रांची: लोकसभा चुनाव 2019 की तस्दीक से सभी पार्टियां अपने सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने में लग गई हैं. इसको लेकर झारखंड में भी सभी छोटी बड़ी पार्टियां अपनी-अपनी लोकसभा सीटों में अपने कैडर वोट और पारंपरिक वोटों को पक्ष में करने के लिए कोशिशें कर रही है.
झारखंड में भी सभी पार्टियां अपने कैडर वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. महागठबंधन से वाम दल को अलग करने के बाद वाम दल भी अपने कैडर वोट को मजबूत करने में पूरी दमखम से तैयारी कर रहा है. वाम दल नेता और भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद का कहना है कि महागठबंधन से अलग होने के बाद वाम दल अपनी मजबूत सीटों पर अकेले ही लड़ाई लड़ेगा. जिसमें कोडरमा, हजारीबाग, राजमहल और पलामू लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.
अगर कोडरमा लोकसभा सीट की बात करें, तो पिछले लोकसभा चुनाव में कोडरमा से भाकपा माले प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे और काफी कम वोटों के अंतर से उनकी हार हुई थी. लेकिन इस बार आदिवासी, दलित, कोइरी और अल्पसंख्यक जैसे वोटबैंक भी भाकपा माले के खाते में 100 प्रतिशत आने के आसार हैं.
हजारीबाग लोकसभा सीट को लेकर भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव अजय कुमार सिंह का कहना है कि अगर इस बार हजारीबाग लोकसभा में सामाजिक समीकरण को देखें, तो भुवनेश्वर मेहता के प्रत्याशी होने के बाद कुशवाहा और मुसलमान वोट बैंक फिर से एकजुट होकर वाम दल के लिए मतदान करेगा. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कोडरमा और हजारीबाग लोकसभा सीट पर वाम दल अपने कैडर वोटरों के जरिए कहीं ना कहीं एनडीए और यूपीए को भारी नुकसान पहुंचा सकता है.