों के मौलिक अधिकार लागू नहीं होने की बात लिखी जाती है। पत्‍थरों पर लिखा जाता कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में संसद या विधानमंडल का कोई भी सामान्य कानून लागू नहीं है। साथ ही, अनुच्छेद 15 (पारा 1-5) के तहत ऐसे लोग जिनके गांव में आने से यहां की सुशासन शक्ति भंग होने की संभावना है, तो उनका आना-जाना, घूमना-फिरना वर्जित है। पत्थलगड़ी में वोटर कार्ड और आधार कार्ड को आदिवासी विरोधी दस्तावेज बताया जाता है। यह उल्लेख किया जाता है कि आदिवासी लोग भारत देश के मालिक हैं, आम आदमी या नागरिक नहीं। संविधान के अनुच्छेद 13 (3) क के तहत रूढ़ि और प्रथा ही विधि का बल यानी संविधान की शक्ति है।


पत्थलगड़ी नेताओं की गिरफ्तारी नहीं होने की वजह से फिर खड़ा हुआ आंदोलन


खूंटी में विवादित पत्थलगड़ी के मामले में बड़े नेताओं की गिरफ्तारी नहीं होने पर पुलिस मुख्यालय ने नाराजगी जतायी है। डीजीपी कमल नयन चौबे के आदेश पर आईजी अभियान आशीष बत्रा ने खूंटी व चाईबासा जिले के एसपी से पत्थलगड़ी से संबंधित मामले में दर्ज कांडों में आवश्यक कार्रवाई करते हुए एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है।  खूंटी थाना में पत्थलगड़ी विवाद को लेकर राष्ट्रद्रोह का केस 124/18 दर्ज हुआ था। खूंटी एसपी ने 25 जनवरी 2019 को इस कांड में आरोपी फादर स्टेट स्वामी, बबिता कच्छप, सुकुमार सोरेन, विरास नाग, थॉमस रूण्डा, वाल्टर कंडुलना, घनश्याम बिरूली, धरमकिशो कुल्लू, साम टुडू, गुलशन टुडू, मुक्ति तिर्की, राकेश रोशन किरो, अजल कंडुलना, अनुपम सुमित लकड़ा, अजंग्या बिरूआ, विकास कोड़ा, विनोद केरकेट्टा, आलोका कुजूर, विनोद कुमार, थियोडर किडो की गिरफ्तारी का आदेश दिया है। पत्र में लिखा गया है कि केस में एसडीपीओ और खूंटी एसपी ने आरोपियों के खिलाफ मामला सत्य पाया था। केस के अनुसंधानकर्ता को गिरफ्तारी और कुर्की संबंधी आदेश दिए थे।


जल्द होगी गिरफ्तारी

इस मामले को लेकर खूंटी एसपी ने बताया कि फरार आरोपियों की जल्द से गिरफ्तारी की जाएगी इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। कई पत्थलगड़ी के आरोपी नेताओं के घरों की कुर्की की जा चुकी है..

बाइट - आलोक , एसपी खूंटी
बाइट - ग्रामीण
(दोनो बाइट वाट्सप से गया है।

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Last Updated : Jun 27, 2019, 1:11 PM IST
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