रांची: सत्ता और कुर्सी का मोह राजनेताओं से सब कुछ करवा देता है. टिकट पाने की होड़ और सत्ता के गलियारों में दखल के लिए जनप्रतिनिधि हर वो तरीके अपनाते हैं, जिनसे वो सत्ता के करीब रह सकें. दल-बदल भी ऐसी ही एक गतिविधि है, जिसकी वजह से झारखंड हमेशा सुर्खियों में रहा है.
राज्य में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं और उसके मद्देनजर अब राजनीतिक दलों में दलबदल को लेकर चर्चाएं तेज होने लगी है. राजनीतिक दलों के सूत्रों का यकीन करें, तो 81 इलेक्टेड सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में 15 प्रतिशत ऐसे विधायक हैं, जो अलग-अलग विधानसभा चुनाव के पहले झटका दे सकते हैं. हैरत की बात यह है कि न केवल विपक्ष बल्कि सत्तापक्ष के विधायक भी अब दूसरे राजनीतिक दलों का भविष्य तलाशने में जुटे हैं. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं काफी तेज हैं.
अपने दल से निलंबित एमएलए ढूंढ रहे हैं ठिकाना
उन विधायकों में सबसे पहला नाम वैसे लोगों का है, जिन्हें पार्टी ने निलंबित कर रखा है. उस कड़ी में सबसे पहले आजसू से निलंबित विकास कुमार मुंडा का नाम आता है, जो तमाड़ से विधायक हैं. दरअसल विकास, सूबे में पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा के पुत्र हैं. नक्सलियों ने रमेश सिंह मुंडा की हत्या कर दी, उसके बाद 2009 में विकास चुनावी मैदान में उतरे लेकिन जदयू के प्रत्याशी राजा पीटर से हार गए. बाद में आजसू पार्टी ने उन्हें 2014 में टिकट दिया और वो विधायक चुने गए.
झामुमो के मांडू विधायक भी हैं इस लिस्ट में
लोकसभा चुनावों के ठीक पहले हजारीबाग जिले के मांडू विधानसभा क्षेत्र से झामुमो विधायक जयप्रकाश भाई पटेल भी फिलहाल अपने दल से निलंबित कर दिए गए. दरअसल, पटेल ने चुनावों के वक्त पर पाला बदल लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का हवाला देकर झामुमो की आलोचना करने लगे. यहां तक कि अलग-अलग मंच से उन्होंने एनडीए प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार भी किया. पटेल झारखंड आंदोलनकारी और झामुमो के कद्दावर और विधायक और सांसद रह चुके टेकलाल महतो के बेटे हैं. इनकी आजसू में शिफ्ट होने की जमकर चर्चा है.
इसी कड़ी में तीसरा नाम झारखंड विकास मोर्चा के लातेहार से विधायक प्रकाश राम का आता है. प्रकाश राम को भी पार्टी ने राज्यसभा चुनाव में कथित तौर पर क्रॉस वोटिंग करने के आरोप में निलंबित कर दिया. हाल में हुई झारखंड विकास मोर्चा की केंद्रीय समिति की बैठक में भी वो नदारद रहे और पार्टी कार्यक्रमों में भी कथित रूप से उनकी मौजूदगी कम होती है. इनके अगला चुनाव बीजेपी से लड़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
कुछ और हैं सॉफ्ट टारगेट
निलंबित विधायकों के बाद वैसे विधायकों का नाम आता है, जो कथित तौर पर दूसरे दलों के सॉफ्ट टारगेट हैं या उनका अपनी पार्टी से मन भर गया है. ऐसे विधायकों में पलामू के पांकी विधानसभा से कांग्रेस के विधायक देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह का नाम लिया जा रहा है. संभावना व्यक्त की जा रही है कि उन्हें 'हाथ' का साथ छोड़कर 'कमल' थामना चाह रहे हैं. वहीं, पलामू प्रमंडल के गढ़वा सीट से बीजेपी विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी भी अपना राजनीतिक भविष्य दूसरे दल में तलाश रहे हैं.
इसके बाद झामुमो के बिशुनपुर विधानसभा इलाके से चमरा लिंडा का नाम भी तेजी से उभर रहा है. चमरा एक राज्यसभा चुनाव के दौरान भी झामुमो को झटका दे चुके हैं. उनकी भी बीजेपी से नजदीकियों की चर्चा है. झारखंड विकास मोर्चा के प्रधान महासचिव और पार्टी के विधायक प्रदीप यादव का नाम भी तेजी से चर्चा में आया है. हालांकि प्रदीप यादव झाविमो के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के काफी करीबी माने जाते हैं, लेकिन पिछले दिनों के पार्टी की महिला नेत्री के छेड़छाड़ के आरोपों के बाद उन्होंने पार्टी में अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है.
सत्त्तारूढ़ बीजेपी के विधायक के नाम की भी है चर्चा
हैरत की बात यह है कि न केवल विपक्षी दल के विधायक बल्कि सत्तारूढ़ बीजेपी के विधायक भी इस लिस्ट में शामिल हैं. संथाल परगना इलाके के बोरियों से बीजेपी विधायक ताला मरांडी को लेकर भी काफी तेजी से चर्चा हो रही है. बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके ताला को अपनी कुर्सी केवल इसलिए गंवानी पड़ी क्योंकि इन्होंने सीएनटी एसपीटी एक्ट को लेकर सरकार और पार्टी लाइन से हटकर स्टेटमेंट दे दिया. पद ग्रहण करने के कुछ ही दिनों के बाद ताला मरांडी को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी.
झाविमो के दल बदलू विधायकों पर भी है नजर
इन नामों के अलावा झारखंड विकास मोर्चा छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले 6 विधायकों पर भी दलों की नजर है. इस बात को भी लेकर चर्चा हो रही है कि अगर इन्हें मौजूदा दल से विधानसभा टिकट नहीं मिला, तो यह भी कहीं और शिफ्ट कर सकते हैं. दरअसल, फरवरी 2015 में झाविमो का दामन छोड़ बीजेपी ज्वॉइन करने वाले उन 6 विधायकों में नवीन जयसवाल, अमर बाउरी, रणधीर सिंह, आलोक चौरसिया, जानकी प्रसाद यादव और गणेश गंझू का नाम शामिल है.