बोकारो: जिला के धनगढ़ी गांव में ग्रामीणों द्वारा पुलिस पर हमला करने की खबर के बाद, ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और रेल प्रशासन पर जबरन धरना हटाने और मारपीट करने का आरोप लगाया है. महिलाओं ने बताया कि घर में घुस-घुस कर पुलिस ने उनकी पिटाई की वहीं पुरुषों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया.
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ग्रामीणों का कहना है कि हमलोग 173 दिन से मुआवजे आदि की मांग को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे थे. अभी गांव के लोग जागे भी नहीं थे कि पुलिस प्रशासन गांव पहुंच गया और गांव के सभी घरों को बाहर से कुंडी लगाकर बंद कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस-प्रशासन धरना स्थल पर मौजूद लोगों को हटाने का प्रयास करने लगा. इसी दौरान पुलिस प्रशासन ने दौड़ा-दौड़ाकर उनकी पिटाई की, जिसमें कई ग्रामीण चोटिल हो गए.
ग्रामीणों और प्रशासन के बीच झड़प के बाद डीसी कुलदीप चौधरी और एसपी चंदन झा के नेतृत्व में पूरा गांव छावनी में तब्दील हो गया है. किसी को घर से निकलने नहीं दिया जा रहा है. हर घर के पास पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है. चास एसडीएम दिलीप प्रताप सिंह शेखावत ने बताया कि शुरुआत में कार्य शुरू करने के दौरान हल्की झड़प हुई. ग्रामीणों ने पत्थरबाजी की, जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों को चोट लगी है. वहीं, एसडीओ ने बताया कि कार्य शुरू कराने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा. हालांकि, उन्होंने गंभीर चोट की जानकारी से इनकार किया.
क्या है पूरा मामला: बोकारो स्टील प्लांट के निर्माण के लिए धनगढ़ी गांव को अधिग्रहित किया गया था. ग्रामीणों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण किया, लेकिन उसका मुआवजा और नियोजन नहीं मिला है. अब बीएसएल ने रेलवे को जमीन कैसे दे दिया, अगर बीएसएल ने इस जमीन का उपयोग नहीं किया तो वह जमीन हमारी है. हमारा घर तोड़ दिया और रेलवे ने इसका मुआवजा नहीं दिया. इन्हीं सबको लेकर ग्रामीण धरना पर बैठे थे. ग्रामीण अधिग्रहित जमीन पर ही धरना पर बैठे थे, जहां 173 दिन पहले अतिक्रमण हटाया गया था. पुलिस उसी अतिक्रमण का मलबा हटाने गए थे, तभी यह घटना हुई.