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60 वर्षो से कैद अड्डा कनारी के बाबा भोलेनाथ और मां दुर्गा मंदिर में इस साल बजने लगी घंटी, नवरात्रि का पाठ भी हुआ शुरू - बोकारो स्टील प्लांट

बोकारो स्टील प्लांट की चहारदीवारी में कैद मंदिर में 60 साल बाद पूजा शुरू हो गई. लोग लगातार मांग कर रहे थे. जिसके बाद आखिरकार उन्हें अनुमति मिल गई. मदिर खुलने से लोगों में उत्साह उमड़ आया है. Temple enclosed within Bokaro Steel Plant

Temple enclosed within Bokaro Steel Plant
Temple enclosed within Bokaro Steel Plant
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 19, 2023, 8:40 PM IST

Updated : Oct 19, 2023, 10:58 PM IST

बोकारो स्टील प्लांट की चहारदीवारी में कैद मंदिर में 60 साल बाद पूजा

बोकारो: जिले में स्थित बोकारो स्टील प्लांट, जिसके बनने से कई लोगों को रोजगार मिला तो देश के औद्योगिक विकास को बल भी मिला. लेकिन इसके साथ ही इस प्लांट के कारण धर्मावलंबी नाराज भी थे. इसका कारण था एक मंदिर का कैद हो जाना. हम बात कर रहे हैं, अड्डा कनारी के बाबा भोलेनाथ और मां दुर्गा के मंदिर की, जो करीब 60 सालों से बोकारो स्टील प्लांट की चहारदीवारी में कैद है.

यह भी पढ़ें: देवलोक का दर्शन करने पहुंच रहे श्रद्धालु, चंद्रशेखर आजाद पूजा पंडाल बना है बेहद खास

बोकारो के उत्तरी क्षेत्र के अड्डा कनारी के पास बोकारो प्लांट के गेट के अंदर कैद यह मंदिर आस्था का केंद्र रहा करता था, पर पिछले 60 साल से लोगों की आस्था का यह केंद्र बोकारो स्टील प्लांट के अंदर कैद है और यहां पूजा पाठ बंद था. इस बार ग्रामीणों की पहल से इस मंदिर में शंख की ध्वनि और घंटी बजने लगी है और पांच लोगों को मंदिर के अंदर जाकर पूजा करने की इजाजत दी गई है. नवरात्र में पिछले 60 साल के बाद मिली इस तरह की पूजा की इजाजत ने ग्रामीणों को उत्साह से भर दिया है.

प्लांट के हिस्से में पड़ गया था मंदिर: यह मंदिर बोकारो के उत्तरी क्षेत्र में 1928 में बनाया गया था और बोकारो स्टील प्लांट के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण करने के बाद अड्डा कनारी का यह मंदिर भी प्लांट के हिस्से में पड़ गया था. तभी से यहां पूजा पाठ बंद था, पर इस साल मंदिर की रौनक लौट आई है और माता रानी का पाठ शुरू हो गया है. 60 साल पहले इस मंदिर के प्लांट के अंदर चल जाने के कारण लोगों की आस्था का यह केंद्र लुप्त होने लगा था.

मंदिर के प्लांट के अंदर आने के बाद संयंत्र निर्माण के दौरान कई बार मंदिर को हटाने का प्रयास हुआ, पर यह प्रयास नाकाम रहा और बाद में इस मंदिर को जस का तस छोड़ दिया गया. 60 साल बाद इस मंदिर में इस नवरात्र में पूजा अर्चना शुरू की गयी है. लोग बारी बारी से जा रहे हैं, पूजा कर रहे हैं और वापस लौट आ रहे हैं. लोग यह मांग कर रहे हैं कि मंदिर के लिए रास्ता मिल जाए तो उनके आस्था के केंद्र में पूजा पाठ करने में सहूलियत होगी.

1928 में बने मंदिर ने करीब 100 साल का समय गुजार दिया है, जिसमें 60 सालों से यहां पूजा पाठ बंद रहा. इस बार पूजा पाठ शुरू होने से मंदिर गुलजार हो रहा है और लोगों की आस्था भी प्रगाढ़ हो रही है. एक लंबे अर्से के बाद इस मंदिर के गुलजार होने से लोगों का भक्ति भाव देखने लायक है और उनकी आस्था सिर चढ़कर बोलने लगी है.

बोकारो स्टील प्लांट की चहारदीवारी में कैद मंदिर में 60 साल बाद पूजा

बोकारो: जिले में स्थित बोकारो स्टील प्लांट, जिसके बनने से कई लोगों को रोजगार मिला तो देश के औद्योगिक विकास को बल भी मिला. लेकिन इसके साथ ही इस प्लांट के कारण धर्मावलंबी नाराज भी थे. इसका कारण था एक मंदिर का कैद हो जाना. हम बात कर रहे हैं, अड्डा कनारी के बाबा भोलेनाथ और मां दुर्गा के मंदिर की, जो करीब 60 सालों से बोकारो स्टील प्लांट की चहारदीवारी में कैद है.

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बोकारो के उत्तरी क्षेत्र के अड्डा कनारी के पास बोकारो प्लांट के गेट के अंदर कैद यह मंदिर आस्था का केंद्र रहा करता था, पर पिछले 60 साल से लोगों की आस्था का यह केंद्र बोकारो स्टील प्लांट के अंदर कैद है और यहां पूजा पाठ बंद था. इस बार ग्रामीणों की पहल से इस मंदिर में शंख की ध्वनि और घंटी बजने लगी है और पांच लोगों को मंदिर के अंदर जाकर पूजा करने की इजाजत दी गई है. नवरात्र में पिछले 60 साल के बाद मिली इस तरह की पूजा की इजाजत ने ग्रामीणों को उत्साह से भर दिया है.

प्लांट के हिस्से में पड़ गया था मंदिर: यह मंदिर बोकारो के उत्तरी क्षेत्र में 1928 में बनाया गया था और बोकारो स्टील प्लांट के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण करने के बाद अड्डा कनारी का यह मंदिर भी प्लांट के हिस्से में पड़ गया था. तभी से यहां पूजा पाठ बंद था, पर इस साल मंदिर की रौनक लौट आई है और माता रानी का पाठ शुरू हो गया है. 60 साल पहले इस मंदिर के प्लांट के अंदर चल जाने के कारण लोगों की आस्था का यह केंद्र लुप्त होने लगा था.

मंदिर के प्लांट के अंदर आने के बाद संयंत्र निर्माण के दौरान कई बार मंदिर को हटाने का प्रयास हुआ, पर यह प्रयास नाकाम रहा और बाद में इस मंदिर को जस का तस छोड़ दिया गया. 60 साल बाद इस मंदिर में इस नवरात्र में पूजा अर्चना शुरू की गयी है. लोग बारी बारी से जा रहे हैं, पूजा कर रहे हैं और वापस लौट आ रहे हैं. लोग यह मांग कर रहे हैं कि मंदिर के लिए रास्ता मिल जाए तो उनके आस्था के केंद्र में पूजा पाठ करने में सहूलियत होगी.

1928 में बने मंदिर ने करीब 100 साल का समय गुजार दिया है, जिसमें 60 सालों से यहां पूजा पाठ बंद रहा. इस बार पूजा पाठ शुरू होने से मंदिर गुलजार हो रहा है और लोगों की आस्था भी प्रगाढ़ हो रही है. एक लंबे अर्से के बाद इस मंदिर के गुलजार होने से लोगों का भक्ति भाव देखने लायक है और उनकी आस्था सिर चढ़कर बोलने लगी है.

Last Updated : Oct 19, 2023, 10:58 PM IST
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