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MGM में परिजन कर रहे वार्ड बॉय का काम, फर्श पर ही होता है इलाज

कोल्हान का रिम्स कहा जाने वाला एमजीएएम अस्पताल मरीजों के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है, यहां हर तरफ अव्यस्थाओं का बोल बाला है. देखिए एक रिपोर्ट.

परिजन कर रहे वार्ड बॉय का काम
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Published : Mar 12, 2019, 9:27 AM IST

जमशेदपुर:कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएम में मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इस अस्पताल में परिजन ही वार्ड बॉय का काम करते हैं. अस्पताल आने वाले मरीजों के लिए न तो स्ट्रेचर की व्यवस्था होती है और न ही अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा मरीजों के लिए किसी प्रकार की सुविधा दी जाती है.

परिजन कर रहे वार्ड बॉय का काम

बता दें कि शहर के सबसे बड़े अस्पताल होने क बावजूद इस अस्पताल की व्यवस्था काफी दयनीय है. अस्पताल आने वाले मरीजों के लिए न तो स्ट्रेचर की व्यवस्था होती है और न ही अस्पताल के कर्मचारियों के द्वारा मरीजों के लिए किसी प्रकार की सुविधा दी जाती है. गम्हरिया से आए हुए मरीज के परिजन का कहना है कि एक महिला छत से गिर थी जो इलाज के अभाव में घंटों पड़ी रही लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली.

हर दिन हजारों मरीज का इलाज मुफ्त में किया जाता है. भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) के मापदंड के अनुसार मरीजों की पुर्जी कंप्यूटर के द्वारा बनाया जाना है. लेकिन कुछ दिनों से हाथ से ही मरीजों की पुर्जी बनाई जा रही है. जिसमें मरीजों की कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं होती, जो एमसीआई के नियम के विरुद्ध कार्य किया जा रहा है.

स्वास्थ्य व्यवस्था का आलम यह है कि यहां के मरीजों का इलाज फर्श पर किया जा रहा है. यही नहीं एमजीएम के अधीक्षक के स्थानांतरण के पांच दिन के बाद भी किसी ने अबतक प्रभार नहीं लिया है. इस मामले पर अधिकारियों ने फिलहाल कुछ भी कहने से मना कर रहे.

जमशेदपुर:कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएम में मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इस अस्पताल में परिजन ही वार्ड बॉय का काम करते हैं. अस्पताल आने वाले मरीजों के लिए न तो स्ट्रेचर की व्यवस्था होती है और न ही अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा मरीजों के लिए किसी प्रकार की सुविधा दी जाती है.

परिजन कर रहे वार्ड बॉय का काम

बता दें कि शहर के सबसे बड़े अस्पताल होने क बावजूद इस अस्पताल की व्यवस्था काफी दयनीय है. अस्पताल आने वाले मरीजों के लिए न तो स्ट्रेचर की व्यवस्था होती है और न ही अस्पताल के कर्मचारियों के द्वारा मरीजों के लिए किसी प्रकार की सुविधा दी जाती है. गम्हरिया से आए हुए मरीज के परिजन का कहना है कि एक महिला छत से गिर थी जो इलाज के अभाव में घंटों पड़ी रही लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली.

हर दिन हजारों मरीज का इलाज मुफ्त में किया जाता है. भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) के मापदंड के अनुसार मरीजों की पुर्जी कंप्यूटर के द्वारा बनाया जाना है. लेकिन कुछ दिनों से हाथ से ही मरीजों की पुर्जी बनाई जा रही है. जिसमें मरीजों की कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं होती, जो एमसीआई के नियम के विरुद्ध कार्य किया जा रहा है.

स्वास्थ्य व्यवस्था का आलम यह है कि यहां के मरीजों का इलाज फर्श पर किया जा रहा है. यही नहीं एमजीएम के अधीक्षक के स्थानांतरण के पांच दिन के बाद भी किसी ने अबतक प्रभार नहीं लिया है. इस मामले पर अधिकारियों ने फिलहाल कुछ भी कहने से मना कर रहे.

Intro:एंकर-- कोल्हान का रिम्स कहा जाने वाला एमजीएएम अस्पताल मरीजों के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है,यहाँ हर तरफ अव्यस्थाओं का बोल बाला है।देखिए एक रिपोर्ट


Body:वीओ1--यह तस्वीर है कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएम की जहाँ मरीजों के परिजन ही वार्ड बॉय का काम करते दिख जाते हैं.अस्पताल आने वाले मरीजों के लिए ना तो स्ट्रेचर की व्यवस्था होती है,और ना ही अस्पताल के कर्मचारियों के द्वारा मरीजों के लिए किसी प्रकार की सुविधा दी जाती है।हालांकि वार्ड बॉय को सेवा से मुक्त कर दिया गया है।
गम्हरिया से आए हुए मरीज के परिजन ने बताया छत से गिरी हुई एक महिला इलाज के अभाव में घंटो पड़ी रही,किसी ने इनकी सुध नहीं ली.
बाइट--कबिता सेवी(मरीज परिजन)
वीओ2-- यहाँ हर दिन हज़ारों मरीज का इलाज मुफ्त में किया जाता है.भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद(एमसीआई) के मापदंड के अनुसार मरीजों की पुर्जी कंप्यूटर के द्वारा बनाया जाना है,बीते दिनों से हाँथ से ही मरीजों की पुर्जी बनाई जा रही है,जिसमें मरीजों की कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाएगी।यहाँ एमसीआई के नियम के विरुद्ध कार्य किया जा रहा है।
बाइट--भगवान दुबे( सचिव असंगठित मजदूर संघ)
वीओ3--स्वास्थ्य व्यवस्था का आलम इसप्रकार है कि यहाँ मरीजों का ईलाज फर्श पर किया जा रहा है, एमजीएम के अधीक्षक के स्थानांतरण के बाद पाँच दिन बीत जाने के बाद भी किसी ने अबतक प्रभार नहीं लिया है, इस मामले पर अधिकारियों ने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया।


Conclusion:एमजीएम अस्पताल में मरीजों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है अधीक्षक और ना ही वार्ड ब्वॉय और ना ही कंप्यूटर ऑपरेटर ऐसे में सवाल यह है कि आखिर सरकारी तंत्र क्या फेल साबित हो गई है।
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