बोकारोः विलुप्त हो रही आदिम जनजाति बिरहोर की एक महिला अपने पति की मौत के बाद दर-दर की ठोकर खाकर भटक रही है. महिला की मानें तो उसके पति को आदिम जनजाति बटालियन एक दुमका में नौकरी थी, लेकिन एक महीने दुमका में रहने के बाद भी विभाग उनकी ज्वाइनिंग को नकार रहा है.
महिला अपने पति के हक के लिए फरियाद कर रही है. जानकारी के मुताबिक बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड स्थित तुलबुल गांव के बिरहोर टंडा के रहने वाली सोनी कुमारी का पति सुंदर बिरहोर आदिम जनजाति बटालियन 1 दुमका झाड़ू काश के पद पर हुई थी.
सुंदर लाल 4 जनवरी 2020 को नौकरी ज्वाइन करने दुमका गया. उसके बाद 1 महीने तक वह वहां रहा इस दौरान उसने जवानों के साथ कई तस्वीरें भी खिंचवाई इसी क्रम में सुंदर की तबीयत बिगड़ गई इसकी सूचना उसके घर वालों को दुमका से दी गई.
घर वालों ने सुंदर को उसके बाद रांची के रिम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया. 26 जून को डिस्चार्ज कर दिया गया. इस दौरान सुंदर ना बोल पता था और ना ही चल फिर पता था. इस दौरान 12 जुलाई को उसकी मृत्यु घर में हो गई.
इसके बाद सुंदर की पत्नी ने एसआईआर बी 1 दुमका से जब मुआवजा और नौकरी के लिए संपर्क किया तो पत्र के माध्यम से सोनिया को यह सूचित किया गया कि उसके पति ने बटालियन में योगदान ही नहीं दिया था.
इसके बाद सोनिया इस मामले को लेकर दर-दर भटक रही है आज सोनिया इसी फरियाद को लेकर बोकारो के उपायुक्त राजेश सिंह के पास पहुंची, जहां राजेश सिंह ने सोनिया को जल्द से जल्द न्याय दिलाने का भरोसा दिया.
वहीं सोनिया ने बताया कि उसके तीन छोटी-छोटी बच्चियां हैं. पति के असमय चले जाने से वो बच्चों का भरण पोषण करने में असमर्थ है. सोनिया की मदद बोकारो के राजद नेता बहादुर यादव कर रहे हैं, जिनके सहयोग से वो आज उपायुक्त के पास पहुंची.
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सोनिया ने बताया कि मेरे पति एक महीने तक दुमका में रहे. ऐसे में वे बिना ज्वाइनिंग के कैसे रह सकते हैं. वहीं राजद नेता बहादुर यादव ने बताया कि जब सुंदरलाल 1 महीने तक दुमका में काम किया ऐसे में बटालियन यह कहना कि वो ज्वाइन ही नहीं किया था वह कहीं से भी सही नहीं है.
उन्होंने कहा कि आज उसकी पत्नी दर-दर की ठोकर खा रही है लेकिन देखने वाला कोई नहीं है उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस विधवा को मदद करने की अपील की है. वहीं उपायुक्त राजेश सिंह ने कहा कि इस मामले को लेकर वे दुमका के डीसी और एसपी से बात करेंगे.
उन्होंने कहा कि जल्द ही उसे न्याय मिलेगा, जिस प्रकार से राज्य सरकार विलुप्त होती आदिम जनजाति को संरक्षित करने की बात करती है. ऐसे में एक बिरहोर महिला न्याय के लिए दर-दर भटक रही है वह कहीं से भी सही नहीं है.