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World Suicide Prevention Day: दुनिया में हर चार सेकंड में एक आत्महत्या, ऐसे बचाई जा सकती है जान

दस सितंबर को World Suicide Prevention Day मनाया जाता है. आंकड़ों के अनुसार हर चार सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है. ये आंकड़ा बेहद खतरनाक है और ये सोचने के लिए मजबूर करता है कि कैसे इन लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है. हालांकि झारखंड में आत्महत्या करने वालों के आंकड़े में गिरावट आई है. रिनपास के मनोचिकित्सक का मानना है कि जब व्यक्ति निराश या हताश होता है तो उसके आसपास के लोगों की ये जिम्मेदारी है कि उसकी मदद करे.

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Published : Sep 10, 2022, 7:04 AM IST

Updated : Sep 10, 2022, 7:36 AM IST

रांची: दुनिया में हर 4 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है. आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति की वजह से साल 2003 से दुनिया भर में आत्महत्याओं को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (World Suicide Prevention Day) मनाने की शुरुआत की. पूरे विश्व में इस कार्यक्रम की शुरुआत की प्रमुख वजह यह थी कि विश्व में तेजी से बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर रोक लगाया जा सके.

ये भी पढ़ें: यहां हर पांचवे दिन एक व्यक्ति कर लेता है सुसाइड, तेजी से बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृत्ति

भारत में एनसीआरबी आंकड़ों पर अगर भरोसा करें तो झारखंड में आत्महत्या से जुड़े मामलों को लेकर कुछ सालों में थोड़ी राहत दिखी है. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में झारखंड में आत्महत्या के मामलों में कमी आई है. सबसे ज्यादा राहत की बात यह रही कि जब कोरोना संक्रमण के समय देशभर में मजदूरों और किसानों ने हताश होकर अपनी जान दे दी उस दौरान झारखंड में किसानों और मजदूरों के आत्महत्या का आंकड़ा शून्य रहा. दरअसल आत्महत्याओं को रोकने के लिए कारगर कदम लगातार उठाए जा रहे हैं. उन्हीं में से एक खास दिन है 10 सितंबर को विश्व भर में वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे के रूप में मनाया जाना. क्या यह आगे चलकर एक दिन वाकई सुसाइड के प्रतिशत को शून्य कर पाएगा, इसे लेकर हर जगह मंथन चल रहा है.

मनोचिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा से बात करते संवाददाता प्रशांत सिंह



आखिर क्यों आता है मन मे आत्महत्या का ख्याल: राजधानी रांची रिनपास के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार सुसाइड या आत्महत्या का ख्याल किसी व्यक्ति में अचानक नहीं आता है. जब व्यक्ति बहुत परेशान होता है या बहुत निराश रहता है, तो उसके आसपास मौजूद लोगों की जिम्मेदारी होती है, वो उसको इमोशनल, मेंटल या फिजिकल जैसी जरूरत हो, सपोर्ट करें. ताकि व्यक्ति खुद को अकेला न महसूस करे. विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा लोगों से अपील करते हैं कि जीवन में निराशा या परेशानी आने पर दोस्तों या परिजनों से बात करें और समस्या को सुलझाने का प्रयास करें. झारखंड सरकार ने साल 20201 में एक मेंटल हेल्थ रिहैबिलिटेशन हेल्पलाइन नंबर जारी किया था, जिसपर कॉल करके आप ऐसी स्थिति में मदद या काउंसलिंग की मांग कर सकते हैं. रिनपास का वह नम्बर 9471136697 है. इस नंबर पर आप फोन कर अपनी परेशानियों को मनोचिकित्सक से साझा कर सकते हैं.

क्या है झारखंड की स्थिति: एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार झारखंड में साल 2021 में 1825 लोगों ने आत्महत्या की है, हालांकि 2020 में ये आंकड़ा 2200 के करीब था. आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा लोग अपने वैवाहिक जीवन से परेशान होकर जान देते हैं. झारखंड में सबसे ज्यादा शादी से संबंधित समस्या को लेकर 240, शादी के बाद लड़ाई झगड़ा के कारण 60, दहेज को लेकर 43, शादी के बाद अवैध संबंध को लेकर 90, शादी के बाद तलाक को लेकर 47, बांझपन और नपुंसकता के वजह से 15, परीक्षा में फेल होने पर 168, परिवारिक कलह होने पर 173 लोगों ने आत्महत्या की थी.

प्रेम सबंध में दे दी 389 लोगों ने जान: झारखंड में आत्महत्या के आंकड़ों में बढ़ोतरी के पीछे एक प्रमुख बड़ी वजह प्रेम प्रसंग रहा है. प्यार मोहब्बत में धोखा खाने के बाद 389 लोगों ने झारखंड में साल 2021 में जान दे दी. हैरानी की बात यह है कि प्यार में जान देने वाले लोगों में पुरुषों की संख्या ज्यादा थी.

बीमारी और नशे की लत भी बनी वजह: बीमारी आत्महत्या की एक बड़ी वजह मानी जाती है. झारखंड में बीमारी, मानसिक बीमारी और नशे की लत के कारण 569 लोगों ने आत्महत्या की है. इसके अलावा सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होने पर 37 , संपत्ति विवाद में 63, भविष्य की चिंता को लेकर 64, हाउस वाइफ 162, प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले 201 और सरकारी नौकरी करने वाले 9 लोगों ने आत्महत्या की है.

आंकड़े से लेना होगा सबक: रांची के रिनपास के वरिष्ठ मनो चिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा ने वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे को लेकर ईटीवी भारत से विस्तार से बातचीत की डॉक्टर सिद्धार्थ के अनुसार अगर आत्महत्या रोकना है तो स्कूल कॉलेजों और परिवार तक हर कदम पर काउंसलिंग करनी होगी. हमें आत्महत्याओं की जड़ में बैठे वजहों के बारे में चर्चा करनी होगी. आत्महत्या की दीवारों को सामने लाने और इसके रोकथाम में मीडिया की भी अहम भूमिका है. वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे 2022 में भी लोगों को सुसाइड से बचाने के लिए एक प्रयास की तरह देखा जा रहा है. इस बार वर्ल्ड सुसाइड प्रवेश अंडे का थीम क्रिएटिंग होप थ्रू एक्सन है. यानी आप अपने बीच काम करने वाले लोगों के उम्मीदों को जगाए रखें उनमें उम्मीद पैदा करें. डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार इस थीम के जरिए हम आत्महत्या का विचार रखने वाले लोगों को ये संदेश देना चाहता है कि उन्हें उम्मीद नहीं छोड़नी है. हर छोटी-बड़ी जैसी भी संभव हो, मदद के जरिए ऐसे व्यक्ति के जीवन में थोड़ी उम्मीद भर सकें इसका प्रयास जारी है.

रांची: दुनिया में हर 4 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है. आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति की वजह से साल 2003 से दुनिया भर में आत्महत्याओं को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (World Suicide Prevention Day) मनाने की शुरुआत की. पूरे विश्व में इस कार्यक्रम की शुरुआत की प्रमुख वजह यह थी कि विश्व में तेजी से बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर रोक लगाया जा सके.

ये भी पढ़ें: यहां हर पांचवे दिन एक व्यक्ति कर लेता है सुसाइड, तेजी से बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृत्ति

भारत में एनसीआरबी आंकड़ों पर अगर भरोसा करें तो झारखंड में आत्महत्या से जुड़े मामलों को लेकर कुछ सालों में थोड़ी राहत दिखी है. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में झारखंड में आत्महत्या के मामलों में कमी आई है. सबसे ज्यादा राहत की बात यह रही कि जब कोरोना संक्रमण के समय देशभर में मजदूरों और किसानों ने हताश होकर अपनी जान दे दी उस दौरान झारखंड में किसानों और मजदूरों के आत्महत्या का आंकड़ा शून्य रहा. दरअसल आत्महत्याओं को रोकने के लिए कारगर कदम लगातार उठाए जा रहे हैं. उन्हीं में से एक खास दिन है 10 सितंबर को विश्व भर में वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे के रूप में मनाया जाना. क्या यह आगे चलकर एक दिन वाकई सुसाइड के प्रतिशत को शून्य कर पाएगा, इसे लेकर हर जगह मंथन चल रहा है.

मनोचिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा से बात करते संवाददाता प्रशांत सिंह



आखिर क्यों आता है मन मे आत्महत्या का ख्याल: राजधानी रांची रिनपास के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार सुसाइड या आत्महत्या का ख्याल किसी व्यक्ति में अचानक नहीं आता है. जब व्यक्ति बहुत परेशान होता है या बहुत निराश रहता है, तो उसके आसपास मौजूद लोगों की जिम्मेदारी होती है, वो उसको इमोशनल, मेंटल या फिजिकल जैसी जरूरत हो, सपोर्ट करें. ताकि व्यक्ति खुद को अकेला न महसूस करे. विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा लोगों से अपील करते हैं कि जीवन में निराशा या परेशानी आने पर दोस्तों या परिजनों से बात करें और समस्या को सुलझाने का प्रयास करें. झारखंड सरकार ने साल 20201 में एक मेंटल हेल्थ रिहैबिलिटेशन हेल्पलाइन नंबर जारी किया था, जिसपर कॉल करके आप ऐसी स्थिति में मदद या काउंसलिंग की मांग कर सकते हैं. रिनपास का वह नम्बर 9471136697 है. इस नंबर पर आप फोन कर अपनी परेशानियों को मनोचिकित्सक से साझा कर सकते हैं.

क्या है झारखंड की स्थिति: एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार झारखंड में साल 2021 में 1825 लोगों ने आत्महत्या की है, हालांकि 2020 में ये आंकड़ा 2200 के करीब था. आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा लोग अपने वैवाहिक जीवन से परेशान होकर जान देते हैं. झारखंड में सबसे ज्यादा शादी से संबंधित समस्या को लेकर 240, शादी के बाद लड़ाई झगड़ा के कारण 60, दहेज को लेकर 43, शादी के बाद अवैध संबंध को लेकर 90, शादी के बाद तलाक को लेकर 47, बांझपन और नपुंसकता के वजह से 15, परीक्षा में फेल होने पर 168, परिवारिक कलह होने पर 173 लोगों ने आत्महत्या की थी.

प्रेम सबंध में दे दी 389 लोगों ने जान: झारखंड में आत्महत्या के आंकड़ों में बढ़ोतरी के पीछे एक प्रमुख बड़ी वजह प्रेम प्रसंग रहा है. प्यार मोहब्बत में धोखा खाने के बाद 389 लोगों ने झारखंड में साल 2021 में जान दे दी. हैरानी की बात यह है कि प्यार में जान देने वाले लोगों में पुरुषों की संख्या ज्यादा थी.

बीमारी और नशे की लत भी बनी वजह: बीमारी आत्महत्या की एक बड़ी वजह मानी जाती है. झारखंड में बीमारी, मानसिक बीमारी और नशे की लत के कारण 569 लोगों ने आत्महत्या की है. इसके अलावा सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होने पर 37 , संपत्ति विवाद में 63, भविष्य की चिंता को लेकर 64, हाउस वाइफ 162, प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले 201 और सरकारी नौकरी करने वाले 9 लोगों ने आत्महत्या की है.

आंकड़े से लेना होगा सबक: रांची के रिनपास के वरिष्ठ मनो चिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा ने वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे को लेकर ईटीवी भारत से विस्तार से बातचीत की डॉक्टर सिद्धार्थ के अनुसार अगर आत्महत्या रोकना है तो स्कूल कॉलेजों और परिवार तक हर कदम पर काउंसलिंग करनी होगी. हमें आत्महत्याओं की जड़ में बैठे वजहों के बारे में चर्चा करनी होगी. आत्महत्या की दीवारों को सामने लाने और इसके रोकथाम में मीडिया की भी अहम भूमिका है. वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे 2022 में भी लोगों को सुसाइड से बचाने के लिए एक प्रयास की तरह देखा जा रहा है. इस बार वर्ल्ड सुसाइड प्रवेश अंडे का थीम क्रिएटिंग होप थ्रू एक्सन है. यानी आप अपने बीच काम करने वाले लोगों के उम्मीदों को जगाए रखें उनमें उम्मीद पैदा करें. डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार इस थीम के जरिए हम आत्महत्या का विचार रखने वाले लोगों को ये संदेश देना चाहता है कि उन्हें उम्मीद नहीं छोड़नी है. हर छोटी-बड़ी जैसी भी संभव हो, मदद के जरिए ऐसे व्यक्ति के जीवन में थोड़ी उम्मीद भर सकें इसका प्रयास जारी है.

Last Updated : Sep 10, 2022, 7:36 AM IST
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