बोकारो: शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के भाई बैजनाथ महतो समेत सात अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा मिली है. इनलोगों को संतोष पांडेय हत्याकांड में यह सजा मिली है. साथ ही 10-10 हजार रुपये जुर्माने की भी सजा दी गई है.
अलार्गो निवासी संतोष पांडेय की हत्या मामले में दोषी करार दिए गए शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के भाई बैजनाथ महतो समेत सात आरोपियों गणेश भारती, नमी पूरी, कैलाश पूरी, जितेंद्र पूरी, नीरज पूरी और केवल महतो को आजीवन कारावास की सजा मिली है. तेनुघाट अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राजीव रंजन की अदालत ने मंगलवार को आजीवन कारावास और 10–10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
2014 का है मामला
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता संजय कुमार सिंह ने बताया कि संतोष पांडेय की पिटाई के कारण 20 मार्च 2014 को चंद्रपुरा डीवीसी अस्पताल में मौत हो गयी थी. मौत के पहले संतोष पांडेय ने डीवीसी चंद्रपुरा अस्पताल में इलाज के दौरान क्षेत्रीय चैनल के रिपोर्टर को बयान दिया था. बयान में जगरनाथ महतो के भाई बैजनाथ महतो समेत गठित आरोपियों का नाम बताते हुए उसके द्वारा पिटाई करने की बात बताई थी. रिपोर्टर को बताने के बाद संतोष पांडेय की मौत अस्पताल में ही हो गयी थी. उन्होंने बताया कि संतोष पांडेय के बयान की सीडी की चंडीगढ़ के फॉरेंसिक लैब में जांच कराई गई. जिसमें रिपोर्टर की संतोष पांडेय से पूछते हुए सवाल से उसके आवाज की मिलान की गई. हत्या मामले में 10 आरोपी थे. 10 आरोपियों में तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था. जबकि सात आरोपियों शिक्षा मंत्री के भाई बैजनाथ महतो, गणेश भारती, नेमी पूरी, कैलाश पूरी, जितेंद्र पूरी, नीरज पूरी और केवल महतो को गत 4 जनवरी 2021 को तेनुघाट राजीव रंजन की अदालत ने दोषी करार दिया था.
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नावाडीह थाना में दर्ज कराई गई थी प्रथमिकी
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता संजय कुमार सिंह ने बताया कि संतोष पांडेय के भाई अनंत लाल पांडेय ने बोकारो जिले के नावाडीह थाना कांड संख्या 55/14 में भादवि की धारा 302, 120 बी के तहत प्रथमिकी दर्ज कराई थी. दर्ज प्रथमिकी में अनंत लाल पांडेय ने कहा था कि लड़की भगाने के आरोप में विधायक जगरनाथ महतो के भाई बैजनाथ महतो ने संतोष पांडेय की निर्मम पिटाई की. जिससे उसके भाई संतोष पांडेय की दर्दनाक मौत हो गयी. सरकार ने मुकदमे की जांच के लिए एसआइटी गठित की थी. जिसमें जगरनाथ महतो को दोषमुक्त कर दिया था. अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की न्यायालय में सुनवाई चलती रही. 4 जनवरी 2021 को सुनवाई के दौरान 10 आरोपियों में से 3 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया.