बोकारोः सरकारी स्कूल की बात जेहन में आने पर आम लोगों के मन में एक अलग धारणा बन जाती है. जर्जर भवन से लेकर अव्यवस्था की तस्वीर सामने आ जाती है. बात पढ़ाई की हो स्कूल के साज सज्जा की, हर मामले में एक पूर्वाग्रह बना हुआ है कि निजी स्कूल की हर मामले में बेहतर है. लेकिन अब समय बदल रहा है, सरकारी स्कूल की तस्वीर अब बदल रही है. इसका जीता जागता उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है, बोकारो का शिबूटांड़ उत्क्रमित उच्च विद्यालय. BALA यानी बिल्डिंग एज लर्निंग एड कांसेप्ट से पढ़ाई हो रही (Studying under Building As Learning Aid in Bokaro) है.
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बोकारो जिला प्रशासन और डीसी कुलदीप चौधरी की पहल से यहां के सरकारी स्कूल की तस्वीर अब बदल रही (studying by wall paintings at School in Bokaro) है. स्कूल पहुंचने के बाद मन को एक अलग ही अनुभूति हो रही है. पहले चरण में बोकारो के 40 सरकारी स्कूलों में काम को किया जा रहा है. सरकारी स्कूल के बाहर और अंदर क्लास रूम तक प्रत्येक कक्षा के मुताबिक उसके कोर्स को लेकर पेंटिंग की जा रही है. बच्चों के स्कूल आते ही सामान्य ज्ञान की जानकारी उन्हें पढ़ने और देखने को मिलती है. क्लास रूम के अंदर जाते ही उनकी कक्षा के मुताबिक पढ़ाई संबंधित चित्र और गणित के फॉर्मूले देखने को मिलती है. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई को बेहतर करने और बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए उद्देश्य शुरू की गयी ये पहल बच्चों को काफी भा रहा है. बोकारो जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर विस्थापित क्षेत्र के शिबूटांड़ उत्क्रमित उच्च विद्यालय की सूरत बदल चुकी (students studying by wall paintings at Shibutand) है. इस विद्यालय में 416 विद्यार्थी हैं, 10 कमरों में स्कूल चलता है. 1 से लेकर कक्षा 10 तक की पढ़ाई की जाती है, यहां कक्षा वार उनके कोर्स के मुताबिक कमरों में पेंटिंग की गयी है. चटक रंगों के साथ सामान्य ज्ञान उनको काफी पसंद आ रहा (wall paintings at Shibutand High School) है.
बिल्डिंग एज लर्निंग एड कॉन्सेप्ट से पढ़ाईः स्कूलों में बदलाव के इस कॉन्सेप्ट का नाम BALA है, BALA का मतलब बिल्डिंग एज लर्निंग एड (Building As Learning Aid concept) है. हालांकि इस कॉन्सेप्ट को बोकारो जिला प्रशासन ने खुद के प्रयास से उतारने का काम किया है. छात्र से लेकर शिक्षक सभी स्कूल की बदलती तस्वीर को लेकर खुश नजर आ रहे हैं. छात्र-छात्राओं ने कहा कि स्कूल आने के बाद उन्हें एक अच्छा एहसास होता है. मन में खुशी होती है और जो फॉर्मूले या जानकारी उन्हें किताबों से पढ़कर याद नहीं होते थे, अब उन्हें बार बार ये चित्र देखकर अपने आप याद हो रहे हैं. छात्राओं ने कहा कि पहले जो बच्चे स्कूल आने में से कतराते थे, अब स्कूल की बदलती तस्वीर उन्हें अपनी ओर खींच रही है. शिक्षकों का कहना है कि बच्चों को इससे काफी लाभ हो रहा है, बच्चे इसे एक अलग तरह से देख रहे हैं और उन्हें इसका लाभ भी पहुंच रहा है.