रांची: लोकसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन की करारी हार के बाद घटक दल एक-दूसरे पर कैंडिडेट को सपोर्ट नहीं मिलने का आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में विधानसभा में महागठबंधन बरकरार रहता है या नहीं इस पर संशय बरकरार है. वहीं, सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. ऐसे में अगर महागठबंधन का स्वरूप सही तरीके से नहीं बन पाता है तो कांग्रेस एकला चलो की राह भी अपना सकती है.
लोकसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन को जिस तरह मुंह की खानी पड़ी है. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के तहत लड़े या अकेले चुनावी मैदान में उतरे. इसको लेकर परेशान दिख रहा है. प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के खेमे में भी कार्यकर्ताओं ने अकेले चुनावी मैदान में उतरने की बात केंद्रीय नेतृत्व को कही है.
ये भी पढ़ें-लोस चुनाव में करारी हार के बाद महागठबंधन को साथ लेकर चलेगा JMM, जानिए क्या है वजह
उसी तरह कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी प्रभारी आरपीएन सिंह को अकेले चुनावी मैदान में उतरने के सुझाव दिए हैं. कार्यकर्ताओं का मानना है कि लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के घटक दलों का उम्मीदवारों को सहयोग नहीं मिला है. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने कहा है कि अगर महागठबंधन के तहत बात नहीं बनी तो कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने से परहेज नहीं करेगा.
हालांकि, प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा है कि वर्तमान समय की मांग है कि आगामी विधानसभा चुनाव महागठबंधन के तहत लड़ा जाए और कांग्रेस का प्रयास होगा कि महागठबंधन का स्वरूप बने. ताकि बीजेपी सरकार को एकजुट होकर उखाड़ फेंकने की रणनीति के तहत सभी दल चुनाव मैदान में उतरे. उन्होंने कहा है कि विपक्ष के सभी दलों के साथ बैठक के बाद ही यह तय हो पाएगा कि महागठबंधन का स्वरूप कैसा होता है और चुनाव में किस तरह की रणनीति के तहत विपक्ष उतरती है.