बोकारो: जिले के चास मेन रोड स्थित सिंह वाहिनी दुर्गा मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है. करीब 350 साल पहले का यह मंदिर आज भी लोगों के बीच शांति और एकता का संदेश दे रहा है. एक ओर लोगों में आपसी वैमनस्य है तो दूसरी ओर सैकड़ों वर्ष पुराना दुर्गा मंदिर, जिसके प्रांगण में आज भी हिंदू ब्राह्मणों ने एक मिसाल कायम की है.
मंदिर के संस्थापक परिवार के वंशज अनाथ चंद्र दत्ता ने बताया कि मंदिर में चास के दत्ता परिवार और घोषाल परिवार द्वारा दुर्गा की पूजा की जाती है, वहीं दूसरी ओर उसी मंदिर के अहाते में एक मजार भी बनी हुई है. मंदिर के पूजारी ही इस मजार की भी पूजा करते हैं. मंदिर में अष्टधातु से बनी दुर्गा माता की मूर्ति है, जिसकी दिन में दो बार पूजा की जाती है.
वहीं मंदिर के पुजारी बुद्धेश्वर घोषाल ने बताया कि करीब 350 साल पहले मंदिर की स्थापना चास के दत्ता परिवार के पूर्वज घोर दत्ता ने की थी. दत्ता परिवार के सपनें में एक दिन माता आईं थी, माता ने उनसे कहा कि इस स्थान पर एक मंदिर की स्थापना करो, जिसकी पूजा घोषाल परिवार करेगा.
मंदिर के प्रांगण में मजार: पुजारी ने बताया कि इसी दुर्गा मंदिर के प्रांगण में मजार बनी है. चास में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की परंपरा चली आ रही है. मुस्लिम समुदाय के लोग चाहते थे कि हम इस मजार को यहां से हटा दें लेकिन दत्ता परिवार इस बात से सहमत नहीं था. दत्ता परिवार का मानना है कि हमारे पूर्वजों ने कहा था कि यह मजार यहां स्थापित की गई है, हमने इसे जगह दी है और इसकी स्थापना की है, इसलिए हम इसकी देखभाल भी करेंगे. मुहर्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग यहां ताजिया लाते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोग आज भी साल में दो बार इस मजार पर जाते हैं.
मंदिर में होती है लोगों की मनोकामना पूरी: पुजारी ने बताया कि यह एक सिद्ध मंदिर है, यहां लोगों की मनोकामना पूरी होती है और पाठा की बलि दी जाती है. यहां दूर-दूर से लोग पूजा करने आते हैं. महिलाओं और अन्य लोगों (शंकर चन्द्र) ने भी मंदिर की शक्ति और आस्था के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की और मंदिर के प्रांगण में बने मंदिर के प्रति भी अपनी श्रद्धा व्यक्त की.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सनातन धर्म में सभी धर्मों के प्रति श्रद्धा का भाव है. आज के दौर में धार्मिक उन्माद फैलने के कारण बोकारो जिले के चास स्थित मां सिंह वाहिनी दुर्गा मंदिर चर्चा में है. वैसे तो यहां मंदिर की स्थापना के समय से ही पूजा होती आ रही है, लेकिन इस बार जब मुहर्रम का ताजिया दुर्गा मंदिर के दरवाजे पर गया तो पहले तो लोग हैरान रह गये और फिर हकीकत जानने के बाद इस दुर्गा मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और बढ़ गयी.