रांचीः कोरोना काल में लोगों के जीवन में तनाव में इजाफा हुआ है. एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार दो साल पहले जहां देश और राज्य में 05 में से 02 लोग डिप्रेशन के शिकार थे लेकिन अब यह आंकड़ा 05 में 05 के करीब पहुंच गया है यानी आज के इस दौर में लगभग हर व्यक्ति तनाव में है.
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रांची में स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के शुभारंभ और कार्यशाला में बस बार की थीम मेंटल हेल्थ-कनेक्ट विथ नेचर रखा गया है. केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (CIP) के डॉ. निशांत गोयल ने बताया कि कैसे प्रकृति से लगाव और उसके सानिध्य में रहने से मानसिक तनाव और डिप्रेशन कम होता है. कोरोना काल का जिक्र करते हुए डॉ. गोयल ने कहा कि विश्व मे कई रिसर्च रिपोर्ट यह बताती है कि प्रकृति के करीब रहने वाले लोग मुश्किल के इस दौर में ना सिर्फ टेंशन-डिप्रेशन से दूर रहे हैं बल्कि उन्हें कोरोना का भी खतरा कम हुआ है.
पिछले दो वर्ष में तनाव काफी बढ़ा है
झारखंड स्वास्थ्य विभाग के NCD विंग की शांतना ने कहा कि दो वर्ष पहले तक जहां हर पांच में 02 लोग स्ट्रेस में होते थे तो अब यह अनुपात बढ़कर 5-5 का हो गया है. शांतना ने कहा कि अपने स्ट्रेस और डिप्रेशन मैनेजमेंट के लिए कई स्तर पर काम करने की जरूरत है.
नेचर के साथ जुड़ें, हंसी से कम होता है तनाव
CIP के डॉ गोयल ने कहा कि प्रकृति के करीब जाने, हरा भरा प्रकृति का नजारा, पानी झरना ये सब तनाव कम करता है. कार्यशाला के दौरान NCD की ओर से हंसी से कैसे तनाव को कम किया जा सकता है इसकी कुछेक विधियां बतायी गयी. कार्यशाला में शामिल हुए डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी भी इसमें शामिल हुए और तनाव मुक्त होने का तरीका सीखा. NCD की ओर से यह कोशिश की जा रही है कि हर कार्यालय में एक लाफिंग क्लब बने ताकि काम का तनाव कर्मचारियों पर ना हो.