बोकारो: जिले में भारत छोड़ो आंदोलन की याद में 'अगस्त क्रांति' दिवस समारोह का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता राज किशोर प्रसाद सिंह ने की. इस दौरान भाकपा नेता जानकी महतो ने कहा 9 अगस्त 1942 को अंग्रेजों के खिलाफ पूरे देश मे आम लोगों के बीच आजादी के लिए उबाल पैदा हुआ था. लड़ाई के लिये सभी लोगों ने कमर कसी थी और अब उन्हें अस्तित्व बचाने के लिये लड़ना है.
क्या है अगस्त क्रांति
भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए तमाम छोटे-बड़े आंदोलन किए गए. अंग्रेजी सत्ता को भारत की जमीन से उखाड़ फेंकने के लिए गांधी जी के नेतृत्व में जो अंतिम लड़ाई लड़ी गई थी, उसे 'अगस्त क्रांति' के नाम से जाना गया है. इस लड़ाई में गांधी जी ने 'करो या मरो' का नारा देकर अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए पूरे भारत के युवाओं का आह्वान किया था. यही वजह है कि इसे 'भारत छोड़ो आंदोलन' या क्विट इंडिया मूवमेंट भी कहते हैं. इस आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त 1942 को हुई थी, इसलिए इसे अगस्त क्रांति भी कहते हैं.
करोड़ों लोग हो रहे बेरोजगार
मौके पर मौजूद सचिव ब्रज किशोर सिंह ने कहा आज के दिन हमें मजदूरों किसानों के हक और अधिकार के लिये केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी. मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की मुनाफे वाली 23 बड़ी-बड़ी कंपनियां बेचने जा रही है. कामर्शियल माइनिंग के खिलाफ कोयला क्षेत्र मे लगातार आंदोलन हो रहे हैं. श्रम कानूनों में संशोधन कर मजदूरों का हक मारा जा रहा है. करोड़ों लोग बेरोजगार हो रहे हैं, इसकी चिंता किसी को नहीं है.
हक की लड़ाई लड़नी जरूरी
डीवीसी में ठेका मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा है. कोरोना महामारी के आड़ में बिना प्लानिंग के लॉकडाउन लगाने के कारण देश की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई है. ऐसे मे लाल झंडे की जिम्मेदारी बढ़ गई है. लोगों को संगठित कर यह लड़ाई हमें लड़नी है.
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ये लोग रहे मौजूद
बैठक को नवीन कुमार पाठक, राम टहल महतो राज किशोर प्रसाद सिंह ने भी संबोधित किया. जब कि अशीम तिवारी, पप्पू शर्मा, विश्वनाथ महतो, सरजू प्रसाद महतो ,अमृत लाल महतो, ओम प्रकाश चौधरी, संतोष यादव, दस्तगीर अंसारी, मो. इरशाद, टीपू, कार्तिक मलाकर, मकसूद आलम, रंजित ठाकुर, माथुर ठाकुर, रंजित राम, ताराचंद राम, मो. रियाज, गौतम साव सहित कई लोग उपस्थित थे.