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गुमला: ईटीवी भारत की खबर का असर, रुर्बन मिशन कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ - launch of the plan

ईटीवी भारत का खबर का असर 2 सालों से कागजों में चल रही योजना का आज गांव में पहुंचकर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने किया शुभारंभ.

रुर्बन मिशन कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
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Published : Mar 6, 2019, 8:09 PM IST

गुमला: ईटीवी भारत पर चलाए गए खबर का बुधवार को असर हुआ है. दो दिन पहले ईटीवी भारत ने पिछले 2 सालों से श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन का कार्य सिर्फ कागजों में सिमटने की खबर प्रकाशित की थी. जिसके बाद बुधवार को जिला प्रशासन ने इस पर कार्रवाई करते हुए 2 सालों से चयनित योजना का शुभारंभ किया.

रुर्बन मिशन कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

दरअसल, केंद्र सरकार ने जिला मुख्यालय से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहर जैसी सुख सुविधाएं लोगों को देने के लिए 2016 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन का शुभारंभ किया था. इस दौरान जिला प्रशासन के तमाम वरीय अधिकारी एवं ग्रामीणों को प्रशिक्षण देने वाली एनजीओ के लोग भी गांव पहुंचकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.

महिलाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण
कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद इन दो पंचायतों में फिलहाल ग्रामीण महिलाओं को घरेलू उत्पाद से जोड़ते हुए प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसके बाद यहां की महिलाएं आर्थिक रूप से सबल होंगी. फिलहाल जिन महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा उनमें पत्तल, स्नेक्स यूनिट, पापड़, बड़ी, मोमबत्ती, अगरबत्ती, जैक फ्रूट, करील का अचार, आंवला का अचार, आम का आमचूर बनाने के लिए सिखाया जाएगा.

योजना की दी गई राशि
इसके साथ ही ह्यूमन ट्रैफिकिंग के बारे में भी इन्हें जागरूक किया जाएगा. जो अभी योजनाएं महिलाओं को दी जाएगी. उसकी प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है जिनकी लागत 50 लाख 88 हजार 500 रूपए है.

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क्या हैं रुर्बन मिशन
बता दें कि रुर्बन मिशन के अंतर्गत देश में ग्रामीण क्षेत्रों का विशाल भूखंड अकेली बस्ती का हिस्सा नहीं है. बल्कि बस्तियों के कलेक्टर का हिस्सा है, जो एक दूसरे के पास स्थित हैं. विकास की संभावना वाले इन क्लस्टर का अपना आर्थिक महत्व है और इनके कारण उनके स्थानीय और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलता है. इसलिए ऐसे कलस्टरों के लिए ठोस नीति निर्देश बनाकर इनका विकास करने के बाद इन्हें रूर्बन के रूप में श्रेणीकृत किया जा सकता है.

इसलिए आर्थिक दृष्टिकोण से और अवसंरचना व्यवस्था के लाभ को इष्टतम बनाने और इन कलस्टरों का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन को अनुमोदित किया है. जिसका उद्देश्य रूर्बन कलस्टरों को तैयार करना है.

गुमला: ईटीवी भारत पर चलाए गए खबर का बुधवार को असर हुआ है. दो दिन पहले ईटीवी भारत ने पिछले 2 सालों से श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन का कार्य सिर्फ कागजों में सिमटने की खबर प्रकाशित की थी. जिसके बाद बुधवार को जिला प्रशासन ने इस पर कार्रवाई करते हुए 2 सालों से चयनित योजना का शुभारंभ किया.

रुर्बन मिशन कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

दरअसल, केंद्र सरकार ने जिला मुख्यालय से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहर जैसी सुख सुविधाएं लोगों को देने के लिए 2016 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन का शुभारंभ किया था. इस दौरान जिला प्रशासन के तमाम वरीय अधिकारी एवं ग्रामीणों को प्रशिक्षण देने वाली एनजीओ के लोग भी गांव पहुंचकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.

महिलाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण
कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद इन दो पंचायतों में फिलहाल ग्रामीण महिलाओं को घरेलू उत्पाद से जोड़ते हुए प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसके बाद यहां की महिलाएं आर्थिक रूप से सबल होंगी. फिलहाल जिन महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा उनमें पत्तल, स्नेक्स यूनिट, पापड़, बड़ी, मोमबत्ती, अगरबत्ती, जैक फ्रूट, करील का अचार, आंवला का अचार, आम का आमचूर बनाने के लिए सिखाया जाएगा.

योजना की दी गई राशि
इसके साथ ही ह्यूमन ट्रैफिकिंग के बारे में भी इन्हें जागरूक किया जाएगा. जो अभी योजनाएं महिलाओं को दी जाएगी. उसकी प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है जिनकी लागत 50 लाख 88 हजार 500 रूपए है.

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क्या हैं रुर्बन मिशन
बता दें कि रुर्बन मिशन के अंतर्गत देश में ग्रामीण क्षेत्रों का विशाल भूखंड अकेली बस्ती का हिस्सा नहीं है. बल्कि बस्तियों के कलेक्टर का हिस्सा है, जो एक दूसरे के पास स्थित हैं. विकास की संभावना वाले इन क्लस्टर का अपना आर्थिक महत्व है और इनके कारण उनके स्थानीय और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलता है. इसलिए ऐसे कलस्टरों के लिए ठोस नीति निर्देश बनाकर इनका विकास करने के बाद इन्हें रूर्बन के रूप में श्रेणीकृत किया जा सकता है.

इसलिए आर्थिक दृष्टिकोण से और अवसंरचना व्यवस्था के लाभ को इष्टतम बनाने और इन कलस्टरों का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन को अनुमोदित किया है. जिसका उद्देश्य रूर्बन कलस्टरों को तैयार करना है.

Intro:गुमला : ईटीवी भारत पर चलाए गए खबर का असर हुआ है । दो दिन पूर्व ईटीवी भारत ने खबर चलाया था कि पिछले 2 सालों से श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुबन मिशन का कार्य सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई है । खबर चलाए जाने के बाद आज जिला प्रशासन ने 2 सालों से चयनित योजना का शुभारंभ किया है । बकायदा जिला प्रशासन के तमाम वरीय अधिकारी एवं ग्रामीणों को प्रशिक्षण देने वाली एनजीओ के लोग भी गांव पहुंचकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया है ।


Body:दरअसल केंद्र सरकार ने जिला मुख्यालय से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहर की जैसा सुख सुविधाएं लोगों को मिले इसके लिए 2016 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन का शुभारंभ किया था ।
रूर्बन मिशन के बारे में आपको विस्तार से बता दें कि इसके अंतर्गत देश में ग्रामीण क्षेत्रों का विशाल भूखंड अकेली बस्ती का हिस्सा नहीं है । बल्कि बस्तियों के कलेक्टर का हिस्सा है ,जो कि एक दूसरे के समीप स्थित है । विकास की संभावना वाले इन क्लस्टर का अपना आर्थिक महत्व है और इनके कारण उनके स्थानीय और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलता है । इसलिए ऐसे कलस्टरों के लिए ठोस नीति निर्देश बनाकर इनका विकास करने के बाद इन्हें रूर्बन के रूप में श्रेणीकृत किया जा सकता है । इसलिए आर्थिक दृष्टिकोण से और अवसंरचना व्यवस्था के लाभ को इष्टतम बनाने के लिए दृष्टि से इन कलस्टरों का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन को अनुमोदित किया है । जिसका उद्देश्य से रूर्बन कलस्टरों को तैयार करना है ।
इसी योजना के तहत गुमला जिला मुख्यालय से सटे दो पंचायत करौंदी और तेलगांव को मिलाकर एक क्लस्टर बनाया गया । इस क्लस्टर में रुबन मिशन के तहत 26 योजनाओं का संचालन करना है । जिसके लिए गुमला जिला मुख्यालय से सटे इन 2 पंचायतों का चयन राष्ट्रीय पोषण मिशन के अंतर्गत प्रथम चरण में किया गया है । इन दो पंचायतों में 8 गांव आते हैं जहां लगभग 100 करोड़ रुपए की लागत की राशि से गांव का विकास करते हुए यहां के ग्रामीणों को शहरी सुख सुविधा प्रदान करना है ।

कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद इन दो पंचायतों में फिलहाल ग्रामीण महिलाओं को घरेलू उत्पाद से जोड़ते हुए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसके बाद यहां की महिलाएं आर्थिक रूप से संभल होंगी। अभी जो ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा उनमें पत्तल, स्नेक्स यूनिट ,पापड़, बड़ी ,मोमबत्ती, अगरबत्ती, जैक फ्रूट, करील का अचार, अमला का अचार , आम का आमचूर बनाने के लिए सिखाया जाएगा ।। इसके साथ ही ह्यूमन ट्रैफिकिंग के बारे में भी इन्हें जागरूक किया जाएगा । अभी जो योजनाएं महिलाओं को दी जाएगी उसके प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है जिन की लागत ₹5088500 है।



Conclusion:गांव में योजना का शुभारंभ होने के बाद ग्रामीण महिलाएं काफी खुश हैं । महिलाओं को कहना है कि आज जिस तरह से रूर्बन मिशन योजना का शुभारंभ किया गया है उससे हम ग्रामीणों को काफी लाभ होगा ।। हम प्रशिक्षण प्राप्त कर उसे व्यवहार में लाएंगे और फिर उसका उत्पादन कर अच्छी तरह से आर्थिक रूप से संभल हो सकते हैं ।। वहीं कुछ महिलाओं ने कहा कि जिस तरह से सरकार के द्वारा 2 साल पूर्व हमारे गांव को श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के तहत चयन किया था । और उसे शुरू होने में लगभग 2 साल लग गए । आज 2 साल बाद जब योजना का शुभारंभ हो रहा है तो हमें संदेह है कि आने वाले समय में यह शुभारंभ होकर ही न सिमट जाए । बल्कि आगे भी काम होता रहे ।
वहीं जिले के उपायुक्त ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के अंतर्गत मुख्यालय से सटे 2 पंचायतों में शहरों जैसी सुख सुविधाएं ग्रामीणों को देनी है ।। जिसके लिए आज योजना का शुभारंभ कर दिया गया है ।। शुरुआत में ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा । इसके साथ ही गांव के विकास के तहत स्ट्रीट लाइट लगाई जाएंगी ।।सड़कें, नालियां बनाई जाएंगी । भवन का निर्माण कराया जाएगा जहां ग्रामीण गांव के विकास के लिए बैठक के कर सकेंगे।

बाईट : 1: पूनम देवी ( ग्रामीण महिला )
बाईट: 2 : यस्मिन देवी ( ग्रामीण महिला )
बाईट :3 : शशि रंजन ( उपायुक्त, गुमला )
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