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आदिवासियों ने किया ऐतिहासिक पड़हा जतरा सभा का आयोजन, हजारों लोगों ने लिया भाग - विनोवा भावे विश्वविद्यालय

बेड़ो में सोमवार को 53वें वार्षिक पड़हा जतरा सभा का आयोजन किया गया. इस समारोह में हजारों लोगों ने भाग लेकर एकजुटता का परिचय दिया.

आदिवासियों ने बेड़ो में निकाली शोभा-यात्रा.
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Published : Jun 4, 2019, 10:26 AM IST

रांची/बेड़ो: बेड़ो के दो अलग-अलग जगहों पर सोमवार को आदिवासियों का ऐतिहासिक पाड़हा जतरा सभा का आयोजन किया गया. इस समारोह में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लेकर एकता का परिचय दिया.

दोनों स्थलों पर पड़हा निशान लकड़ी के बने हाथी-घोड़े के अलावा रंपा-चंपा और झंडों के साथ शोभा यात्रा निकाली गई. इस दौरान पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए. इस समारोह के मुख्य अतिथि एससी-एसटी आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव थे.

आदिवासियों ने बेड़ो में किया पड़हा जतरा सभा का आयोजन.

सभा को संबोधित करते हुए रामेश्वर उरांव ने कहा कि आदिवासियों का पाड़हा, सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवस्था है. हमारी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा जमीन और प्रकृति से जुड़ा हुआ है. पूरे देश में आदिवासियों की भाषा एक जैसी है. उन्होंने आदिवासियों से शिक्षा को बढ़ावा देने और शराब के सेवन को त्यागने की अपील की.

वहीं, विनोवा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी डॉ. रविन्द्रनाथ भगत ने कहा कि लोकतंत्र की अवधारणा का जन्म ही पड़हा से हुई है. इसकी जडे़ हमारी व्यवस्था से निकलकर पूरी दुनिया के सामाजिक ढांचे में फैल गयी है. पड़हा व्यवस्था को इसकी मौलिकता के साथ हमारी आने वाली पीढी़ को सौंपना हमारी प्राथमिकता है.

रांची/बेड़ो: बेड़ो के दो अलग-अलग जगहों पर सोमवार को आदिवासियों का ऐतिहासिक पाड़हा जतरा सभा का आयोजन किया गया. इस समारोह में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लेकर एकता का परिचय दिया.

दोनों स्थलों पर पड़हा निशान लकड़ी के बने हाथी-घोड़े के अलावा रंपा-चंपा और झंडों के साथ शोभा यात्रा निकाली गई. इस दौरान पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए. इस समारोह के मुख्य अतिथि एससी-एसटी आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव थे.

आदिवासियों ने बेड़ो में किया पड़हा जतरा सभा का आयोजन.

सभा को संबोधित करते हुए रामेश्वर उरांव ने कहा कि आदिवासियों का पाड़हा, सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवस्था है. हमारी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा जमीन और प्रकृति से जुड़ा हुआ है. पूरे देश में आदिवासियों की भाषा एक जैसी है. उन्होंने आदिवासियों से शिक्षा को बढ़ावा देने और शराब के सेवन को त्यागने की अपील की.

वहीं, विनोवा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी डॉ. रविन्द्रनाथ भगत ने कहा कि लोकतंत्र की अवधारणा का जन्म ही पड़हा से हुई है. इसकी जडे़ हमारी व्यवस्था से निकलकर पूरी दुनिया के सामाजिक ढांचे में फैल गयी है. पड़हा व्यवस्था को इसकी मौलिकता के साथ हमारी आने वाली पीढी़ को सौंपना हमारी प्राथमिकता है.

Intro:राँची,
बेड़ो के दो अलग-अलग जगहो पर सोमवार को एक ही समय आदिवासियों का ऐतिहासिक पाड़हा जतरा सह सभा समारोह का आयोजन किया गया। बेड़ो बाजारटांड व बारीडीह बगीचा में संपन्न जतरा सह सभा समारोह में हजारों की संख्या में पड़हा प्रेमी शामिल होकर अपनी एकजूटता का परिचय दिया। दोनों स्थलों पर समारोह के आयोजनकर्ताओं के नेतृत्व में पड़हा निशान लकड़ी के बने हाथी-घोड़ा में अलावा रंपा-चंपा व झंडों के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। एक ही दिन दो अलग-अलग स्थानों पर आयोजित कार्यक्रम को लेकर पुलिस चैकस रही।
बेड़ो बाजारटांड में आयोजित 53वाॅ वार्षिक पड़हा जतरा सह सभा समारोह के मुख्य अतिथि अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा.रमेश्वर उराॅव ने कहा,कि आदिवासीयों का पाड़हा समाजिक सास्कृतिक व्यवस्था है। हमारी सभ्यता संस्कृति और परंपरा जमीन और प्राकृतिक से जुड़ा हुआ है। पुरे देश के आदिवासी का भाषा संस्कृति एक जैसा है। उन्होने आदिवासियों से शिक्षा को बढ़ावा देने व हड़िया दारू का सेवन त्यागने की अपील की। विशिष्ट अतिथि विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा,कि पाड़हा व्यस्था को बचाये रखने के लिए स्वः करमचन्द्र भगत के सपनो को उसे उनके पुत्र डा.रबिन्द्र नाथ भगत सकार रूप दे रहे है। इसमें व्यवस्थपिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका व्यवस्था सम
अध्यक्षता करते हुए विनोवा भावे विश्वविद्यालय के पुर्व कुलपति डाॅ. रबिन्द्र नाथ भगत ने कहा कि लोकतंत्र की अवधारणा का जन्म ही पड़हा से हुई है। इसकी गहरी जडे़ हमारी पड़हा व्यवस्था से निकलकर पूरी दुनिया के सामाजिक ढांचे में फैल गयी है। पडहा व्यवस्था को इसकी मौलिकता के साथ हमारी आने वाली पीढी़ को सौंपना हमारी प्राथमिकता है।
समारोह को मुन्ना बड़ाईक के संचालन में पद्यश्रीं सह पाड़हा राजा सिमोन उराँव,पाड़हा राजा महादेव कुजूर,गोयंदा उराँव,बिशु उरांव,अक्षत भगत,पाड़हा राजा Body:NoConclusion:No
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