रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यवाहक अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि जब सफर लंबा तय करना होता है तो जुगत लगानी पड़ती है. राजधानी में आयोजित हेमंत की चौपाल में सोशल मीडिया के माध्यम से आए सवालों का जवाब देते हुए सोरेन ने यह टिप्पणी की.
लगभग 1 घंटे तक चली इस चौपाल में सोरेन के सामने कुछ ऑनलाइन प्रश्न आए. कुछ वहां मौजूद लोगों ने भी सवाल उठाए. चौपाल में सोशल मीडिया के माध्यम से दुमका के एक व्यक्ति ने पूछा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा अकेले चुनाव में क्यों नहीं जाता है, उसे गठबंधन में शामिल होने की जरूरत क्या है. इस पर उन्होंने कहा कि कभी-कभी कंकड़ पत्थर को भी सीढ़ी बनानी पड़ती है और मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में गठबंधन में शामिल होना वैसा ही है. साथ ही लोगों ने रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े सवालों पर उनकी राय जानी.
एंप्लॉयमेंट को लेकर उठे सवाल पर सोरेन ने कहा कि सरकार लोगों को बेरोजगारी भत्ता देने की बजाय अपनी कंपनी खोले. उन्होंने कहा कि घाटे में चलने वाली कंपनी में लोग काम करें और उन्हें तनख्वाह मिले, यह ज्यादा अच्छा है बजाय इसके कि उन्हें बेरोजगारी भत्ता घर पर बिठा कर दिया जाए. उन्होंने ये भी कहा कि योग्यता के अनुसार लोगों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं. यही वजह है कि निजी क्षेत्र में उनका शोषण हो रहा है.
वहीं, स्कॉलरशिप के मामले पर उठे एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आई तो वो स्कॉलरशिप और आसान कर देगी. स्थानीय नीति में सुधार पहली प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति ऐसी बनाई जाएगी, जिससे यहां के लोगों को अवसर मिले. साथ ही नियोजन नीति में भी स्थानीय लोगों को नौकरियां ज्यादा मिले, इसकी व्यवस्था की जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि पूरे देश भर में आदिवासियों को लेकर चल रहे आंदोलन का एक प्लेटफार्म बनाना उनकी व्यक्तिगत इच्छा है और वो चाहते हैं कि वो इस काम में शामिल हो.