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NDA और UPA को नुकसान पहुंचाएगी भाकपा! कुशवाहा और मुस्लिम वोटर एक जुटता से करेंगे मतदान - CPI

महागठबंधन से वाम दल को अलग करने के बाद वाम दल भी अपने कैडर वोट को मजबूत करने में पूरी दमखम से तैयारी कर रहा है. वाम दल नेता और भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद का कहना है कि महागठबंधन से अलग होने के बाद वाम दल अपनी मजबूत सीटों पर अकेले ही लड़ाई लड़ेगा. जिसमें कोडरमा, हजारीबाग, राजमहल और पलामू लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.

भाकपा नेता
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Published : Apr 5, 2019, 6:20 PM IST

रांची: लोकसभा चुनाव 2019 की तस्दीक से सभी पार्टियां अपने सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने में लग गई हैं. इसको लेकर झारखंड में भी सभी छोटी बड़ी पार्टियां अपनी-अपनी लोकसभा सीटों में अपने कैडर वोट और पारंपरिक वोटों को पक्ष में करने के लिए कोशिशें कर रही है.

जानकारी देते भाकपा नेता

झारखंड में भी सभी पार्टियां अपने कैडर वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. महागठबंधन से वाम दल को अलग करने के बाद वाम दल भी अपने कैडर वोट को मजबूत करने में पूरी दमखम से तैयारी कर रहा है. वाम दल नेता और भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद का कहना है कि महागठबंधन से अलग होने के बाद वाम दल अपनी मजबूत सीटों पर अकेले ही लड़ाई लड़ेगा. जिसमें कोडरमा, हजारीबाग, राजमहल और पलामू लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.
अगर कोडरमा लोकसभा सीट की बात करें, तो पिछले लोकसभा चुनाव में कोडरमा से भाकपा माले प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे और काफी कम वोटों के अंतर से उनकी हार हुई थी. लेकिन इस बार आदिवासी, दलित, कोइरी और अल्पसंख्यक जैसे वोटबैंक भी भाकपा माले के खाते में 100 प्रतिशत आने के आसार हैं.

हजारीबाग लोकसभा सीट को लेकर भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव अजय कुमार सिंह का कहना है कि अगर इस बार हजारीबाग लोकसभा में सामाजिक समीकरण को देखें, तो भुवनेश्वर मेहता के प्रत्याशी होने के बाद कुशवाहा और मुसलमान वोट बैंक फिर से एकजुट होकर वाम दल के लिए मतदान करेगा. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कोडरमा और हजारीबाग लोकसभा सीट पर वाम दल अपने कैडर वोटरों के जरिए कहीं ना कहीं एनडीए और यूपीए को भारी नुकसान पहुंचा सकता है.

रांची: लोकसभा चुनाव 2019 की तस्दीक से सभी पार्टियां अपने सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने में लग गई हैं. इसको लेकर झारखंड में भी सभी छोटी बड़ी पार्टियां अपनी-अपनी लोकसभा सीटों में अपने कैडर वोट और पारंपरिक वोटों को पक्ष में करने के लिए कोशिशें कर रही है.

जानकारी देते भाकपा नेता

झारखंड में भी सभी पार्टियां अपने कैडर वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. महागठबंधन से वाम दल को अलग करने के बाद वाम दल भी अपने कैडर वोट को मजबूत करने में पूरी दमखम से तैयारी कर रहा है. वाम दल नेता और भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद का कहना है कि महागठबंधन से अलग होने के बाद वाम दल अपनी मजबूत सीटों पर अकेले ही लड़ाई लड़ेगा. जिसमें कोडरमा, हजारीबाग, राजमहल और पलामू लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.
अगर कोडरमा लोकसभा सीट की बात करें, तो पिछले लोकसभा चुनाव में कोडरमा से भाकपा माले प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे और काफी कम वोटों के अंतर से उनकी हार हुई थी. लेकिन इस बार आदिवासी, दलित, कोइरी और अल्पसंख्यक जैसे वोटबैंक भी भाकपा माले के खाते में 100 प्रतिशत आने के आसार हैं.

हजारीबाग लोकसभा सीट को लेकर भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव अजय कुमार सिंह का कहना है कि अगर इस बार हजारीबाग लोकसभा में सामाजिक समीकरण को देखें, तो भुवनेश्वर मेहता के प्रत्याशी होने के बाद कुशवाहा और मुसलमान वोट बैंक फिर से एकजुट होकर वाम दल के लिए मतदान करेगा. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कोडरमा और हजारीबाग लोकसभा सीट पर वाम दल अपने कैडर वोटरों के जरिए कहीं ना कहीं एनडीए और यूपीए को भारी नुकसान पहुंचा सकता है.

Intro:रांची
हितेश
डे प्लान
election special report ।

लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही सभी पार्टियां अपनी सामाजिक समीकरण को मजबूत करने में लग गई है।

इसको लेकर झारखंड में भी सभी छोटी बड़ी पार्टियां अपने-अपने लोकसभा क्षेत्रों में अपने कैडर वोट और पारंपरिक वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए जुट चुकी है।

इसको लेकर झारखंड में भी सभी पार्टियां अपने कैडर वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।

झारखंड में महागठबंधन से वाम दल को अलग करने के बाद वाम दल भी अपने कैडर वोट को मजबूत करने में पूरी दमखम से तैयारी कर रही है।

इसको लेकर वाम दल नेता भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद बताते हैं कि महागठबंधन से अलग होने के बाद वाम दल अपनी मजबूत सीटों पर अकेले ही लड़ाई लड़ेगी जिसमें कोडरमा हजारीबाग राजमहल पलामू लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। इन सभी सीटों पर वाम दल ने इतिहास में भी मजबूत प्रदर्शन दिखाया है।


Body:उन्होंने बताया कि अगर हम बात करें कोडरमा लोकसभा सीट की तो पिछले लोकसभा चुनाव में भी कोडरमा से भाकपा माले प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे और काफी कम मतों के अंतर से हार हुई थी।
वहीं इस बार जिस तरह से आदिवासी, दलित, कोइरी और अल्पसंख्यक जैसे वोटबैंक भी भाकपा माले के खाते में 100% आने के आसार हैं जबकि पिछली बार की अगर बात करें तो सिर्फ हमारे कैडर वोट बैंक के मतों की संख्या पर ही हमने दूसरा स्थान प्राप्त किया था लेकिन इस बार सामाजिक समीकरण पर गौर करते हैं तो पिछली बार से ज्यादा मत आने के आसार हैं।

वह हमने जब बाबूलाल मरांडी के विपक्ष में खड़ा होने की बात भाकपा माले नेता जनार्दन प्रसाद से पूछा तो उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से पिछले कुछ दिनों से बाबूलाल मरांडी के प्रभावी नेता भाजपा में आए हैं तब से बाबूलाल मरांडी कोडरमा लोकसभा सीट पर लगातार कमजोर होते जा रहे हैं ऐसे में हम कोडरमा लोकसभा सीट पर मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं।

वहीं हजारीबाग लोकसभा सीट को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव अजय कुमार सिंह बताते हैं कि अगर इस बार हजारीबाग लोकसभा में सामाजिक समीकरण को देखें तो भुवनेश्वर मेहता के प्रत्याशी होने के बाद कुशवाहा और मुसलमान वोट बैंक फिर से एक एकजुट होकर वाम दल के लिए मतदान करेगी क्योंकि मुसलमान और कुशवाहा समीकरण में जब जब एकजुट होकर मतदान किया है तब तब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने हजारीबाग लोकसभा सीट से जीत प्राप्त की है।

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कोडरमा और हजारीबाग लोकसभा सीट पर वाम दल अपने कैडर वोटरो के माध्यम से कहीं ना कहीं एनडीए या यूपीए को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं वाम दल के नेताओं की माने तो सिर्फ कोडरमा और हजारीबाग ही नहीं बल्कि दुमका, चतरा, जमशेदपुर,गोड्डा राजमहल जैसे लोकसभा सीटों पर भी वाम दल अपने कैडर वोटरो के माध्यम से यूपीए और एनडीए को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।
ई टीवी भारत के लिये हितेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट।





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