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इस राजनीतिक परिवार में विचारधाराओं का टकराव, एक भाई के हाथ में कमल तो दूसरा कांग्रेस के साथ

कालीचरण और नीलकंठ के पिता टी मुचिराय मुंडा तमाड़ विधानसभा इलाके से पांच बार विधायक रहे और उन्हीं की राजनीतिक विरासत को दोनों बेटे आगे बढ़ाने में जुटे हैं, लेकिन इसी क्रम में एक ही परिवार में विचारधाराओं का टकराव आड़े आ रहा है. जहां एक तरफ टी मुचिराए मुंडा के एक बेटे के हाथ में कमल है तो वहीं दूसरी तरफ दूसरे बेटे ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया है.

निलकंठ सिंह मुंडा और कालीचरण मुंडा
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Published : Apr 11, 2019, 12:12 PM IST

रांची: खूंटी जिले में होने वाला चुनावी संग्राम दिलचस्प होने की उम्मीद है. इसकी खास वजह वहां राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवारों का होना है. एक तरफ जहां बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा पर दांव लगाया है. तो वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस ने अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ाने में लगे कालीचरण मुंडा को उम्मीदवार बनाया है.


हैरत की बात यह है कि कालीचरण के सगे छोटे भाई नीलकंठ सिंह मुंडा राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार में मंत्री हैं. नीलकंठ खूंटी विधानसभा से विधायक हैं और प्रदेश में ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री हैं. दरअसल, कालीचरण और नीलकंठ के पिता टी मुचिराय मुंडा तमाड़ विधानसभा इलाके से पांच बार विधायक रहे और उन्हीं की राजनीतिक विरासत को दोनों बेटे आगे बढ़ाने में जुटे हैं, लेकिन इसी क्रम में एक ही परिवार में विचारधाराओं का टकराव आड़े आ रहा है. जहां एक तरफ टी मुचिराए मुंडा के एक बेटे के हाथ में कमल है तो वहीं दूसरी तरफ दूसरे बेटे ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया है.


कालीचरण पूर्व में खूंटी संसदीय सीट में पड़ने वाले तमाड़ विधानसभा इलाके से दो बार विधायक रह चुके हैं. खूंटी में 11.74 लाख वोटर हैं, जिनमें मिशनरी मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है. इतना ही नहीं इस संसदीय इलाके में पड़ने वाले खरसावां, तमाड़, खूंटी, तोरपा, कोलेबिरा और सिमडेगा विधानसभा इलाकों में मिशनरी वोटरों की संख्या अच्छी है.


इन 6 विधानसभा इलाकों में से 2 में बीजेपी के विधायक हैं, जबकि चार अन्य में से तमाड़ से आजसू के बागी विधायक विकास मुंडा, कोलेबिरा से कांग्रेस के विक्सेल कोंगाड़ी, तोरपा से झामुमो के पौलुस सुरीन, सरायकेला से झामुमो के दशरथ गागरई विधायक हैं. लोकसभा उपाध्यक्ष रहे बीजेपी के कद्दावर नेता करिया मुंडा खूंटी संसदीय सीट से 8 बार सांसद रहे हैं, लेकिन इस बार बीजेपी ने उनके बजाएं पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को मैदान में उतारा है. यहां मतदान 6 मई को होना है.

रांची: खूंटी जिले में होने वाला चुनावी संग्राम दिलचस्प होने की उम्मीद है. इसकी खास वजह वहां राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवारों का होना है. एक तरफ जहां बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा पर दांव लगाया है. तो वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस ने अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ाने में लगे कालीचरण मुंडा को उम्मीदवार बनाया है.


हैरत की बात यह है कि कालीचरण के सगे छोटे भाई नीलकंठ सिंह मुंडा राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार में मंत्री हैं. नीलकंठ खूंटी विधानसभा से विधायक हैं और प्रदेश में ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री हैं. दरअसल, कालीचरण और नीलकंठ के पिता टी मुचिराय मुंडा तमाड़ विधानसभा इलाके से पांच बार विधायक रहे और उन्हीं की राजनीतिक विरासत को दोनों बेटे आगे बढ़ाने में जुटे हैं, लेकिन इसी क्रम में एक ही परिवार में विचारधाराओं का टकराव आड़े आ रहा है. जहां एक तरफ टी मुचिराए मुंडा के एक बेटे के हाथ में कमल है तो वहीं दूसरी तरफ दूसरे बेटे ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया है.


कालीचरण पूर्व में खूंटी संसदीय सीट में पड़ने वाले तमाड़ विधानसभा इलाके से दो बार विधायक रह चुके हैं. खूंटी में 11.74 लाख वोटर हैं, जिनमें मिशनरी मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है. इतना ही नहीं इस संसदीय इलाके में पड़ने वाले खरसावां, तमाड़, खूंटी, तोरपा, कोलेबिरा और सिमडेगा विधानसभा इलाकों में मिशनरी वोटरों की संख्या अच्छी है.


इन 6 विधानसभा इलाकों में से 2 में बीजेपी के विधायक हैं, जबकि चार अन्य में से तमाड़ से आजसू के बागी विधायक विकास मुंडा, कोलेबिरा से कांग्रेस के विक्सेल कोंगाड़ी, तोरपा से झामुमो के पौलुस सुरीन, सरायकेला से झामुमो के दशरथ गागरई विधायक हैं. लोकसभा उपाध्यक्ष रहे बीजेपी के कद्दावर नेता करिया मुंडा खूंटी संसदीय सीट से 8 बार सांसद रहे हैं, लेकिन इस बार बीजेपी ने उनके बजाएं पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को मैदान में उतारा है. यहां मतदान 6 मई को होना है.

Intro:रांची। आदिवासियों की परंपरा पत्थलगड़ी को लेकर पूरे देश में चर्चा में आए खूंटी जिले में होने वाला चुनावी संग्राम दिलचस्प होने की उम्मीद है। इसकी खास वजह वहां राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवार हैं। एक तरफ जहां बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा पर दांव लगाया है वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ाने में लगे कालीचरण मुंडा उम्मीदवार बनाया है। हैरत की बात यह है कि कालीचरण के सगे छोटे भाई नीलकंठ सिंह मुंडा राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार में मंत्री हैं। नीलकंठ खूंटी विधानसभा से विधायक हैं और प्रदेश में ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री हैं।


Body:दरअसल कालीचरण और नीलकंठ के पिता टी मुचिराय मुंडा तमाड़ विधानसभा इलाके से पांच बार विधायक रहे और उन्हीं की राजनीतिक विरासत को दोनों बेटे आगे बढ़ाने में जुटे हैं। लेकिन इसी क्रम में एक ही परिवार में विचारधाराओं का टकराव आड़े आ रहा है। जहां एक तरफ टी मुचिराए मुंडा के एक बेटे के हाथ में कमल है वहीं दूसरी तरफ दूसरे बेटे ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया है। कालीचरण पूर्व में खूंटी संसदीय सीट में पड़ने वाले तमाड़ विधानसभा इलाके से दो बार विधायक रह चुके हैं।


Conclusion:क्या समीकरण है खूंटी संसदीय इलाके का
खूंटी में 11.74 लाख वोटर हैं जिनमें मिशनरी मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है। इतना ही नहीं इस संसदीय इलाके में पड़ने वाले खरसावां, तमाड़, खूंटी, तोरपा, कोलेबिरा और सिमडेगा विधानसभा इलाकों में मिशनरी वोटरों की संख्या अच्छी है। इन 6 विधानसभा इलाकों में से 2 में बीजेपी के विधायक हैं। जबकि चार अन्य में से तमाड़ से आजसू के बागी विधायक विकास मुंडा, कोलेबिरा से कांग्रेस के विक्सेल कोंगाड़ी, तोरपा से झामुमो के पौलुस सुरीन, सरायकेला से झामुमो के दशरथ गागराई विधायक हैं।
दरअसल लोकसभा उपाध्यक्ष रहे बीजेपी के कद्दावर नेता करिया मुंडा खूंटी संसदीय सीट से 8 बार सांसद रहे हैं लेकिन इस बार बीजेपी ने उनके बजाएं पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को मैदान में उतारा। यहां मतदान 6 मई को होना है।
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