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'खेती मुश्किल है नामुमकिन नहीं', जानिए दो इंजीनियर भाइयों की कहानी

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Published : Oct 22, 2020, 5:27 AM IST

कोरोना काल में कई लोगों की नौकरियां गयी तो कई लोगों ने नौकरी छोड़कर अपने घर की ओर रुख कर लिया. जब लॉकडाउन में छूट मिली तो लोग फिर से नौकरी को लेकर दूसरे प्रदेश जाने को विवश हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी है जो अब नौकरी छोड़कर अपने घर की जमीन पर खेती करने के लिए संकल्पित हैं.

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'खेती मुश्किल है नामुमकिन नहीं'

बोकारोः कोरोना और लॉकडाउन ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया. लोगों की नौकरी छूट गई, रोजगार के साधन खत्म होते चले गए. लोग अपने घर तो वापस आए और परंपरागत रोजगार को चुना. ऐसे ही बोकारो के दो भाई हैं विजय किस्कू और राम किस्कू. ये खेती कर जीविका का साधन उपलब्ध करा रहे हैं साथ ही दूसरों को रोजगार के साधन भी मुहैया करा रहे हैं.

देखें पूरी खबर

खेती में लगाया इंजीनियरिंग का दिमाग

जिला के जरीडीह प्रखंड के श्यामपुर के रहने वाले दो भाई विजय किस्कू और राम किस्कू जमशेदपुर के आरवीएस इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की, पढ़ाई कर एक कंपनी में ही प्राईवेट जॉब शुरु किया. लॉकडाउन में पिता की मौत के बाद घर आए दोनों भाई घर की हालत को देखकर नौकरी को अलविदा कहा और फिर अपनी जमीन पर खेती करने में जुट गए. काम मुश्किल था लेकिन हिम्मत नहीं हारी. दोनों भाई को कृषि के जानकार गांव के ही सुनील उरांव की मदद मिली और आज सात एकड़ से अधिक भूमि पर सब्जी की खेती कर डाली. आज इनके यहां से सब्जी लोकल बाजार में धड़ल्ले से जा रही है. लॉकडाउन ने कमर तोड़ा लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारी और आज भी अपने सहयोगियो के साथ सुबह से शाम तक जमीन पर खेती करते दिखाई देते हैं. इतना ही नही यहां पर 20 से 25 परिवार को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं जिनसे उनकी आजीविका भी चल रही है.

सब्जी से लहलहा रहे हैं खेत

बीएसएल निर्माण में जमीन देने के बाद भी परिवार के पास अभी काफी जमीन उपलब्ध है.अभी दोनों भाइयो ने खेत में बैगन, भिंडी,कद्दू, टमाटर समेत अन्य सब्जियों की खेती कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है की खेती जैविक विधि से की जा रही है, इनमें किसी तरह का बाहरी रासायनिक खाद नहीं दिया जा रहा है. खुद गाय के गोबर, गौमूत्र, विभिन्न प्रकार के पत्तों, दूध, दही, गुड़ से तैयार कर उसे छिड़काव किया जा जाता है. यहां काम कर रही रीना किस्कू कहती हैं कि पढ़ाई के साथ उसे पैसे कमाने का मौका मिला.

इसे भी पढ़ें- बोकारो के चास में टीटी लाइन पर दौड़ेगी पैसेंजर ट्रेन, महत्वकांक्षी परियोजना पर काम शुरू

'मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं'

लॉकडाउन में भी कार्य मिलता रहा है. वहीं कृषि के जानकारी सुनील उरांव कहते हैं कि मुश्किलें तो बहुत आई लेकिन आज इस जमीन पर खेती कर रहे है. वहीं इंजीनियर की नौकरी छोड़ चुके विजय किस्कू कहते है दोनों अलग पेशा है खेती कर जमीन से सोना उगा रहे है साथ ही लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

बोकारोः कोरोना और लॉकडाउन ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया. लोगों की नौकरी छूट गई, रोजगार के साधन खत्म होते चले गए. लोग अपने घर तो वापस आए और परंपरागत रोजगार को चुना. ऐसे ही बोकारो के दो भाई हैं विजय किस्कू और राम किस्कू. ये खेती कर जीविका का साधन उपलब्ध करा रहे हैं साथ ही दूसरों को रोजगार के साधन भी मुहैया करा रहे हैं.

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खेती में लगाया इंजीनियरिंग का दिमाग

जिला के जरीडीह प्रखंड के श्यामपुर के रहने वाले दो भाई विजय किस्कू और राम किस्कू जमशेदपुर के आरवीएस इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की, पढ़ाई कर एक कंपनी में ही प्राईवेट जॉब शुरु किया. लॉकडाउन में पिता की मौत के बाद घर आए दोनों भाई घर की हालत को देखकर नौकरी को अलविदा कहा और फिर अपनी जमीन पर खेती करने में जुट गए. काम मुश्किल था लेकिन हिम्मत नहीं हारी. दोनों भाई को कृषि के जानकार गांव के ही सुनील उरांव की मदद मिली और आज सात एकड़ से अधिक भूमि पर सब्जी की खेती कर डाली. आज इनके यहां से सब्जी लोकल बाजार में धड़ल्ले से जा रही है. लॉकडाउन ने कमर तोड़ा लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारी और आज भी अपने सहयोगियो के साथ सुबह से शाम तक जमीन पर खेती करते दिखाई देते हैं. इतना ही नही यहां पर 20 से 25 परिवार को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं जिनसे उनकी आजीविका भी चल रही है.

सब्जी से लहलहा रहे हैं खेत

बीएसएल निर्माण में जमीन देने के बाद भी परिवार के पास अभी काफी जमीन उपलब्ध है.अभी दोनों भाइयो ने खेत में बैगन, भिंडी,कद्दू, टमाटर समेत अन्य सब्जियों की खेती कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है की खेती जैविक विधि से की जा रही है, इनमें किसी तरह का बाहरी रासायनिक खाद नहीं दिया जा रहा है. खुद गाय के गोबर, गौमूत्र, विभिन्न प्रकार के पत्तों, दूध, दही, गुड़ से तैयार कर उसे छिड़काव किया जा जाता है. यहां काम कर रही रीना किस्कू कहती हैं कि पढ़ाई के साथ उसे पैसे कमाने का मौका मिला.

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'मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं'

लॉकडाउन में भी कार्य मिलता रहा है. वहीं कृषि के जानकारी सुनील उरांव कहते हैं कि मुश्किलें तो बहुत आई लेकिन आज इस जमीन पर खेती कर रहे है. वहीं इंजीनियर की नौकरी छोड़ चुके विजय किस्कू कहते है दोनों अलग पेशा है खेती कर जमीन से सोना उगा रहे है साथ ही लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

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