रांची: राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के 72वें जन्मदिन पर पटना में बहत्तर पाउंड का केक काटने की तैयारी की गई है. लालू यादव का 72वां जन्मदिवस मंगलवार को है और इसी को लेकर तैयारी चल रही है. लालू यादव चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं और इन दिनों राजधानी रांची के रिम्स में अपनी बीमारी का इलाज करा रहे हैं.
बिहार के गोपालगंज में एक यादव परिवार में जन्मे यादव ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश नारायण के जेपी आन्दोलन से की जब वे एक छात्र नेता थे और उस समय के राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी थे. 1977 में आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में लालू यादव जीते और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा पहुंचे. 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे.
छात्र राजनीति में प्रवेश
प्रसाद ने 1970 में पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव के रूप में छात्र राजनीति में प्रवेश किया और 1973 में अध्यक्ष बने. 1974 में उन्होंने बिहार आंदोलन जेपी की अगुवाई वाली छात्र आंदोलन में बढ़ोतरी, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ शामिल हो गए. इस आंदोलन के दौरान लालू जनवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता के करीब आए और 1977 में लोकसभा चुनाव में छपरा से जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित हुए. जनता पार्टी ने भारत गणराज्य के इतिहास में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनाई और 29 साल की उम्र में लालू भारतीय संसद के सबसे युवा सदस्यों में से एक बन गए. 1990 में लालू बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1995 में भी भारी बहुमत से विजयी रहे.
चारा मामले में हुई सजा
1997 में जब केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ चारा घोटाला मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया तो यादव को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा. अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बन गए और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी. चारा घोटाला मामले में उस समय लालू यादव को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में रहे भी. लालू फिलहाल चारा घोटाले के मामले में सजा काट रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में पार्टी का खराब प्रदर्शन
लालू के जेल जाने के बाद पार्टी कमजोर पड़ गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी बिहार में एक भी सीट नहीं जीत पाई. इस दौरान पार्टी की कमान लालू के छोटे बेटे तेजस्वी के हाथ में थी. लालू के लिए लोकसभा चुनाव 2019 किसी मायने में ठीक नहीं रही. लालू की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिला वहीं उनकी बेटी मीसा भारती भी चुनाव हार गई. झारखंड में भी पार्टी को झटका लगा जब ठीक चुनाव से पहले पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ने पार्टी छोड़ दिया. इसके बाद झारखंड में पार्टी के लिए कुछ भी अच्छा नहीं रहा. अन्नपूर्णा के हटने के बाद गौतम सागर राणा आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष बने, लेकिन इस दौरान गुटबाजी का दौर चला जिसके कारण लालू यादव ने झारखंड में पार्टी को पूरी तरह से भंग कर दिया था. इसके बाद सोमवार को फिर से पार्टी को नए सिरे से उभारते हुए झारखंड प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा अभय कुमार सिंह को दिया गया.
HAPPY BIRTHDAY लालू यादव, 1970 से अब तक का सफर - रांची
मंगलवार को आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का जन्मदिन है. लालू इस समय चारा घोटाला के मामले में जेल में हैं और रांची के रिम्स में इलाज करा रहे हैं. लालू प्रसाद यादव के 72वें जन्मदिन पर पटना में बहत्तर पाउंड का केक काटने की तैयारी की गई है. लालू यादव का 72वां जन्मदिवस मंगलवार को है और इसी को लेकर तैयारी चल रही है. लालू यादव चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं और इन दिनों राजधानी रांची के रिम्स में अपनी बीमारी का इलाज करा रहे हैं.
रांची: राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के 72वें जन्मदिन पर पटना में बहत्तर पाउंड का केक काटने की तैयारी की गई है. लालू यादव का 72वां जन्मदिवस मंगलवार को है और इसी को लेकर तैयारी चल रही है. लालू यादव चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं और इन दिनों राजधानी रांची के रिम्स में अपनी बीमारी का इलाज करा रहे हैं.
बिहार के गोपालगंज में एक यादव परिवार में जन्मे यादव ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश नारायण के जेपी आन्दोलन से की जब वे एक छात्र नेता थे और उस समय के राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी थे. 1977 में आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में लालू यादव जीते और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा पहुंचे. 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे.
छात्र राजनीति में प्रवेश
प्रसाद ने 1970 में पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव के रूप में छात्र राजनीति में प्रवेश किया और 1973 में अध्यक्ष बने. 1974 में उन्होंने बिहार आंदोलन जेपी की अगुवाई वाली छात्र आंदोलन में बढ़ोतरी, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ शामिल हो गए. इस आंदोलन के दौरान लालू जनवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता के करीब आए और 1977 में लोकसभा चुनाव में छपरा से जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित हुए. जनता पार्टी ने भारत गणराज्य के इतिहास में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनाई और 29 साल की उम्र में लालू भारतीय संसद के सबसे युवा सदस्यों में से एक बन गए. 1990 में लालू बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1995 में भी भारी बहुमत से विजयी रहे.
चारा मामले में हुई सजा
1997 में जब केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ चारा घोटाला मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया तो यादव को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा. अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बन गए और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी. चारा घोटाला मामले में उस समय लालू यादव को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में रहे भी. लालू फिलहाल चारा घोटाले के मामले में सजा काट रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में पार्टी का खराब प्रदर्शन
लालू के जेल जाने के बाद पार्टी कमजोर पड़ गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी बिहार में एक भी सीट नहीं जीत पाई. इस दौरान पार्टी की कमान लालू के छोटे बेटे तेजस्वी के हाथ में थी. लालू के लिए लोकसभा चुनाव 2019 किसी मायने में ठीक नहीं रही. लालू की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिला वहीं उनकी बेटी मीसा भारती भी चुनाव हार गई. झारखंड में भी पार्टी को झटका लगा जब ठीक चुनाव से पहले पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ने पार्टी छोड़ दिया. इसके बाद झारखंड में पार्टी के लिए कुछ भी अच्छा नहीं रहा. अन्नपूर्णा के हटने के बाद गौतम सागर राणा आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष बने, लेकिन इस दौरान गुटबाजी का दौर चला जिसके कारण लालू यादव ने झारखंड में पार्टी को पूरी तरह से भंग कर दिया था. इसके बाद सोमवार को फिर से पार्टी को नए सिरे से उभारते हुए झारखंड प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा अभय कुमार सिंह को दिया गया.
HAPPY BIRTHDAY लालू यादव, 1970 से अब तक का सफर
happy birthday lalu yadav 2019
रांची: राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के 72वें जन्मदिन पर पटना में बहत्तर पाउंड का केक काटने की तैयारी की गई है. लालू यादव का 72वां जन्मदिवस मंगलवार को है और इसी को लेकर तैयारी चल रही है. लालू यादव चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं और इन दिनों राजधानी रांची के रिम्स में अपनी बीमारी का इलाज करा रहे हैं.
बिहार के गोपालगंज में एक यादव परिवार में जन्मे यादव ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश नारायण के जेपी आन्दोलन से की जब वे एक छात्र नेता थे और उस समय के राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी थे. 1977 में आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में लालू यादव जीते और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा पहुंचे. 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे.
छात्र राजनीति में प्रवेश
प्रसाद ने 1970 में पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव के रूप में छात्र राजनीति में प्रवेश किया और 1973 में अध्यक्ष बने. 1974 में उन्होंने बिहार आंदोलन जेपी की अगुवाई वाली छात्र आंदोलन में बढ़ोतरी, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ शामिल हो गए. इस आंदोलन के दौरान लालू जनवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता के करीब आए और 1977 में लोकसभा चुनाव में छपरा से जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित हुए. जनता पार्टी ने भारत गणराज्य के इतिहास में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनाई और 29 साल की उम्र में लालू भारतीय संसद के सबसे युवा सदस्यों में से एक बन गए. 1990 में लालू बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1995 में भी भारी बहुमत से विजयी रहे.
चारा मामले में हुई सजा
1997 में जब केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ चारा घोटाला मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया तो यादव को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा. अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बन गए और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी. चारा घोटाला मामले में उस समय लालू यादव को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में रहे भी. लालू फिलहाल चारा घोटाले के मामले में सजा काट रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में पार्टी का खराब प्रदर्शन
लालू के जेल जाने के बाद पार्टी कमजोर पड़ गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी बिहार में एक भी सीट नहीं जीत पाई. इस दौरान पार्टी की कमान लालू के छोटे बेटे तेजस्वी के हाथ में थी. लालू के लिए लोकसभा चुनाव 2019 किसी मायने में ठीक नहीं रही. लालू की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिला वहीं उनकी बेटी मीसा भारती भी चुनाव हार गई. झारखंड में भी पार्टी को झटका लगा जब ठीक चुनाव से पहले पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ने पार्टी छोड़ दिया. इसके बाद झारखंड में पार्टी के लिए कुछ भी अच्छा नहीं रहा. अन्नपूर्णा के हटने के बाद गौतम सागर राणा आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष बने, लेकिन इस दौरान गुटबाजी का दौर चला जिसके कारण लालू यादव ने झारखंड में पार्टी को पूरी तरह से भंग कर दिया था. इसके बाद सोमवार को फिर से पार्टी को नए सिरे से उभारते हुए झारखंड प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा अभय कुमार सिंह को दिया गया.
Conclusion: