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Bokaro News: बोकारो जेनरल अस्पताल संचालन का जिम्मा जल्द मिल सकता है किसी बड़े ग्रुप को, बीएसएल कर्मियों को होगी सहूलियत

बोकारो जेनरल अस्पताल कभी बीएसएल कर्मियों के लिए वरदान माना जाता था, लेकिन वर्तमान में अस्पताल में चिकित्सकों और जरूरी सुविधाओं की घोर कमी है. इस कारण लोग बीजीएच को प्राइवेट हाथों में देने की मांग कर रहे थे. वहीं चर्चा है कि बहुत जल्द बीजीएच संचालन का जिम्मा किसी बड़े ग्रुप को दे दिया जाएगा.

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Responsibility Of BGH Operations To Big Group Soon
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Published : Mar 10, 2023, 1:32 PM IST

बोकारो: जिले के 910 बेड के बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) को किसी बड़े ग्रुप को संचालन के लिए देने की चर्चा तेज हो रही है. क्योंकि हाल में ही राउरकेला इस्पात प्रबंधन (RSP) ने अपने अस्पताल के संचालन का जिम्मा भारत के नामचीन अपोलो हॉस्पिटल्स (Apollo Hospitals) को दे दिया है. इसके बाद अब बोकारो के लोग भी इसकी मांग कर रहे थे. इस संबंध में बोकारो स्टील ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष एके सिंह ने बताया कि राउरकेला की स्थिति अलग है. वहां पीएम फंड से बने अस्पताल को अपोलो को दिया गया है. यहां बीजीएच की बात है. प्रबंधन इसी अस्पताल को सुदृढ़ करें. 10 सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर आ जाएंगे तो अस्पताल बेहतर हो जाएगा. बोकारो जेनरल अस्पताल में डॉक्टर समेत लगभग 300 कर्मी कार्यरत हैं. उनके हितों को भी देखना होगा.

ये भी पढे़ं-Central Team in Bokaro: बर्ड फ्लू को लेकर केंद्रीय टीम का बोकारो दौरा, कहा- पैनिक होने की जरूरत नहीं

इलाज के लिए अब बाहर जने की जरूरत नहींः इस संबंध में बोकारो जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स के राजेंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि अगर बोकारो जनरल अस्पताल को अपोलो या किसी अन्य बड़े ग्रुप को को संचालन के लिए दिया जाता है, तो बोकारो वासियों के अलावा आसपास के जिला के लोगों को इसका लाभ मिलेगा. अभी बोकारो के बाद कोलकाता, सीएमसी वेल्लोर, दिल्ली समेत अन्य स्थानों पर इलाज के लिए जाना पड़ता है.

910 बेड के बोकारो जनरल अस्पताल की हालत खराबः चैंबर ऑफ कॉमर्स के राजेंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से अस्पताल की हालत काफी खराब हो गई है. गिरती चिकित्सा व्यवस्था के चलते लोगों का विश्वास बीजीएच से उठता जा रहा है. जिले के सबसे बड़े अस्पताल में वर्तमान में बेहतर डॉक्टर नहीं हैं. जो अच्छे और विशेषज्ञ डॉक्टर हैं या तो वह रिटायर हो रहे हैं या छोड़कर जा रहे हैं. इस कारण चिकित्सा व्यवस्था में लगातार गिरावट देखी जा रही है.

बीजीएच में फिलहाल मात्र तीन चिकित्सक हैं कार्यरतः सुपर स्पेशलिस्ट के नाम पर पूरे बीजीएच में मात्र तीन ही डॉक्टर हैं. पिछले चंद महीनों में नेफ्रोलॉजी के हेड डॉक्टर मुक्तेश्वर रजक ने रिजाइन कर दिया है. उनके पहले कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ सतीश कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया था. बीजीएच (BGH) में सिर्फ न्यूरो, पीडियाट्रिक और बर्न डिपार्टमेंट में ही सुपर स्पेशलिस्ट हैं.

रेफर में होते हैं करोड़ों खर्चः हर साल बीएसएल और बीजीएच करोड़ों रुपए खर्च कर अपने कर्मियों और अधिकारियों को इलाज के लिए दूसरे शहरों के बड़े अस्पतालों में रेफर कर रहा है. सूत्रों के अनुसार औसतन हर माह 50 से 100 बीएसएल कर्मियों को अन्य हॉस्पिटल में इलाज के लिए रेफर किया जाता है.

बोकारो: जिले के 910 बेड के बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) को किसी बड़े ग्रुप को संचालन के लिए देने की चर्चा तेज हो रही है. क्योंकि हाल में ही राउरकेला इस्पात प्रबंधन (RSP) ने अपने अस्पताल के संचालन का जिम्मा भारत के नामचीन अपोलो हॉस्पिटल्स (Apollo Hospitals) को दे दिया है. इसके बाद अब बोकारो के लोग भी इसकी मांग कर रहे थे. इस संबंध में बोकारो स्टील ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष एके सिंह ने बताया कि राउरकेला की स्थिति अलग है. वहां पीएम फंड से बने अस्पताल को अपोलो को दिया गया है. यहां बीजीएच की बात है. प्रबंधन इसी अस्पताल को सुदृढ़ करें. 10 सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर आ जाएंगे तो अस्पताल बेहतर हो जाएगा. बोकारो जेनरल अस्पताल में डॉक्टर समेत लगभग 300 कर्मी कार्यरत हैं. उनके हितों को भी देखना होगा.

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इलाज के लिए अब बाहर जने की जरूरत नहींः इस संबंध में बोकारो जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स के राजेंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि अगर बोकारो जनरल अस्पताल को अपोलो या किसी अन्य बड़े ग्रुप को को संचालन के लिए दिया जाता है, तो बोकारो वासियों के अलावा आसपास के जिला के लोगों को इसका लाभ मिलेगा. अभी बोकारो के बाद कोलकाता, सीएमसी वेल्लोर, दिल्ली समेत अन्य स्थानों पर इलाज के लिए जाना पड़ता है.

910 बेड के बोकारो जनरल अस्पताल की हालत खराबः चैंबर ऑफ कॉमर्स के राजेंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से अस्पताल की हालत काफी खराब हो गई है. गिरती चिकित्सा व्यवस्था के चलते लोगों का विश्वास बीजीएच से उठता जा रहा है. जिले के सबसे बड़े अस्पताल में वर्तमान में बेहतर डॉक्टर नहीं हैं. जो अच्छे और विशेषज्ञ डॉक्टर हैं या तो वह रिटायर हो रहे हैं या छोड़कर जा रहे हैं. इस कारण चिकित्सा व्यवस्था में लगातार गिरावट देखी जा रही है.

बीजीएच में फिलहाल मात्र तीन चिकित्सक हैं कार्यरतः सुपर स्पेशलिस्ट के नाम पर पूरे बीजीएच में मात्र तीन ही डॉक्टर हैं. पिछले चंद महीनों में नेफ्रोलॉजी के हेड डॉक्टर मुक्तेश्वर रजक ने रिजाइन कर दिया है. उनके पहले कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ सतीश कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया था. बीजीएच (BGH) में सिर्फ न्यूरो, पीडियाट्रिक और बर्न डिपार्टमेंट में ही सुपर स्पेशलिस्ट हैं.

रेफर में होते हैं करोड़ों खर्चः हर साल बीएसएल और बीजीएच करोड़ों रुपए खर्च कर अपने कर्मियों और अधिकारियों को इलाज के लिए दूसरे शहरों के बड़े अस्पतालों में रेफर कर रहा है. सूत्रों के अनुसार औसतन हर माह 50 से 100 बीएसएल कर्मियों को अन्य हॉस्पिटल में इलाज के लिए रेफर किया जाता है.

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