बोकारो: दामोदर नदी से कूलिंग पौंड के लिए बिछाए जा रहे पाइप लाइन के काम को तब तक नहीं करने दिया जाएगा, जब तक बोकारो स्टील प्रबंधन उत्तरी क्षेत्र के गांवों की समस्याओं को दूर नहीं करेगा. यह बातें झामुमो के जिलाध्यक्ष हीरालाल मांझी ने मंगलवार को बोकारो परिसदन में कही. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन, बीएसएल और रैयतों के बीच त्रिपक्षीय वार्ता हो और लिखित समझौता हो.क्योंकि पूर्व में बैठक में बीएसएल प्रबंधन द्वारा जो आश्वासन दिया गया था, उसे आज तक पूरा नहीं किया है.
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नहीं चलने देंगे बीएसएल प्रबंधन की चालाकीः इस दौरान जेएमएम के जिलाध्यक्ष ने कहा कि इस इलाके से होकर पाइप लाइन का काम एक साल से बंद है. आगे भी काम नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बीएसएल प्रबंधन हमेशा से इलाके के विस्थापितों को गुमराह करता रहा है, लेकिन इस बार प्रबंधन के अधिकारियों की कोई चालाकी नहीं चलने दी जाएगी. जेएमएम इस मुद्दे पर रैयतों के साथ है. अगर प्रबंधन मनमानी करेगा तो जेएमएम आंदोलन करेगा.
विस्थापितों से किया गया वादा प्रबंधन ने नहीं पूरा कियाः उन्होंने कहा कि प्लांट के निर्माण के पहले से ही ये सारे गांव बसे हुए हैं. जमीन अधिग्रहण के दौरान जो वादा प्रबंधन और सरकार ने विस्थापितों के साथ किया था उसे आज तक पूरा नहीं किया गया. अभी भी कई लोगों को नियोजन नहीं मिला है और कई को मुआवजा तक का भुगतान नहीं हुआ है. प्रबंधन तय समय का सभी समस्या का समाधान करे तभी कार्य कर सकेगा, अन्यथा काम नहीं होने दिया जाएगा.
क्या है पाइप लाइन योजनाः बीएसएल (BSL) वर्तमान में 34 किलोमीटर लंबी तेनु नहर से पानी लेता हैं. जो तेनुघाट बांध से स्टील प्लांट के बीच है. अब नहर पुराना हो गया है और जर्जर हो गया है. अब बीएसएल दामोदर नदी से वैकल्पिक पांच किलोमीटर लंबी पाइप लाइन लगा रहा है. जिससे बीएसएल प्लांट को पानी मिलेगा. इस परियोजना के लिए 2019 में अनुबंध किया गया था. इसके बाद निर्माण कार्य लगभग एक साल तक चला था. उसके बाद कोरोना काल में पाइप लाइन का काम नहीं हो सका. जनवरी 2022 में फिर से काम शुरू करने की कोशिश की गई, पर कुछ दिन बाद बंद करा दी गई. उसके बाद ग्रामीणों ने बीएसएल से नौकरी की मांग करते हुए काम बंद करा दिया. बीच में कई बार दंडाधिकारी की तैनाती कर काम शुरू करने का प्रयास किया गया, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका. अभी तक काम बाधित है.