गुमला: ईटीवी भारत पर चलाए गए खबर का बुधवार को असर हुआ है. दो दिन पहले ईटीवी भारत ने पिछले 2 सालों से श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन का कार्य सिर्फ कागजों में सिमटने की खबर प्रकाशित की थी. जिसके बाद बुधवार को जिला प्रशासन ने इस पर कार्रवाई करते हुए 2 सालों से चयनित योजना का शुभारंभ किया.
दरअसल, केंद्र सरकार ने जिला मुख्यालय से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहर जैसी सुख सुविधाएं लोगों को देने के लिए 2016 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन का शुभारंभ किया था. इस दौरान जिला प्रशासन के तमाम वरीय अधिकारी एवं ग्रामीणों को प्रशिक्षण देने वाली एनजीओ के लोग भी गांव पहुंचकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.
महिलाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण
कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद इन दो पंचायतों में फिलहाल ग्रामीण महिलाओं को घरेलू उत्पाद से जोड़ते हुए प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसके बाद यहां की महिलाएं आर्थिक रूप से सबल होंगी. फिलहाल जिन महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा उनमें पत्तल, स्नेक्स यूनिट, पापड़, बड़ी, मोमबत्ती, अगरबत्ती, जैक फ्रूट, करील का अचार, आंवला का अचार, आम का आमचूर बनाने के लिए सिखाया जाएगा.
योजना की दी गई राशि
इसके साथ ही ह्यूमन ट्रैफिकिंग के बारे में भी इन्हें जागरूक किया जाएगा. जो अभी योजनाएं महिलाओं को दी जाएगी. उसकी प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है जिनकी लागत 50 लाख 88 हजार 500 रूपए है.
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क्या हैं रुर्बन मिशन
बता दें कि रुर्बन मिशन के अंतर्गत देश में ग्रामीण क्षेत्रों का विशाल भूखंड अकेली बस्ती का हिस्सा नहीं है. बल्कि बस्तियों के कलेक्टर का हिस्सा है, जो एक दूसरे के पास स्थित हैं. विकास की संभावना वाले इन क्लस्टर का अपना आर्थिक महत्व है और इनके कारण उनके स्थानीय और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलता है. इसलिए ऐसे कलस्टरों के लिए ठोस नीति निर्देश बनाकर इनका विकास करने के बाद इन्हें रूर्बन के रूप में श्रेणीकृत किया जा सकता है.
इसलिए आर्थिक दृष्टिकोण से और अवसंरचना व्यवस्था के लाभ को इष्टतम बनाने और इन कलस्टरों का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन को अनुमोदित किया है. जिसका उद्देश्य रूर्बन कलस्टरों को तैयार करना है.