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तीन साल पहले दिया था मदद का आश्वासन, अब गढ़ रहे आदर्श गांव के विकास की 'नई परिभाषा'

आदर्श गांव के एक ही परिवार में 3 लोग दिव्यांग है. किसी से चावल तो किसी से पैसे उधार लेकर घर चलाना पड़ता है. उनका कहना है कि उन्हें विकास के नाम वोट मांगा जाता है. लेकिन इस बार इन्होंने कहा कि मर जाएंगे पर वोट नहीं देंगे.

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Published : Mar 12, 2019, 10:35 AM IST

Updated : Mar 12, 2019, 10:42 AM IST

देखें स्पेशल स्टोरी.



जमशेदपुर: मोदी सरकार ने बड़े ही ताम जाम के साथ सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी. लेकिन जमशेदपुर के बांगुरदा कागजों पर तो आदर्श गांव हो गया है. लेकिन यहां रहने वाले एक ही परिवार के तीन दृष्टिहीन लोगों के जीवन में अंधेरा छाया हुआ है.

देखें स्पेशल स्टोरी.

जमशेदपुर: लौहनगरी से 40 किलोमीटर दूर पटमदा के आदर्श गांव बांगुरदा के रहने वाले दीपक महतो, दशरथ महतो, आलमति महतो एक ही परिवार के तीन दृष्टिहीन लोग अंधकार में जीवन जीने को मजबूर हैं. तीन साल पहले सांसद विद्युत बरण महतो ने इनके जीवन में उजाला लाने का आश्वासन दिया था जो अब तक पूरा नहीं हो पाया.

इस परिवार में 3 लोग दृष्टिहीन हैं किसी से चावल तो किसी से पैसे उधार लेकर घर चलाते हैं. उनका कहना है कि मर जाएंगे पर वोट नहीं देंगे. महिलाओं ने बताया कि घर चलाना मुश्किल है.

हमारे संवाददाता ने जब सांसद को तीन साल पहले दिए गए आश्वासन के बारे में याद दिलाया तो वे आदर्श गांव के विकास की एक नई परिभाषा गढ़ रहे हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए नेता जनता को आश्वासन का झुनझुना थमाते हैं. तीन साल बीत जाने के बाद भी सांसद के आदर्श गांव में इन तीन दृष्टिहीनों को सांसद का आश्वासन पूरा होने का इंतजार है.



जमशेदपुर: मोदी सरकार ने बड़े ही ताम जाम के साथ सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी. लेकिन जमशेदपुर के बांगुरदा कागजों पर तो आदर्श गांव हो गया है. लेकिन यहां रहने वाले एक ही परिवार के तीन दृष्टिहीन लोगों के जीवन में अंधेरा छाया हुआ है.

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जमशेदपुर: लौहनगरी से 40 किलोमीटर दूर पटमदा के आदर्श गांव बांगुरदा के रहने वाले दीपक महतो, दशरथ महतो, आलमति महतो एक ही परिवार के तीन दृष्टिहीन लोग अंधकार में जीवन जीने को मजबूर हैं. तीन साल पहले सांसद विद्युत बरण महतो ने इनके जीवन में उजाला लाने का आश्वासन दिया था जो अब तक पूरा नहीं हो पाया.

इस परिवार में 3 लोग दृष्टिहीन हैं किसी से चावल तो किसी से पैसे उधार लेकर घर चलाते हैं. उनका कहना है कि मर जाएंगे पर वोट नहीं देंगे. महिलाओं ने बताया कि घर चलाना मुश्किल है.

हमारे संवाददाता ने जब सांसद को तीन साल पहले दिए गए आश्वासन के बारे में याद दिलाया तो वे आदर्श गांव के विकास की एक नई परिभाषा गढ़ रहे हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए नेता जनता को आश्वासन का झुनझुना थमाते हैं. तीन साल बीत जाने के बाद भी सांसद के आदर्श गांव में इन तीन दृष्टिहीनों को सांसद का आश्वासन पूरा होने का इंतजार है.

Intro:एंकर-- जमशेदपुर सांसद का आदर्श गावँ बांगुरदा कागजों पर तो आदर्श गावँ हो गया है,पर यहाँ के रहने वाले एक ही परिवार के तीन दृष्टिहीन लोगों के जीवन में अंधकार छाया हुआ है।


Body:वीओ1-- लौहनगरी से 40 किलोमीटर दूर पटमदा के आदर्श गावँ बांगुरदा के रहने वाले दीपक महतो,दशरथ महतो,आलमति महतो एक ही परिवार के तीन दृष्टिहीन लोग अंधकार में जीवन जीने को मजबूर हैं,तीन साल पहले स्थानीय सांसद विद्युत वरण महतो ने इनके जीवन में उजाला लाने का आश्वासन तो दिया था लेकिन वो महज कोरा ही रह गया। सांसद महोदय ने कहा था इस घर में कुछ रोजगार देंगे हम लोग एक उम्मीद लगाकर बैठे थे, जीवन जीने का कुछ रास्ता निकल जाएगा यह एक आदर्श गांव नहीं है आदर्श गांव रहता तो इस परिवार के लोग कुछ न कुछ चीजों से लाभान्वित होते इतना दुख से जीवन जी रहे हैं जमशेदपुर में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे कोई मदद लेकर परिवार चलाना ना पढ़ा हो।
तीन साल पहले माननीय सांसद महोदय को रोजगार के लिए बोला गया था पर अभी तक कोई भी रोजगार नहीं मिला 500 के लिए किसी के सामने हाथ पसारना पड़ता है।
बाइट--दृष्टिहीन
बाइट--दृष्टिहीन
वीओ2-- एक ही परिवार में 3 लोग दृष्टिहीन है किसी से चावल तो किसी से पैसे उधार लेकर घर चलाना पड़ता है मर जाएंगे पर वोट नहीं देंगे। वहीं महिलाओं ने बताया मुश्किल है घर चलाना घर में कमाने वाला कोई नहीं है बच्चों के पढ़ाई के लिए खर्च भी जुटाना मुश्किल होता है।
बाइट--दृष्टिहीन
बाइट--महिला
वीओ3--ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब फ़ोन पर सांसद को तीन साल पहले दिए गए आश्वासन के बारे में याद दिलाया तो अब आदर्श गावँ के विकास की परिभाषा गढ़ रहे हैं,नई--नई योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं।
बाइट--विद्युत वरण महतो( ऑडियो जमशेदपुर सांसद)


Conclusion:ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए नेतागण जनता को आश्वासन का झुनझुना थमा देते हैं, 3 साल बीत जाने के बाद भी सांसद के आदर्श गांव में आज भी इन तीन दृष्टिहीनों को सांसाद के आश्वासन पूरा होने का इंतजार है।
Last Updated : Mar 12, 2019, 10:42 AM IST
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