रांची: लोकसभा चुनाव में हार के दर्द से अब तक कांग्रेस उबरती नजर नहीं आ रही है. जिसका नतीजा है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए संगठन में कोई हलचल नहीं है. एक तरफ सत्तारूढ़ बीजेपी चुनावी तैयारी में जुट गई है. तो दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस दो फाड़ हो चुका है. प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की मांग की जा रही है. ऐसे में प्रदेश में कांग्रेस पार्टी किसके नेतृत्व और भरोसे पर चुनाव लड़ेगी. इस पर संशय बना हुआ है.
विधानसभा चुनाव में महज कुछ महीने बचे हैं, लेकिन अन्य दलों की तरह विपक्ष की कांग्रेस पार्टी में चुनावी हलचल नहीं है. हालांकि मुद्दों को लेकर पार्टी की ओर से सड़क पर उतरकर आंदोलन तो किया जा रहा है. लेकिन चुनाव के लिए संगठन की मजबूती को दरकिनार कर दिया गया है. पिछले दिनों झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह की बैठक के दौरान दो गुटों में बंटी प्रदेश कांग्रेस का जो चेहरा सामने आया. उससे जहां पार्टी की जमकर किरकिरी हुई है. तो वहीं आगामी चुनाव में पार्टी को इस घटना के बाद नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
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प्रदेश कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को लेकर प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार के खिलाफ बने गुट का मानना है कि जब सेनापति ही नदारद रहे तो सैनिकों का क्या हाल होगा. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा है कि सत्तारूढ़ बीजेपी हो या फिर अन्य विपक्षी दल सभी आगामी चुनाव की तैयारियों में लगे हैं. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष नदारद हैं और कार्यकर्ताओं से कटे हुए हैं. ऐसे में जिस तरह से लोकसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. अगर अध्यक्ष पद पर डॉ अजय कुमार बने रहते हैं. तो आगामी विधानसभा चुनाव में इससे भी खराब दुर्दशा पार्टी को झेलनी पड़ेगी.
लेकिन प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय के नेतृत्व में जन मुद्दों को लेकर संगठन की ओर से सड़क पर उतर कर आंदोलन भी किया जा रहा है. वहीं प्रदेश अध्यक्ष के नदारद होने के आरोपों को खारिज करते हुए प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि प्रदेश अध्यक्ष लगातार कार्यकर्ताओं से जुड़े हुए हैं और जुलाई के पहले सप्ताह में संगठन की मजबूती के लिए बैठकें की जाएंगी. उन्होंने कहा है कि फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली में हैं और जल्द ही उनके नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में संगठन पुरजोर तरीके से जुट जाएगा.