ETV Bharat / state

सरकार की 'ओलचिकी' लिपि प्रेम का बीजेपी ने किया स्वागत, JMM ने बताया सीजनल पैंतरा

सरकार के ओलचिकी लिपि को बढ़ावा देने के प्रयास पर जेएमएम ने निशाना साधा है. तो बीजेपी ने राज्य सरकार की इस कदम का स्वागत किया है.

बीजेपी-जेएमएम की प्रतिक्रिया
author img

By

Published : Mar 8, 2019, 5:08 PM IST

रांचीः बीजेपी इसबार लोकसभा चुनाव में संथाल की सभी सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है. फिलहाल संथाल में केवल सीट बीजेपी के पास है. इसबार पार्टी ने अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए संथाली भाषा की लिपि ओलचिकी का सहारा लिया है.

बीजेपी-जेएमएम की प्रतिक्रिया

दुमका और राजमहल दोनों लोकसभा इलाके अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इन इलाकों में संथाल आदिवासियों की संख्या भी बड़ी मात्रा में है. दुमका से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन लगातार सांसद बनते आए हैं. जबकि राजमहल सीट पर फिलहाल झामुमो के विजय हांसदा एमपी हैं.

सरकार का अचानक जोर बढ़ा है ओलचिकी लिपि पर

राज्य सरकार ने हाल में यह घोषणा की है कि संथाल परगना के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक में ओलचिकि लिपि की भी पढ़ाई कराई जाएगी. जबकि उन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर ओलचिकी के जानकार भी नहीं हैं. हालांकि इसके लिए राज्य सरकार ने लिपि के जानकार युवा युवतियों को प्रति घंटे के हिसाब से स्थानीय स्तर पर नियुक्त करने को कहा है.

दरअसल ओलचिकि लिपि की पढ़ाई पश्चिम बंगाल स्थित बोलपुर के शांतिनिकेतन में होती है. वहां इस लिपि में बकायदा पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री की पढ़ाई होती है. उसके बाद इस लिपि के जानकार असम और बंगाल में हैं. हैरत की बात यह है कि ओलचिकि साहित्य की जो भी किताबें उपलब्ध हैं. वह या तो देवनागरी लिपि में है या रोमन मेंय जानकार बताते हैं कि संथाली साहित्य खुद ओलचिकि में उतनी समृद्ध रूप से नहीं लिखी गई है.

हालांकि लिपि को संवैधानिक दर्जा दिया हुआ है. कोल्हान की एक संस्था ऑल इंडिया संथाल एजुकेशन काउंसिल लिपि में कुछ कोर्स भी कराती है. वहीं पश्चिम बंगाल में मैट्रिक की परीक्षा इस लिपि में लेने की मान्यता है. बंगाल के बाद ओडिशा में इस लिपि को मान्यता दी गई है. इस लिपि के प्रणेता रघुनाथ मुर्मू माने जाते हैं. जो मूल रूप से ओडिशा के मयूरभंज इलाके से जुड़े रहे हैं.

क्या कहते हैं राजनीतिक दल
राज्य सरकार द्वारा ओलचिकी लिपि को लेकर उमड़े प्रेम पर झामुमो ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह एक सीजनल घोषणा है. ऐसा नहीं है कि सरकार कुछ नया करने जा रही है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पहले रेलवे स्टेशन में बांग्ला और उर्दू जैसी भाषाओं में जानकारी अंकित की जाती थी. लेकिन बाद में धीरे-धीरे वह गायब हो गया. वहीं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि भाषा का संवर्द्धन अच्छी बात है. लेकिन उससे पहले प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर लेना चाहिए.

जबकि बीजेपी ने राज्य सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार न केवल जनजातियों के जीवन में परिवर्तन लाने को प्रतिबद्ध है. बल्कि सभ्यता संस्कृति को अक्षुण्ण रखने में भी हर संभव प्रयास कर रही है. बीजेपी के प्रदेश महामंत्री और विधायक अनंत ओझा ने कहा कि राज्य सरकार संथाली भाषा की इस लिपि को बचाना चाहती है. इसलिए यह प्रयास किया जा रहा है.

बता दें कि सरकारी प्राथमिक स्कूल में ओलचिकी लिपि में संथाली की पढ़ाई के अलावा संथाल परगना में पड़ने वाले रेलवे स्टेशन में भी संथाली में अनाउंसमेंट शुरू किया गया है.

रांचीः बीजेपी इसबार लोकसभा चुनाव में संथाल की सभी सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है. फिलहाल संथाल में केवल सीट बीजेपी के पास है. इसबार पार्टी ने अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए संथाली भाषा की लिपि ओलचिकी का सहारा लिया है.

बीजेपी-जेएमएम की प्रतिक्रिया

दुमका और राजमहल दोनों लोकसभा इलाके अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इन इलाकों में संथाल आदिवासियों की संख्या भी बड़ी मात्रा में है. दुमका से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन लगातार सांसद बनते आए हैं. जबकि राजमहल सीट पर फिलहाल झामुमो के विजय हांसदा एमपी हैं.

सरकार का अचानक जोर बढ़ा है ओलचिकी लिपि पर

राज्य सरकार ने हाल में यह घोषणा की है कि संथाल परगना के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक में ओलचिकि लिपि की भी पढ़ाई कराई जाएगी. जबकि उन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर ओलचिकी के जानकार भी नहीं हैं. हालांकि इसके लिए राज्य सरकार ने लिपि के जानकार युवा युवतियों को प्रति घंटे के हिसाब से स्थानीय स्तर पर नियुक्त करने को कहा है.

दरअसल ओलचिकि लिपि की पढ़ाई पश्चिम बंगाल स्थित बोलपुर के शांतिनिकेतन में होती है. वहां इस लिपि में बकायदा पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री की पढ़ाई होती है. उसके बाद इस लिपि के जानकार असम और बंगाल में हैं. हैरत की बात यह है कि ओलचिकि साहित्य की जो भी किताबें उपलब्ध हैं. वह या तो देवनागरी लिपि में है या रोमन मेंय जानकार बताते हैं कि संथाली साहित्य खुद ओलचिकि में उतनी समृद्ध रूप से नहीं लिखी गई है.

हालांकि लिपि को संवैधानिक दर्जा दिया हुआ है. कोल्हान की एक संस्था ऑल इंडिया संथाल एजुकेशन काउंसिल लिपि में कुछ कोर्स भी कराती है. वहीं पश्चिम बंगाल में मैट्रिक की परीक्षा इस लिपि में लेने की मान्यता है. बंगाल के बाद ओडिशा में इस लिपि को मान्यता दी गई है. इस लिपि के प्रणेता रघुनाथ मुर्मू माने जाते हैं. जो मूल रूप से ओडिशा के मयूरभंज इलाके से जुड़े रहे हैं.

क्या कहते हैं राजनीतिक दल
राज्य सरकार द्वारा ओलचिकी लिपि को लेकर उमड़े प्रेम पर झामुमो ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह एक सीजनल घोषणा है. ऐसा नहीं है कि सरकार कुछ नया करने जा रही है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पहले रेलवे स्टेशन में बांग्ला और उर्दू जैसी भाषाओं में जानकारी अंकित की जाती थी. लेकिन बाद में धीरे-धीरे वह गायब हो गया. वहीं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि भाषा का संवर्द्धन अच्छी बात है. लेकिन उससे पहले प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर लेना चाहिए.

जबकि बीजेपी ने राज्य सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार न केवल जनजातियों के जीवन में परिवर्तन लाने को प्रतिबद्ध है. बल्कि सभ्यता संस्कृति को अक्षुण्ण रखने में भी हर संभव प्रयास कर रही है. बीजेपी के प्रदेश महामंत्री और विधायक अनंत ओझा ने कहा कि राज्य सरकार संथाली भाषा की इस लिपि को बचाना चाहती है. इसलिए यह प्रयास किया जा रहा है.

बता दें कि सरकारी प्राथमिक स्कूल में ओलचिकी लिपि में संथाली की पढ़ाई के अलावा संथाल परगना में पड़ने वाले रेलवे स्टेशन में भी संथाली में अनाउंसमेंट शुरू किया गया है.

Intro:रांची। प्रदेश की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार संथाल परगना में अपनी पहुंच बढ़ाने के मकसद से संथाली भाषा की लिपि ओलचिकि के माध्यम से नई इबारत लिखने की तैयारी में है। आगामी लोकसभा इलेक्शन में पार्टी संथाल परगना के दुमका और राजमहल लोकसभा सीट पर अपनी जीत दर्ज कराना चाहती है। कुल 6 जिलों में फैले इस प्रमंडल में 3 लोकसभा सीटें हैं। जिनमें से एक पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है, जबकि अन्य 2 पर विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद हैं।
दुमका और राजमहल दोनों लोकसभा इलाके अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं और इन इलाकों में संथाल आदिवासियों की संख्या भी बड़ी मात्रा में है। दुमका से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन लगातार सांसद होते आए हैं जबकि राजमहल सीट पर फिलहाल झामुमो के विजय हांसदा एमपी हैं




Body:
सरकार का अचानक जोर बढ़ा है ओलचिकी लिपि पर
राज्य सरकार ने हाल में यह घोषणा की है कि संथाल परगना के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक में ओलचिकि लिपि की भी पढ़ाई की जाएगी। जबकि उन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर ओलचिकी के जानकार भी नहीं है। हालांकि इसके लिए राज्य सरकार ने लिपि के जानकार युवा युवतियों को प्रति घंटे के हिसाब से स्थानीय स्तर पर नियुक्त करने को कहा है।

दरअसल ओलचिकि लिपि की पढ़ाई पश्चिम बंगाल स्थित बोलपुर के शांतिनिकेतन में होती है। वहां से इस लिपि में बकायदा पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री की पढ़ाई होती है। उसके बाद इस लिपि के जानकार आसाम और बंगाल में है। हैरत की बात यह है कि ओलचिकि साहित्य की जो भी किताबें उपलब्ध है वह या तो देवनागरी लिपि में है या रोमन में। जानकार बताते हैं कि संथाली साहित्य खुद ओलचिकि में उतनी समृद्ध रूप से नहीं लिखी गई है। हालांकि लिपि को संवैधानिक दर्जा दिया हुआ है और कोल्हान की एक संस्था ऑल इंडिया संथाल एजुकेशन काउंसिल और की लिपि में कुछ कोर्स भी कराती है। वहीं पश्चिम बंगाल में मैट्रिक की परीक्षा इस लिपि में लेने की मान्यता है। बंगाल के बाद उड़ीसा में इस लिपि को मान्यता दी गई है इस लिपि के प्रणेता रघुनाथ मुरमू माने जाते हैं जो मूल रूप से उड़ीसा के मयूरभंज इलाके से जुड़े हुए रहे हैं।


Conclusion:क्या कहते हैं राजनीतिक दल
राज्य सरकार द्वारा ओल चिकीलिपि को लेकर उमड़े प्रेम पर झामुमो ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह एक सीज़नल घोषणा है ऐसा नहीं है कि सरकार कुछ नया करने जा रही है।झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पहले रेलवे स्टेशन में बांग्ला और उर्दू जैसी भाषाओं में जानकारी अंकित की जाती थी लेकिन बाद में धीरे-धीरे वह गायब हो गया। वहीं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि भाषा का संवर्द्धन अच्छी बात है लेकिन उससे पहले प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर लेना चाहिए
जबकि बीजेपी ने राज्य सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार न केवल जनजातियों के जीवन में परिवर्तन लाने को प्रतिबद्ध है बल्कि की सभ्यता संस्कृति को अक्षुण्ण रखने में भी हर संभव प्रयास कर रही है। बीजेपी के ओरदेश महामंत्री और विधायक अनंत ओझा ने कहा कि राज्य सरकार संथाली भाषा की इस लिपि को बचाना चाहती है इसलिए यह प्रयास किया जा रहा है।

बता दें कि सरकारी स्कूल में प्राथमिक स्कूल में रुचि की लिपि में संथाली की पढ़ाई के अलावा के अलावा संथाल परगना में पड़ने वाले रेलवे स्टेशन में भी संथाली में अनाउंसमेंट शुरू किया गया है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.