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बिना मिट्टी के बाग में उगाए 300 तरह के पौधे, इंटरनेट के जरिए शौक को बनाया रोजगार

क्या आपने कभी सोचा है कि मिट्टी के बिना भी पौधे उगाए जा सकते हैं. ऐसा कमाल कर दिखाया है बोकारो के प्रमोद कुमार ने.

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Published : Mar 15, 2019, 4:10 PM IST

बिना मिट्टी के बाग में उगाए 300 तरह के पौधे

बोकारोः क्या आपने कभी सोचा है कि मिट्टी के बिना भी पौधे उगाए जा सकते हैं. ऐसा कमाल कर दिखाया है बोकारो के प्रमोद कुमार ने. शौक से शुरू की गई बागवानी में उन्होंने मिट्टी और रासायनिक खाद के इस्तेमाल के बिना ही 300 तरह के पौधे उगाए हैं. उनका ये शौक अब रोजगार का साधन बन गया है.

बिना मिट्टी के बाग में उगाए 300 तरह के पौधे

कहते हैं शौक बड़ी चीज है और जब शौक रोजगार बन जाए तो फिर क्या कहना. बोकारो के सेक्टर 12 में रहने वाले प्रमोद कुमार ने अपने शौक को ही व्यवसाय बना लिया. उन्होंने 16 साल पहले अपने भाई के साथ घर के छोटे से हिस्से में बागवानी शुरू की, जो अब अडेनियम अड्डे के नाम से फेमस है.

मिट्टी का विकल्प कोकोपिट

अडेनियम का मतलब होता है मरुस्थल का गुलाब. प्रमोद के अडेनियम अड्डे में 300 से ज्यादा प्रजाति के पौधे हैं. यहां मिट्टी से ज्यादा कॉकपिट यानी नारियल के बुरादे पर पौधे उगाए जाते हैं. प्रमोद मुख्य रूप से तीन प्रजाति अडेनियम, सरकूलैंट और केक्टस प्रजाति पर काम करते हैं और आस-पास की नर्सरी को सप्लाई करते हैं. यहां दार्जीलिंग और कलिंपोंग के अलावा थाईलैंड के पौधे भी हैं.

अमेरिकन केचुए से वर्मी कम्पोस्ट

प्रमोदा किसी रासायनिक खाद का प्रयोग भी नहीं करते हैं. वो अमेरिकन केचुए की सहायता से खुद वर्मी कम्पोस्ट तैयार करते हैं इसके लिए वो आसपास के घरों से सब्जियों के छिलके लाते हैं, मोहल्ले के पेड़ के नीचे से सूखी पत्तियों को जमा करते हैं और फिर वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हैं.

कमाई के साथ पर्यावरण का ख्याल

औद्योगिक शहर बोकारो में प्रदूषण दूसरे शहरों की अपेक्षा ज्यादा है इसलिए प्रमोद सेंसिबेरिया के पौधे के उत्पादन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. सेंसिबेरिया के पौधे हवा को फिल्टर करने का काम करते हैं.
प्रमोद का शौक आज रोजगार का साधन बन चुका है. इससे उन्हें 25 से 30 हजार रुपए तक की कमाई हो जाती है. प्रमोद अब इसे बड़े स्तर पर करने वाले हैं, जिससे उनकी कमाई भी बढ़ेगी ही साथ ही कुछ लोगों को रोजगार भी देने में कामयाब होंगे.

बोकारोः क्या आपने कभी सोचा है कि मिट्टी के बिना भी पौधे उगाए जा सकते हैं. ऐसा कमाल कर दिखाया है बोकारो के प्रमोद कुमार ने. शौक से शुरू की गई बागवानी में उन्होंने मिट्टी और रासायनिक खाद के इस्तेमाल के बिना ही 300 तरह के पौधे उगाए हैं. उनका ये शौक अब रोजगार का साधन बन गया है.

बिना मिट्टी के बाग में उगाए 300 तरह के पौधे

कहते हैं शौक बड़ी चीज है और जब शौक रोजगार बन जाए तो फिर क्या कहना. बोकारो के सेक्टर 12 में रहने वाले प्रमोद कुमार ने अपने शौक को ही व्यवसाय बना लिया. उन्होंने 16 साल पहले अपने भाई के साथ घर के छोटे से हिस्से में बागवानी शुरू की, जो अब अडेनियम अड्डे के नाम से फेमस है.

मिट्टी का विकल्प कोकोपिट

अडेनियम का मतलब होता है मरुस्थल का गुलाब. प्रमोद के अडेनियम अड्डे में 300 से ज्यादा प्रजाति के पौधे हैं. यहां मिट्टी से ज्यादा कॉकपिट यानी नारियल के बुरादे पर पौधे उगाए जाते हैं. प्रमोद मुख्य रूप से तीन प्रजाति अडेनियम, सरकूलैंट और केक्टस प्रजाति पर काम करते हैं और आस-पास की नर्सरी को सप्लाई करते हैं. यहां दार्जीलिंग और कलिंपोंग के अलावा थाईलैंड के पौधे भी हैं.

अमेरिकन केचुए से वर्मी कम्पोस्ट

प्रमोदा किसी रासायनिक खाद का प्रयोग भी नहीं करते हैं. वो अमेरिकन केचुए की सहायता से खुद वर्मी कम्पोस्ट तैयार करते हैं इसके लिए वो आसपास के घरों से सब्जियों के छिलके लाते हैं, मोहल्ले के पेड़ के नीचे से सूखी पत्तियों को जमा करते हैं और फिर वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हैं.

कमाई के साथ पर्यावरण का ख्याल

औद्योगिक शहर बोकारो में प्रदूषण दूसरे शहरों की अपेक्षा ज्यादा है इसलिए प्रमोद सेंसिबेरिया के पौधे के उत्पादन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. सेंसिबेरिया के पौधे हवा को फिल्टर करने का काम करते हैं.
प्रमोद का शौक आज रोजगार का साधन बन चुका है. इससे उन्हें 25 से 30 हजार रुपए तक की कमाई हो जाती है. प्रमोद अब इसे बड़े स्तर पर करने वाले हैं, जिससे उनकी कमाई भी बढ़ेगी ही साथ ही कुछ लोगों को रोजगार भी देने में कामयाब होंगे.

Intro:कहते हैं शौक बड़ी चीज। और जब शौक रोजगार बन जाये जीने की वजह बन जाये तो फिर क्या कहना। और जब शौक फुलों को हो तो फिर शौक महकता है। और दूसरे भी इससे प्रभावित होते हैं।


Body:बोकारो के सेक्टर 12 में रहने वाले प्रमोद कुमार ने अपने शौक को ही व्यवसाय बना लिया। शौक था फूलों का। 16 साल पहले अपने भाई के साथ घर के छोटे से हिस्से में बागबानी सुरु किया था जो आज अडेनियम अड्डा के नाम से फेमस है। अरेनियम का मतलब होता है मरुस्थल का गुलाब। आज प्रमोद के अडेनियम अड्डा में 300 से ज्यादा प्रजाति के पौधे हैं। अरेनियम अड्डा की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां मिट्टी से ज्यादा कॉकपिट यानि नारियल के बुरादे पर पौधे उगाए जाते हैं। प्रमोद मुख्य रूप से तीन प्रजाति अडेनियम, सरकूलैंट और केक्टस प्रजाति पर काम करते हैं। और यहां के नर्सरी को सप्लाई करते हैं। जिससे इन्हें 25 से 30 हजार रुपए तक कि कमाई हो जाती है। प्रमोद अब इसे बड़े स्तर पर करने वाले हैं। जिससे उनकी कमाई भी बढ़ेगी तो कुछ लोगों को वो रोजगार भी देने में कामयाब होंगे। अडेनियम अड्डा में थाईलैंड के पौधे शोभा बढ़ाते हैं। तो दार्जीलिंग और कलिंपोंग के पौधे भी खूब पाए जाते हैं।


Conclusion:प्रमोद की नर्सरी की सबसे अच्छी बात ये है कि ये यहां कोई भी रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करते हैं। वो अमेरिकन केचुए की सहायता से खुद बर्मी कम्पोस्ट तैयार करते है। इसके लिये वो आसपास के घरों से सब्जियों के छिलके लाते हैं। मोहल्ले के पेड़ के नीचे से सूखी पत्तियों को जमा करते हैं। उनके इस लगन को देखकर आसपास के लोग उन्हें अब खुद अपने घर से सब्जियों के छिलके और पत्तियों को जमा कर पहुंचा देते हैं। बोकारो जो एक औधोगिक शहर है। यहां वातावरण में प्रदूषण दूसरे शहरों की अपेक्षा ज्यादा है। इसलिए प्रमोद सेंसिबेरिया के पौधे के उदपादन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं । आपको बता दें सेंसिबेरिया के पौधे हवा को फिल्टर करने का काम करते हैं।

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प्रमोद कुमार, पौधा प्रेमी
पीटीसी आलोक रंजन सिंह
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