रांची: राजधानी से महज 16 किलोमीटर दूर पिठोरिया का सूतियाम्बेगढ़, जहां से मुंडा राजाओं की उत्पत्ति हुई थी. 600 ईसा पूर्व मुंडा यहां का शासन व्यवस्था चलाया करते थे. इस मुड़हार पहाड़ पर राजा की कचहरी भी लगा करता था जहां राजा जनता का फरियाद सुना करते थे. सूतियाम्बेगढ़ का सबसे पहला राजा सूतिया मुंडा को माना जाता है.
सूर्तिया मुंडा के बाद शासन व्यवस्था मदरा मुंडा के हाथों में चला गया. मंदरा मुंडा के शासन काल में भी जनता काफी खुश रहा करती थी. क्योंकि उस समय जनता और राजा में कोई ज्यादा फर्क नहीं होता था. उस समय शासन पड़हा व्यवस्था के द्वारा चला करता था.
पिठोरिया के इस सूतियाम्बेगढ़ में आज भी कई इतिहास छुपे हुए हैं. कहा जाता है कि मुंडाओं का धार्मिक स्थल कंपार्ट जहां से मुंडावर ने अपनी शासन व्यवस्था शुरू की थी. आज भी मुंडा इस स्थल को पूज्य मानते हैं. मदरा मुंडा के द्वारा सूर्य मंदिर में पूजा की जाती थी जो आज भी टूटे फूटे अवस्था में है और इस तरह के कई मुंडाओं के पूजा स्थल हैं जहां पर आज भी मुंडा समाज के लोग पूजा करते हैं.
मौखिक इतिहास के अनुसार फणी मुकुट राय से नागवंशी राजाओं की शुरुआत हुई. कहा जाता है कि फणी मुकुट राय मदरा मुंडा के दत्तक पुत्र थे. उनके बाद 46 से भी अधिक राजाओं का वंश चला है छोटानागपुर में. जिसका सबसे अंतिम पीढ़ी रातू राजा हैं. यह कहानी नागवंशी राजा फणी मुकुट राय की है. इन्होंने लगभग 200 साल तक छोटानागपुर पर शासन किया.
इनकी जन्म की दंत कथा बड़े ही रोचक है. दरअसल, बनारस में एक नाग पार्वती नाम की ब्राह्मण कन्या से विवाह कर लेता है. शादी के बाद से ही लगातार पार्वती नाग से अपनी असलियत बताने को कहती रही. लेकिन नाग अपनी असलियत किसी को नहीं बताता था.
तालाब में हुआ था जन्म
एक तीर्थ यात्रा के दौरान रास्ते में नाग और उसकी पत्नी विश्राम करने के लिए पिठोरिया के अंधारी तालाब में रुके. उसी समय पार्वती फिर उससे असलियत जाननी चाही तो नाग ने कहा कि अगर मैं तुम्हें अपनी असलियत बता दूंगा तो तुम्हारे साथ नहीं रहूंगा. पार्वती जिद में अड़ी और नाग से असलियत जानना चाही. उसके बाद नाग ने अपना असलियत तो बताया लेकिन उसके बाद अंधारी तालाब में समा गया. उसी समय पार्वती ने एक बालक को जन्म दिया. जन्म देने के बाद पार्वती की भी मृत्यु हो गई.
उसी समय महाराजा मदरा मुंडा का पुरोहित उस रास्ते से गुजर रहा था. अचानक बच्चे की रोने आवाज सुन कर उसके पास पहुंचा तो बच्चे के पास कोई नहीं था. उसने बच्चे को उठाकर मदरा मुंडा के दरबार में पेश किया. उसी समय महाराजा मदरा मुंडा के घर में भी एक बालक का जन्म हुआ था. जिसका नाम मणि रखा था.
योग्यता के आधार पर मिली राज गद्दी
नाग से जन्मे उस बच्चे को महाराजा मदरा मुंडा ने दत्तक पुत्र के रूप में पालन-पोषण किया. और दोनों बालक रंग भेद में एक दूसरे से समान थे. लेकिन फणी मुकुट राय बचपन से ही चंचल स्वभाव का थे. दोनों बालक साथ में बड़े होते हैं. बच्चे के बड़े होने के बाद बात आती है कि महाराजा मदरा मुंडा का शासन व्यवस्था आखिर किसके हाथ में जाएगा.
शासन का बागडोर संभालने के लिए दोनों बच्चों को अपनी योग्यता सिद्ध करने के लिए जंगल भेजा गया. योग्यता के आधार पर पड़हा समिति फनी मुकुट राय का राज्यभिषेक करने का फैसला सुनाता है. जिसके बाद फनी मुकुट राय को राज गद्दी सौंप दी जाती है. छोटानागपुर में इनकी शासन व्यवस्था 200 सालों तक चली और इसका अंतिम राजा रातू के महाराजा हुआ करते थे.