रांची: रथ यात्रा का अपना विशेष महत्व है, क्या आम और खास सभी अपने बीच के द्वंद भुलाकर भगवान जगन्नाथ की अराधना में लीन दिखते हैं. कुछ ऐसा ही नजारा राजधानी के धुर्वा में देखने को मिला जहां मुख्यमंत्री रघुवर दास और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन एक साथ पूजा करते दिखे.
राजधानी का ऐतिहासिक रथ यात्रा पूरे झारखंड में एक अलग पहचान रखता है. क्या बच्चे क्या बड़े, क्या आम और खास सभी भगवान जगन्नाथ की भक्ति में लीन दिखते हैं. राजधानी का ऐतिहासिक रथ यात्रा पूरे झारखंड में एक अलग पहचान रखता है. क्या बच्चे क्या बड़े, क्या आम और खास सभी भगवान जगन्नाथ की भक्ति में लीन दिखते हैं. भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर मौसीबाड़ी के लिए प्रस्थान कर गए. इस मौके पर भगवान के रथ को खींचने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. रथ के रवाना होने से पहले विधि-विधान के साथ भगवान के विग्रह की पूजा की गई. इस अनुष्ठान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। अपराहन 4:00 बजे मुख्यमंत्री रघुवर दास भी पहुंचे और उन्होंने एक आम श्रद्धालु की तरह भगवान की पूजा की. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भगवान जगन्नाथ का रांची से एक खास रिश्ता है और हमने सूबे के विकास के लिए प्रार्थना की है. झारखंड की जनता को रथ यात्रा की शुभकामनाएं दी. उन्होंने भगवान जगन्नाथ से झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता की खुशहाली की कामना की.
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इस दौरान झारखंड के नेता प्रतिपक्ष और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोध कांत सहाय ने भी भगवान की पूजा की. भगवान की आरती होने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रथ से वहीं नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि इस बार बारिश कम होने से झारखंड के किसान मायूस हैं. उन्होंने भगवान से किसानों के लिए भरपूर वर्षा जल की कामना की। कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय ने रथ यात्रा को झारखंड, उड़ीसा और बंगाल के धार्मिक और सांस्कृतिक संगम का केंद्र बताया. साथ ही उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा प्रभु ही भागवत गीता के रचयिता है.लिहाजा इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि धर्म संकट में है.
रथ के प्रस्थान से पहले भगवान जगन्नाथ के विग्रह की पूजा के दौरान पूजा में शामिल श्रद्धालुओं के लिए सिले हुए वस्त्र नहीं पहनने की धार्मिक परंपरा रही है. आज रथ पर जितने भी पुरोहित और श्रद्धालु पूजा कर रहे थे उनमें से किसी ने भी सिला हुआ वस्त्र नहीं पहना था, लेकिन मुख्यमंत्री रघुवर दास सिला हुआ वस्त्र धारण किए हुए थे. हालांकि उन्होंने धोती जरूर पहनी हुई थी. संभव है कि मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी ना रही हो. लोगों का कहना है कि पूजा करा रहे पुरोहितों को इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री को देनी चाहिए थी.